संवत्सर - हिंदू वर्ष का नाम

संवत्सर - हिंदू वर्ष का नाम
60 संवत्सर को 3 भागों में विभाजित किया गया है और प्रत्येक भाग में 20 संवत्सर होते है। 
साठ संवत्सर 20 संवत्सर के 3 समूहों में विभाजित हैं। प्रभाव से व्यया तक के पहले 20 ब्रह्मा को सौंपे गए हैं। अगले 20 सर्वजित से परभव तक विष्णु और अंतिम 20 शिव को।

संवत्सर - हिंदू वर्ष का नाम


हिन्दू धर्म में ‘‘वर्ष’’ को संस्कृत में ‘‘संवत्सर’’ कहा जाता है। संवत्सर को आज कल सरल भाषा में संवत् कहा जाता है। संवत्सर एक वर्ष को संदर्भित करता है जो कि बृहस्पति ग्रह की सापेक्ष स्थिति पर आधारित एक वर्ष होता है। जोवियन कैलेंडर में वर्ष, एक सौर वर्ष के बराबर होता है परन्तु संवत्सर में ऐसा नहीं होता है।

संवत्सर को हिन्दू कैलेंडर में परिभाषित किया जाता है। संवत्सर बृहस्पति ग्रह की स्थिति पर निर्भर करता है। प्राचीन ग्रंथ में एक संवत्सर की गणना लगभग 361 दिनों की होती है, जो एक सौर वर्ष से थोड़ा कम है। बृहस्पति ग्रह हिन्दू धर्म के अनुसार बारह राशियों पर प्रवेश करता है और इन बारह राश्यिं की पूर्ण कक्षा लगभग 12 सौर वर्ष के बराबर होती है। बृहस्पति की ऐसी पांच परिक्रमाएं (अर्थात 12 गुणा 5 = 60 संवत्सर) को संवत्सर चक्र कहा जाता है। इस चक्र के प्रत्येक संवत्सर को एक नाम दिया गया है। एक बार जब सभी 60 संवत्सर समाप्त हो जाते हैं, तो चक्र फिर से शुरू हो जाता है।

60 संवत्सर का यह चक्र आकाश में बृहस्पति और शनि की सापेक्ष स्थिति पर आधारित होता है। बृहस्पति और शनि की कक्षीय अवधि क्रमशः लगभग 12 और 30 सौर वर्ष है। इन दो कक्षीय अवधियों में से कम से कम सामान्य गुणक 60 सौर वर्ष है। हर साठ साल में, दोनों ग्रह लगभग एक ही नाक्षत्र निर्देशांक पर स्थित होंगे, जहां उन्होंने साठ साल पहले शुरू किया था, इस प्रकार एक साठ साल का चक्र बनता है।

संख्या वर्ष का नाम विक्रम संवत ग्रेगोरियन कैलेंडर
1 प्रभव 2044 1987-1988 CE
2. विभव 2045 1988-1989 CE
3. शुक्ल 2046 1989-1990 CE
4. प्रमोद 2047 1990-1991 CE
5. प्रजापति 2048 1991-1992 CE
6. अंगिरस 2049 1992-1993 CE
7. श्रीमुख 2050 1993-1994 CE
8. भाव 2051 1994-1995 CE
9. युव 2052 1995-1996 CE
10. धाता/धातृ 2053 1996-1997 CE
11. ईश्वर 2054 1997-1998 CE
12. बहुधान्य 2055 1998-1999 CE
13. प्रमाथी 2056 1999-2000 CE
14. विक्रम 2057 2000-2001 CE
15. वृषप्रजा 2058 2001-2002 CE
16. चित्रभानु 2059 2002-2003 CE
17. स्वभानु 2060 2003-2004 CE
18. तारण 2061 2004-2005 CE
19. पार्थिव 2062 2005-2006 CE
20. अव्यय/व्यय 2063 2006-2007 CE
21. सर्वजीत 2064 2007-2008 CE
22. सर्वधारी 2065 2008-2009 CE
23. विरोधी 2066 2009-2010 CE
24. विकृति 2067 2010-2011 CE
25. खर         2068 2011-2012 CE
26. नंदन     2069 2012-2013 CE
27. विजय 2070 2013-2014 CE
28. जय         2071 2014-2015 CE
29. मन्मथ 2072 2015-2016 CE
30. दुर्मुख 2073 2016-2017 CE
31. हेविळंबि 2074 2017-2018 CE
32. विळंबि 2075 2018-2019 CE
33. विकारी 2076 2019-2020 CE
34. शार्वरी 2077 2020-2021 CE
35. प्लव         2078 2021-2022 CE
36. शुभकृत 2079 2022-2023 CE
37. शोभकृत 2080 2023-2024 CE
38. क्रोधी 2081 2024-2025 CE
39. विश्वावसु 2082 2025-2026 CE
40. पराभव 2083 2026-2027 CE
41. प्लवंग 2084 2027-2028 CE
42. कीलक 2085 2028-2029 CE
43. सौम्य 2086 2029-2030 CE
44. साधारण 2087 2030-2031 CE
45. विरोधकृत 2088 2031-2032 CE
46. परिधावी 2089 2032-2033 CE
47. प्रमादी 2090 2033-2034 CE
48. आनंद 2091 2034-2035 CE
49. राक्षस 2092 2035-2036 CE
50. नल/अनल 2093 2036-2037 CE
51. पिंगल 2094 2037-2038 CE
52. कालयुक्त 2095 2038-2039 CE
53. सिद्धार्थी 2096 2039-2040 CE
54. रौद्र         2097 2040-2041 CE
55. दुर्मति 2098 2041-2042 CE
56. दुन्दुभी 2099 2042-2043 CE
57. रूधिरोद्गारी2100 2043-2044 CE
58. रक्ताक्षी 2101 2044-2045 CE
59. क्रोधन 2102 2045-2046 CE
60. अक्षय 2103 2046-2047 CE

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