अधिकांश लोग जन्मदिन पश्चिमी सभ्यता के अनुसार बड़े धूमधाम से मनाते है अंग्रेजी तारीख लोगो को इतना प्रभावित कर गई है की लोग भारतीय सभ्यता को भूल गए है। प्रायः देखा जाता है की जन्मदिवस के दिन लोग रात को 12 बजे ‘केक’ पर लगी मोमबत्तियाँ जलाकर फिर फूँक मारकर बुझा देता है क्या यही भारतीय संस्कार है ?
जहाँ ज्योत जलानी चाहिए वहाँ बुझा रहे हैं,
आज प्रायःलोग आधुनिकता और पश्चिमी सभ्यता में इतने खो गए की उन्हें यह पता ही नही की क्या ग़लत है और क्या सही.पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव में हम अपनी संस्कृति, सभ्यता एवं मनोबल को इतना अधिक गिरा चुके हैं की उन्हें उठने में न जाने कितने युग बीत जायें कहा नहीं जा सकता।
प्रायः जन्मदिन की रात्रि में जागरण के बदले प्रायः लोग मौज-मस्ती के साथ शराब और तामसिक भोजन करते है ये कहाँ का नियम है , इसलिए भारतीय पद्दति से जन्मदिन मनाये और अपने प्रियजनों को दीर्घायु बनाये ..हमें इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए की विधाता ने जितनी आयु निर्धारित कर रखी है , धीरे -धीरे उसकी अवधि समाप्त हो रही है , इसलिए अपने धर्म का पालन और उसकी रक्षा करे
आज हमलोग जिस संस्कृति के लिए पुरे दुनिया में जाने जाते है जैसे -
वसुधैव कुटुंबकम् ,सर्वे भवन्तु सुखिनः, तमसो माँ ज्योतिर्गमय, , अभिवादनशीलस्य — वृद्धोपसेविनः आयु आयुर्विद्यायशोबलम्, दीप से दीप जले इत्यादि ऋषि वचन की वैज्ञानिकता को भूल गए है , अब आप ही बताये हमारा भविष्य का समाज किस ओर जा रहा है।
आज हम सब पाश्चात्य संस्कृति को अपनाकर अपने आप में गर्व महशुश करते है परन्तु यह नहीं सोचते की होटल या माल में अपने दोस्तों के साथ जन्मदिन मनाने के लिए जरूरत से ज्यादा पैसे मांगने और न मिलने पर आत्महत्या जैसी घटना को, समाज के सामने प्रस्तुत किया जा रहा है उसके जिम्मेदार कौन है ? वस्तुतः हम सब स्वयं ही है क्योकि कही न कही यह सब हमारे रहन सहन एवं तौर तरीके के प्रभाव के कारण ही ऐसा हो रहा है।
जन्म दिन के जश्न में शराब मांस का भक्षण करना , तेज आवाज में फूहड़ संगीतों पर नाचना हमारी भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं है।
आज हम मोमबत्ती जलाते है पुनः उसे बुझाकर हैप्पी बर्थडे कहते है।
भारतीय संस्कृति में प्रत्येक शुभ कार्य का प्रारम्भ दीप प्रज्ज्वलित कर करने का विधान है प्रज्वलित दीप को कभी भी बुझाया नहीं जाता है बल्कि अखण्ड जोत जलाया जाता है। प्रज्वलित दीप को बुझाना तो अशुभ माना गया है। बच्चे हमारे कुलदीप हैं, उनके यशकीर्ति तथा उज्ज्वल भविष्य की कामना दीपक जला कर करनी चाहिए, मोमबत्तियाँ बुझाकर नहीं।
जहाँ शुद्ध चीज खानी चाहिए वहाँ फूँक मारकर उडे हुए थूक से जूठे, जीवाणुओं से दूषित हुए ‘केक' को बडे चाव से एक दूसरे का जूंठा केक खाते -खिलाते हैं !
हमें चाहिए कि हम अपने बच्चों को उनके जन्मदिवस पर भारतीय संस्कार व पद्धति के अनुसार ही कार्य करना सिखायें ताकि हमारे बच्चे बड़े होकर भारीतय संस्कृति का सम्मान कर सके ।
यह मानव शरीर जो पंच तत्वों से बना है वो पांच तत्व है - अग्नि , जल , पृथ्वी , आकाश और वायु उन सभी का अपना रंग है जैसे पृथ्वी का पीला, जल का सफेद, अग्नि का लाल, वायु का हरा व आकाश का नीला ।
विधाता ने जितना जीवन दिया है जन्म के बाद हर एक पल कम हो रहा है धीरे धीरे हमारी उम्र कम हो रही है फिर इतनी ख़ुशी किस लिए। अगर जन्मदिवस मनाना ही है तो कुछ ऐसा करे की जिससे उसका लाभ सभी को मिले इसके लिए भारतीय संस्कृति बहुत ही अनुकूल प्रभाव डालती है आइये जानते है क्या करे
जन्मदिन दिवस कैसे मनाये ;
सबसे पहले जन्मदिवस तिथि के अनुसार मनाये जिस तिथि में जन्म हुआ है उस तिथि के दिन प्रातः स्नान कर के शुद्ध वस्त्र धारण करे देवालय में जा कर ईश्वर का आशीर्वाद ले इसके बाद माता पिता गुरु बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर तिथि से सम्बंधित फलदार पेड़ लेकर उसकी पूजा करे और परिवार के साथ उस वृक्ष का रोपण करे।
इसके बाद जिसका जन्मदिवस है, उसे सभी उपस्थित लोग शुभकामनाएँ दें ।
जन्मदिन की प्रात: बेला में उठकर इश्वर का ध्यान करना चाहिए ,
कराग्रे वस्ते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती। करमूले तू गोविन्दःप्रभाते करदर्शनम्।।
अपने माता -पिता-गुरु और बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए, क्यों की आज सिर्फ आशीर्वाद और दुआ ही ऐसी महा-शक्ति है जो बड़े से बड़े संकट से निकल सकती है .
मातृदेवो भव। पितृदेवो भव,
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलम्।।
“जो व्यक्ति माता-पिता एवं गुरूजनों को प्रणाम करते हैं और उनकी सेवा करते हैं उनकी आयु, विद्या, यश तथा बल – चार पदार्थ बढ़ते हैं।” – मनुः 2.121
अपने जन्मदिन के शुभावसर पर ईश्वर की आराधन पूजा और उनके चरणों में फल फूल, मिठाई, वस्त्र, दक्षिणा अर्पण कर सुख शांति और कष्टों से मुक्ति के लिए आशीर्वाद लेना चाहिए.
*उस दिन हमे भगवान के चरणों में दीपक अवश्य जलाना चाहिएं. दीपक से अर्थ है की आने वाला समय हमारे लिए जीवन में खुशहाली और रोशनी ले कर आए.आधुनिक समाज में तो हम मोमबत्ती बुझा कर खुद ही अपने लिए राह में अंधेरा कर लेते है. अब आप खुद ही सोचे की आप को जीवन में खुशिया चाहिएं या अंधेरा.
*.इस दिन अपने दाहिने कलाई पर रक्षा मंत्र बोलकर कलावा बंधवाए , माथे पर सौभाग्य तिलक और अक्षत लगाये ,
* इस दिन अपने घर में कोई धार्मिक अनुष्ठान करना चाहिए . और इश्वर को लगाया हुआ प्रसाद लोगों में बाँटना चाहिए
जैसा खाओ अन्न, वैसा बने मन। जैसा पीयो पानी, वैसी होवे वाणी।।
*. अपने जन्मदिन की तिथि पर नदी के कनारे या धर्म स्थान में कोई शुभ पेड़ लगायें जैसे आम,नीम,आंवला, पीपल,बरगद आदि जैसे जैसे ये पेड़ बढेगा वैसे ही आप के जीवन में खुशिया आएगी और पर्यावरण के लिए भी ये शुभ है ..
इस वेद मन्त्र जा प्रतिदिन उच्चारण करे -
अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषणः।
कृपः परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविनः।।
जन्मदिवस के शुभ अवसर पर भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए साथ ही आयु वृद्धि करने वाला मन्त्र मृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए।
‘ॐ त्रयंबकं यजामहे, सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥’
इस मंत्र का जाप जातक के पूर्ण हुए वर्षों की संख्या के बराबर अवश्य करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ शीघ्र ही समाप्त हो जाएगी। यही नहीं यदि किसी अशुभ ग्रह से आप पीड़ित है तो उसमे भी आपको लाभ मिलेगा।
अभिभावक एवं बच्चे ध्यान दें -
* पार्टियों में फालतू का खर्च करने के बजाय बच्चों के हाथों से गरीबों में, अनाथालयों में भोजन, वस्त्र इत्यादि का वितरण करवाकर अपने धन को सत्कर्म में लगाने के सुसंस्कार डालें ।
* लोगों से चीज-वस्तुएँ (गिफ्ट्स) लेने के बजाय अपने बच्चे को गरीबों को दान करना सिखायें ताकि उसमें लेने की नहीं अपितु देने की सुवृत्ति विकसित हो ।
* गौशाला में हरा चारा दान करे।
जन्मदिन पर क्या नहीं करना चाहिए :-
जन्मदिन के शुभावसर पर तामसिक भोजन, मदिरा सेवन तथा अनैतिक क्रिया-कलाप करने से परहेज करना चाहिए।
मोमबत्ती जलाकर जन्मदिन मनाने से बचें क्योकि केक के ऊपर मोमबत्ती जलाकर बुझाना अशुभ है
मोमबत्ती अगर जलाए तो उसे मुंह से न बुझाए बल्कि सभी प्रज्ज्वलित मोमबत्तियों को अपने घर के प्रत्येक स्थान पर रख दे इससे आपके और आपके घर के अंदर नकारात्मक ऊर्जा से भी मुक्ति मिल जायेगा।
आप सभी को इस बात को समझना चाहिए कि रात्रि का अर्थ अंधेरे से है और दिन का अर्थ रोशनी से. अतः जन्म दिन को रात्रि में मनाकर आप अपने जीवन में खुद ही अंधेरा करते है, इसलिए जन्मदिन दिन में ही मनाएं .
आज हम मोमबत्ती को जलाकर बुझाते हैं, ज्योत को मुख से फूंकना या उसे बुझाना दोनों ही अशुभ है | इससे हमारे जीवन के अनिष्ट शक्ति के कष्ट बढ़ते हैं और तेज तत्त्व जो हमें तेजस्वी बनाता है उसके स्थान पर हम तमोगुणी बनाने का प्रयास करते है |
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार यदि हम अपना जन्मदिन मनाएं तो हमारे शास्त्रों के अनुसार जन्मदिन के दिन कुछ कार्य ऐसे हैं
जिन्हें करना शास्त्रों में अच्छा नहीं माना गया है। जैसे :-
किसी चीज को काटना एक विध्वंशक कृति है परन्तु हम केक काटते हैं और अन्नपूर्ण मां की अवकृपा उस शुभ दिवस में प्राप्त करते हैं जबकि हमें इस दिन दरिद्र, अनाथ या संत जन को अन्नदान करना चाहिए जिससे हम पर अन्नपूर्ण माँ की कृपा बनी रहे और घर पर खीर, हलवा जैसा भोग कुलदेवी को चढ़ाकर ग्रहण करना चाहिए और बांटना चाहिए |
जन्मदिन पर नाखून एवं बाल काटना, वाहन से यात्रा करना, कलह, हिंसाकर्म, अभक्ष्यभक्षण (न खाने योग्य पदार्थ खाना), अपेयपान (न पीने योग्य पदार्थ पीना), स्त्रीसंपर्क से प्रयत्नपूर्वक बचना चाहिए। इसी तरह दीपक का बुझना आकस्मिक मृत्यु, अर्थात् अपमृत्युसे संबंधित है। इसे अशुभ माना गया है। इसीलिए मोमबत्ती जलाकर जन्मदिन नहीं मनाना चाहिए।
कई लोग इस दिन इतना शराब पि लेते है की मौज मस्ती में अपना जीवन ही खो देते है इन सब राक्षसी विधियों से बचे। साथ ही ये कलियुग का प्रभाव है की आज बड़े लोग अपने धन के मद में जुआ, शराब , डिस्को आदि को अपनी शानोसौकत मानते है , उन्हें ये नहीं पता की एक दिन उनकी पीढ़ियों को पानी देने वाला भी कोई नहीं होगा ..
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धन्यवाद्
पंडित कौशल पाण्डेय 9968550003
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