#शारदीय_नवरात्री गुरुवार 03 अक्टूबर 2024 से प्रारम्भ

इस वर्ष #शारदीय_नवरात्री  गुरुवार 03 अक्टूबर 2024 से प्रारम्भ  होंगे और समापन विजया दशमी, शस्त्र पूजा, विसर्जन 12 अक्टूबर को होगा । 
शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनायी जाती है। शरद ऋतु में आगमन के कारण ही इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
गुरुवार 03 अक्टूबर 2024 पंचांग के अनुसार इस दिन आश्चिन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी. इस दिन घट स्थापना मुहूर्त का समय प्रात:काल  6:19 बजे से 7:23 बजे तक  साथ ही अभिजित मुहूर्त 11:52 बजे से लेकर 12:40 बजे होगा।

नवरात्री अस्टमी -नवमी का व्रत कब करे 
"महाअष्टमी घटीका मात्रा प्यौदयिकी नवमी युक्त ग्राह्य " महाष्टमी व्रत में घटि मात्र सूर्योदयकालीन स्पर्श अष्टमी तिथि नवमी तिथि युक्त ग्राह्य होगी 
दिनाँक 11.10.2024 शुक्रवार को प्रात:6.52 तक अष्टमी तिथि का सूर्योदय से अल्प मात्रा में स्पर्श है.अतःअष्टमी तिथि का सूर्योदय से स्पर्श होने के कारण महाअष्टमी व्रत हेतु यही अष्टमी तिथि संपूर्ण मानी जायेगी तथा महाअष्टमी व्रत हेतु प्रशस्त है.
महाअष्टमी व्रत सूर्योदयकालीन सप्तमी तिथि से युक्त अष्टमी तिथि में करने का निषेध है. 
नवरात्रि व्रत का पारण...
महाअष्टमी व्रत तथा महानवमी व्रत एक दिन ही होंने के कारण महाअष्टमी व्रत तथा नवरात्रि व्रत का पारण दिनाँक 12.10.2024 शनिवार को दशमी तिथि में सूर्योदय उपरान्त होगा. इसी दशमी को बलिदान,प्रतिमा विर्सजन,तथा विजयादशमी होगी.



शारदीय नवरात्रि 2024 तिथि
पहला दिन- मां शैलपुत्री – 3 अक्टूबर 2024
दूसरा दिन- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा – 4 अक्टूबर 2024
तीसरा दिन- मां चंद्रघंटा की पूजा – 5 अक्टूबर 2024
चौथा दिन- मां कूष्मांडा की पूजा – 6 अक्टूबर 2024
पांचवां दिन- मां स्कंदमाता की पूजा – 7 अक्टूबर 2024
छठा दिन- मां कात्यायनी की पूजा – 8 अक्टूबर 2024
सातवां दिन- मां कालरात्रि की पूजा – 9 अक्टूबर 2024
आठवां दिन- मां सिद्धिदात्री की पूजा – 10 अक्टूबर 2024
नौवां दिन- मां महागौरी की पूजा – 11 अक्टूबर 2024
विजयदशमी – 12 अक्टूबर 2024, विसर्जन

नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विधान
1 - माँ शैलपुत्री पूजा - यह देवी दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप है। 
मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं और इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं।
 2 - माँ ब्रह्मचारिणी पूजा - ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
3 - माँ चंद्रघंटा पूजा - देवी चंद्रघण्टा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
4 - माँ कूष्मांडा पूजा - माँ कूष्माण्डा सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं अतः इनकी पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है।
5 - माँ स्कंदमाता पूजा - देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
6 - माँ कात्यायनी पूजा - देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
7 - माँ कालरात्रि पूजा - देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
8 - माँ महागौरी पूजा - देवी महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
9 - माँ सिद्धिदात्री पूजा - देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।

मनोकामना सिद्धि हेतु निम्न मंत्र का यथाशक्ति श्रद्धा अनुसार 9 दिन तक जप करें:-
”ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥“

इस वर्ष डोला पर सवार होकर आएगी माता रानी 
शास्त्र में वर्णित है कि- "शशि सूर्ये गजारुढ़ा शनिभौमे तुरंगमे, गुरौ शुक्रे च दोलायां,बुधे नौका प्रकीर्तिता।"
रविवार और सोमवार को भगवती हाथी पर आती हैं, 
शनि और मंगल वार को घोड़े पर, 
बृहस्पति और शुक्रवार को डोला पर, 
बुधवार को नाव पर आती हैं।

इस बार शारदीय नवरात्रि गुरुवार के दिन शुरू हो रही है। ऐसे में माता रानी का वाहन इस बार पालकी रहेगा। दरअसल, नवरात्रि में माता रानी का धरती पर पालकी से आना अच्छा संकेत नहीं माना जाता है।

मनोकामना सिद्धि हेतु निम्न मंत्र का यथाशक्ति श्रद्धा अनुसार 9 दिन तक जप करें:- 
”ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥“

कुन्जिका स्तोत्रं :- 
श्री दुर्गा सप्तसती में वर्णित अत्यंत प्रभावशली सिद्धि कुन्जिका स्त्रोत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ इस सिद्धि कुन्जिका स्त्रोत्र का नित्य पाठ करने से संपूर्ण श्री दुर्गा सप्तशती पाठ का फल मिलता है .. 
यह महामंत्र देवताओं को भी दुर्लभ नहीं है , इस मंत्र का नित्य पाठ करने से माँ भगवती जगदम्बा की कृपा बनी रहती है ..
शिव उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्‌।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः भवेत्‌॥1॥
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्‌।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्‌॥2॥
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्‌।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्‌॥ 3॥
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्‌।
पाठमात्रेण संसिद्ध्‌येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्‌ ॥4॥
अथ मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा
॥ इति मंत्रः॥
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन ॥1॥
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन ॥2॥
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका॥3॥
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी॥ 4॥
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण ॥5॥
धां धीं धू धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु॥6॥
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥7॥
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥ 8॥
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे॥
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति॥
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्‌।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥
। इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम्‌ ।
|| ॐ तत्सत ||
श्री राम हर्षण शांति कुञ्ज " की तरफ से आपको और आपके परिवार को नवरात्री पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं . 
" माँ दुर्गा " आपको शांति , शक्ति , संपत्ति , संयम , सादगी ,सफलता ,समृद्धि , सम्मान, स्नेह और स्वास्थ्य जीवन प्रदान करे . 
पंडित के एन पाण्डेय ( कौशल )
राष्ट्रीय अध्यक्ष 
श्री राम हर्षण शांति कुञ्ज,भारत 

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