सोमनाथ मंदिर का इतिहास कथा कहानी ......

सोमनाथ मंदिर का इतिहास कथा कहानी ......
SOMNATH TEMPLE HISTORY AND STORY IN HINDI –
विश्व के 12 ज्योतिर्लिंग मे से एक सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का यह मंदिर (धाम) संसार भर में प्रसिद्ध है. साथ ही यह 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला ज्योतिर्लिंग है. ऐसा मन जाता है कि, भगवान शिव सर्वप्रथम यही प्रकट हुए थे. यह मंदिर हिन्दू देवता भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र धाम है. यहाँ भक्तगण, श्रिदालु और पर्यटक हर साल लाखो की संख्या में सोमनाथ (शिवजी) के दर्शन करने आते है. सोमनाथ मंदिर का इतिहास बेहद उतार चढाव भरा रहा है. इस मंदिर पर मुस्लिम आक्रमणकारियों ने 17 बार हमले किए थे. और यहा के खजाने को लूट कर साथ ले गए थे. इस आर्टिकल (history of somnath temple in hindi ) में आप सोमनाथ मंदिर के बारे में बहुत कुछ जानने वाले है. इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़े

सोमनाथ मंदिर का इतिहास


भारत के 12 ज्योतिर्लिंग कौनसे है और कहाँ है?
ज्योतिर्लिंग का अर्थ (meaning) है – ‘स्तंभ या प्रकाश का स्तंभ’ (pillar of light). ‘स्तंभ’ एक प्रतिक है जो कि, दर्शाता है कोई शुरुआत या अंत नहीं है. एक बार की बात है ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु के बीच इस बात पर बहस हुई कि सर्वोच्च देवता कौन है. इस बहस का अंत नही हो रहा था. तभी भगवान शिव प्रकाश स्तंभ के रूप में प्रकट हुए.
और इस बहस का प्रत्येक से अंत खोजने को कहा. ऐसा माना जाता है कि जिन स्थानों पर प्रकाश के ये स्तंभ गिरे थे, वहां ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई. इंडिया में 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पवित्र सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है. अन्य ज्योतिर्लिंग वाराणसी, रामेश्वरम तीर्थ, द्वारका, सोमनाथ, नागेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, घृष्णेश्वर, औंधा नागनाथ, परली बैद्यनाथ, रामेश्वरम, ओंकारेश्वर, केदारनाथ में स्थित हैं.
सोमनाथ मंदिर (about somnath temple in hindi)
देवो के देव महादेव यानी भगवान शिव को समर्पित यह भव्य सोमनाथ मंदिर इंडिया में पश्चिम राज्य गुजरात के सौराष्ट्र प्रदेश में अवस्थित है. यह मंदिर जिस भूभाग पर अवस्थित है. उसे प्रभास पाटन के नाम से जाना जाता है. भारत के सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद में बताया गया है कि, इस मंदिर का निर्माण सोमदेव या चंद्रदेव नामक राजा ने ईसा पूर्व किया था.
इन्ही के नाम से इस मंदिर का नाम सोमनाथ पड़ा. गुजरात के गिर सोमनाथ जिले में स्थित यह मंदिर अरब सागर के किनारे स्थित है. यह अध्यात्म और प्रकृति का मिलन स्थल है. इसके अलावा इस जगह पर तीन पौराणिक नदियो सरस्वती, हिरण्य और कपिला का संगम स्थल है. जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है. यही नही पौराणिक मान्यताओ के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने अंतिम समय में इसी स्थान पर अपने शारीर को त्यागा था.
इस कारण धर्मिक दृष्टि से सोमनाथ मंदिर की महत्वता बहुत अधिक है. इसे बारह ज्योतिर्लिंगों में से *पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है – पहला स्थान जहां भगवान शिव ने स्वयं को प्रकट किया था. सोमनाथ मंदिर के प्रांगण में एक स्तम्भ लगा हुआ है जो कि, दर्शाता है.. इस मंदिर के दक्षिण दिशा में अंटार्कटिका तक एक सीधी रेखा में कोई जमीन या धरातल नहीं है. यह एक स्तंभ पर खुदा हुआ है – 7 ईस्वी से. यह इसे समुद्र-संरक्षित स्थल बनाता है.
somnath temple history in hindi | सोमनाथ मंदिर का इतिहास
somnath temple history in hindi language :-  ऐसा माना जाता है कि मूल मंदिर सत युग में चंद्र या सोम देव भगवान द्वारा सोने के साथ बनाया गया था. त्रेता युग में रावण द्वारा चांदी में बनाया गया था. और द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण द्वारा चंदन से बनाया गया था. सोमनाथ मंदिर को विभिन्न मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा कई बार (करीब 17) लूटा और ध्वस्त किया गया है. – अल जुनैद, गजनी के महमूद (1024), अफजल खान, अला-उद-दीन खिलजी (1296), मुजफ्फर शाह (1375), महमूद बेगड़ा (1451) और बाद में औरंगजेब द्वारा (1665).
सोमनाथ मंदिर का फ़ोटो | somnath temple history in hindi language  
कई हिन्दू शासकों ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण किया. उज्जैनी के शासक विक्रमादित्य ने (लगभग 2500 साल पहले), वल्लभी राजा ने (480-767 ईस्वी की अवधि में), अन्हिलवाड़ा के भीमदेव ने (11 वीं शताब्दी ईस्वी में), और जूनागढ़ के राजा खंगारा ने (1351 में) एडी) कई अन्य लोगों के बीच. इस मंदिर का लगभग 7 बार पुनर्निर्माण किया जा चूका है. आधुनिक सोमनाथ मंदिर का निर्माण भारत के लौह पुरुष एव पूर्व उप प्रधान मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने 1947 और 1951 के बीच बलुआ पत्थर से किया था.
सोमनाथ मंदिर की कथा (कहानी)
somnath temple का निर्माण किसने किया और इसका नामकरण कैसे हुआ. अथार्त इस मंदिर का नाम सोमनाथ कैसे पड़ा. इसके पीछे एक बहुत प्रचलित कथा है. जो कि, इस प्रकार है. ऐसा माना जाता है कि, चंद्र देव का विवाह दक्ष प्रजापति की 27 पुत्रियों से हुआ था. उन सभी पुत्रियों में चन्द्र देव को रोहिणी से अत्यधिक लगाव था. इस बात से बाकि कन्याएं उनसे नाराज हुई और यह बात अपने पिता दक्ष प्रजापति को बताई.
इससे प्रजापति नाराज हो गए. उन्होंने चन्द्र देव को जोर देकर कहा कि, वह अपने प्यार में निष्पक्ष रहें. जब चंद्र ने उनकी चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया, तो प्रजापति ने उन्हें शाप दिया. और शप यह दिया कि, दिन ब दिन तुम्हारी चांदनी घट जाएगी. और यही हुआ. चन्द्र की चांदनी के बिना दुनिया अँधेरी हो गई. इसलिए सभी देवताओं ने प्रजापति से अपना श्राप वापस लेने का अनुरोध किया. दक्ष ने सुझाव दिया कि, चंद्र देव भगवान शिव से प्रार्थना करें.
उसके बाद चन्द्र देव यानी सोम देव ने भगवान शिव से प्रार्थना की. भगवान शिव भोलेनाथ, सोमदेव की तपस्या से प्रसन्न हुए. और उनको उस श्राप से मुक्त कर दिया. यही कारण है कि, भगवान को सोमनाथ या सोमेश्वर, चंद्रमा के भगवान के रूप में जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि, चंद्र ने अपनी चमक वापस पाने के लिए सरस्वती नदी में स्नान भी किया था, जो इस समुद्र तट के स्थान पर चंद्रमा और ज्वार भाता घटने का कारण है. स्कंद पुराण के एक अध्याय, प्रभास खंड में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है. इसका उल्लेख ऋग्वेद और भागवत में भी मिलता है.
अन्य कथा कहानी
एक अन्य कथा, सोमनाथ मंदिर (somnath temple) से जुडी, इस प्रकार है- एक बार की बात है. भगवान श्री कृष्ण यहा एक बगीचे में विश्राम कर रहे थे. तभी एक शिकारी ने उनके पाँव पर लगे पद्म चिह्न को यह समझकर तीर मार दिया कि, यह कोई हिरन की आँख है. तब भगवान श्री कृष्ण ने इसी स्थान पर अपने प्राण त्याग दिए थे. इस कथा के अनुसार, यह स्थल और भी पवित्र माना जाता है.
somnath story in hindi
एक और जहा सोमनाथ का मंदिर अपनी विनाश की कहानियो से जुड़ा हुआ है. लेकिन बहुत कम लोग ही जानते है. वीर बहादुर योद्धा हमीर जी की कहानी. जिन्होंने अंतिम साँस तक इस मंदिर की रक्षा के लिए अपने प्राण त्याग दिए थे. हमीर जी की यह कहानी इस प्रकार है कि, हमीर जी की नई नई शदी हुई थी. तब उन्हें पता चला कि, सोमनाथ मंदिर को लूटने के लिए दुश्मनों ने घेरा डाल दिया है.
हमीर जी तुरंत अपने अपने घोड़े पर बैठकर गए. और दुश्मनों से आखिरी साँस तक लड़ते रहे. ऐसा कहा जाता है कि, लड़ाई में उनका सिर काट दिया गया था, लेकिन मंदिर की रक्षा के लिए उनका दृढ़ संकल्प इतना मजबूत था कि, उनका सिर रहित धड़ कुछ समय तक लड़ता रहा. हमीर जी की शहीदी को नमन करने के लिए उनकी अश्व सवार मूर्ति सोमनाथ मंदिर से कुछ दूर बनाई गई है.
सोमनाथ मंदिर हुए आक्रमण (सोमनाथ का मंदिर इतिहास)
SOMNATH HISTORY IN HINDI – जैसा कि पहचानते हो सोमनाथ मंदिर पर कितने हमले हुए थे. इतिहास में यह एकमात्र मंदिर ऐसा है जिस पर सबसे ज्यादा बार हमले हुए. सोमनाथ मंदिर किसी चमत्कारी मंदिर से कम नहीं है. जितनी बार बाहरी आक्रमणकारियों ने इस मंदिर को नष्ट किया. उतनी बार इसका पुनर्निर्माण किया गया. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर पर और 17 बार आक्रमण हुए थे और 7 बार इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था.
अंतिम बार इसका पुनर्निर्माण आजादी के बाद 1947 में किया गया था. सोमनाथ मंदिर का निर्माण कब हुआ होगा. इस बारे में कोई लिखित जानकारी या साक्ष्य नहीं मिले हैं. इस कारण इसकी जानकारी अभी अज्ञात है. प्राचीन ग्रंथों के अनुसार सोमनाथ का निर्माण ईसा पूर्व हो गया था. लेकिन 650 ईसवी के आसपास वल्लभी के मैत्री राजाओं ने इसी मंदिर का जीर्णोद्धार करवा कर एक दूसरा मंदिर बनवाया थ
जिसके बाद 725 ईसवी में सिंध के अरब शासक अल जुनैद द्वारा इस मंदिर पर पहली बार आक्रमण किया गया था. अल जुनैद ने इस मंदिर को तहस-नहस कर. यहां से सारी संपत्ति उड़ा ले गया था. इस हमले का कोई ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद नहीं है. इस आक्रमण के बाद माना जाता है कि, 815 ईस्वी में गुर्जर प्रतिहार शासक नागभट्ट द्वितीय हुए. जिन्होंने इस मंदिर का तीसरी बार पुनर्निर्माण किया था.
मुहमद गजनी का सोमनाथ पर आक्रमण (somnath temple history in hindi)
शुरू में ऐसा माना जाता था कि, राजा सोमदेव यानी चंद्र देव ने सोमनाथ मंदिर का निर्माण सोने से किया था. इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली थी. फिर एक बार एक अरब यात्री जिसका नाम अलबरूनी मिलता है. इतिहास में भारत की यात्रा पर आया. उसने सोमनाथ मंदिर की भी यात्रा की थी. उसने अपनी इस यात्रा का उल्लेख अपने ग्रंथ में किया.
ग्रंथ से प्रभावित होकर महमूद गजनी (जो कि तुर्की शाहक था) ने 1024 ईस्वी में सोमनाथ मंदिर को लूटने के एवज में भयंकर आक्रमण किया था. उस समय गुजरात पर चालुक्य शासक भीमदेव प्रथम का शासन था. परिणाम स्वरूप इस हमले में भीमदेव को यहां से भागना पड़ा था. और महमूद गजनी अपने प्रयासों में सफल रहा. महमूद गजनी ने सोमनाथ मंदिर को लूटा और इसे तोड़कर खंडहर में तब्दील कर दिया.
ऐसा माना जाता है कि, महमूद गजनी ने इस ऐतिहासिक लूट में 20 मिलियन दिनार यानी करीब 10 करोड़ की संपत्ति हाथ लगी थी. यही नहीं उसने मंदिर में पूजा कर रहे 50,000 भक्तों का कत्लेआम भी करवा दिया था. महमूद गजनी द्वारा किया गया सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण इतिहास की सबसे विध्वंस लूट मानी जाती है. इस हमले के बाद एक शिलालेख के अनुसार, 1161 इसी में कुमारपाल नामक शासक ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था.
अलाउद्दीन खिलजी द्वारा आक्रमण
13 वी सदी तक आते-आते भारत पर खिलजी वंश का प्रभुत्व था. 1299 इसी में अलाउद्दीन खिलजी ने सोमनाथ लूट को अंजाम दिया था. उसने वाघेला के शासक करण को हराकर मंदिर पर अधिकार कर लिया था. कान्देहव प्रबंध के अनुसार, जालौर के शासक कान्हा देव ने सोमनाथ को लूटने को जाती हुई खिलजी की सेना को रास्ता प्रदान नहीं किया था. यही नहीं वापस आती हुई खिलजी सेना पर कान्हा देव ने आक्रमण किया था. और उनसे थोड़ा कुछ खजाना लूट लिया और शिवलिंग की मूर्ति को भी छीन लिया था. इसके बाद मंदिर का पुनर्निर्माण सौराष्ट्र के चूड़ासामा शासक महिपाल प्रथम ने 1308 इसी में करवाया था.
ओरंगजेब द्वारा आक्रमण
15 वी से 18 वी शताब्दी तक भारत पर मुगलों का शासन था. उस दौरान भी सोमनाथ मंदिर पर मुगलों द्वारा कई हमले हुए. मुगलों ने इस मंदिर को काफी नुकसान पहुँचाया था. इसी क्रम में मुग़ल बादशाह ओरंगजेब ने 1706 ईस्वी में सोमनाथ पर भयंकर आक्रमण किया था. इस आक्रमण में उसने मंदिरों को तुडवा दिया था. और वहा की सम्पति को लुट लिया था. यही नही आस पास के हिन्दू गाँवो को नष्ट कर ब्रामनो का कत्ले आम करवा दिया था.
आजादी के बाद सोमनाथ का पुननिर्माण
भारत के लौह पुरुष और प्रथम उप प्रधान मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने 13 नवंबर, 1947 को मंदिर के पुनर्निर्माण का प्रस्ताव रखा था. आज का सोमनाथ मंदिर सातवें स्थान पर अपने मूल स्थान पर बना हुआ है. जब 1 दिसंबर 1955 को सोमनाथ मंदिर पूर्ण बनकर तैयार हुआ. तब तत्कालीन भारतीय राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने मंदिर का उद्घाटन कर देश को समर्पित किया.
1951 में जब भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने ज्योतिर्लिंग को शुद्ध करने का प्रस्ताव रखा, तो उन्होंने कहा, “सोमनाथ का यह मंदिर विनाश पर निर्माण का विजय प्रतीक है”. मंदिर श्री सोमनाथ *ट्रस्ट के तहत बनाया गया है. और यह ट्रस्ट वर्तमान में सोमनाथ मंदिर का संचालन कर रहा है. वर्तमान में ट्रस्ट के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री *केशुभाई पटेल हैं. और सरदार वल्लभ भाई पटेल इस ट्रस्ट के पहले अध्यक्ष थे.
प्रमुख आकर्षण (सोमनाथ के आस पास)
सोमनाथ बीच (somnath beach)
सोमनाथ बीच अपने आप को आराम करने और आराम करने के लिए काफी अद्भुत जगह है. यह ध्यान देने योग्य है कि उच्च और हिंसक लहरों के कारण इस जगह के आसपास के पानी को तैरने के लिए बिल्कुल अनुशंसित नहीं किया जाता है. यहा शाम के समय सनसेट का नजारा अद्भुत होता है.
पंच पांडव गुफा (panch pandav gufa)
बाबा नारायणदास नामक एक संत द्वारा खोजा गया, यह स्थान पांच पांडव भाइयों को समर्पित है. यह जानना वास्तव में दिलचस्प है कि. इस जगह से पूरे शहर का नजारा आसानी से देखा जा सकता है.
लक्ष्मीनारायण मंदिर (lakshmi narayana temple )
इस मंदिर की प्रमुख विशेषता यह है कि, यह उन 18 स्तंभों के लिए प्रसिद्ध है. जिन पर भगवद्गीता के शिलालेख उकेरे गए हैं.
चोरवाड़ बीच (chorwad beach)
यह कहना गलत नहीं होगा कि, चोरवाड़ बीच वास्तव में गुजरात में अनुभव करने के लिए सबसे सांस्कृतिक रूप से संपन्न स्थानों में से एक है. हालाँकि, इस जगह का पानी भी तैरने के लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं है.
सूरज मंदिर (surya mandir)
त्रिवेणी घाट के पास स्थित यह वास्तव में यहां स्थित एकमात्र सूर्य मंदिरों में से एक है. आध्यात्मिक रूप से प्रवृत्त किसी को भी इस स्थान की आभा पसंद आएगी.
अहिल्या बाई का मंदिर – इस मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने 18वीं शताब्दी के अंत में करवाया था. सोमनाथ मंदिर के दाईं ओर एक संकरी गली है जो एक छोटे से गुंबददार मंदिर की ओर जाती है. इस मंदिर के अन्दर एक शिवलिंग है. कुछ लोगों का मानना है कि, यहां का शिवलिंग सोमनाथ का मूल शिवलिंग है.
unknown facts about somnath temple in hindi
जब सरदार वल्लभभाई पटेल ने सोमनाथ मंदिर के पुननिर्माण के लिए प्रस्ताव रखा था. तब पंडित जवाहर लाल नेहरु ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था. इस बात का जिक्र के. एम. मुंशी ने अपनी किताब “piligrimage to freedom” में किया है. शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ मंदिर भारतीय वास्तुकला का उत्तम नमूना है. इसे अनन्त तीर्थ के रूप में भी जाना जाता है. यह वह स्थान माना जाता है जहां भगवान कृष्ण ने अपनी लीला समाप्त की और उसके बाद स्वर्गीय निवास के लिए. कहा जाता है कि इस पौराणिक मंदिर को इतिहास में कई बार तोड़ दिया गया था.
लेकिन उत्साही हिंदू राजाओं ने हर बार मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था. आधुनिक दिन सोमनाथ मंदिर 1947 से 1951 तक पांच वर्षों में बनाया गया था और इसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने किया था. प्रसिद्ध कहा जाता है कि यह एक जादुई पत्थर था, जो सोने का उत्पादन करने में सक्षम था. यह भी माना जाता है कि, पत्थर में रेडियोधर्मी गुण होते हैं.
और यह अपने चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र बना सकता है. जिससे इसे जमीन से उपर लटकने मा सहायता मिलती है. सोमनाथ मंदिर का उल्लेख हिंदु धर्म के सबसे प्राचीन ग्रंथों जैसे- श्रीमद भागवत, स्कंदपुराण, शिवपुराण और ऋग्वेद में मिलता है. विद्वानों के अनुसार, सोमनाथ का मंदिर प्राचीन काल से ही एक तीर्थ स्थल रहा था. क्योंकि इसे तीन पौराणिक नदियों कपिला, हिरण और पौराणिक सरस्वती का संगम स्थल कहा जाता था. इस स्थान को त्रिवेणी संगम कहा जाता था
और माना जाता है कि, यह वह स्थान है जहां चंद्र देव सोम ने स्नान किया था. और अपनी चमक वापस पाई थी. किंवदंती यह है कि, मंदिर की प्रारंभिक संरचना सबसे पहले चंद्रदेव भगवान द्वारा बनाई गई थी. जैसा कि स्कंद पुराण के प्रभास खंड की परंपराओं से लिया गया था. मंदिर 1024 में महमूद गजनी, 1296 में खिलजी की सेना, 1375 में मुजफ्फर शाह, 1451 में महमूद बेगड़ा और 1665 में औरंगजेब के हाथों नष्ट हो गया था.
यह मंदिर ऐसी जगह पर स्थित है कि, सोमनाथ समुद्र तट के बीच अंटार्कटिका तक सीधी रेखा में कोई भूमि नहीं है। संस्कृत में एक शिलालेख में, सोमनाथ मंदिर में समुद्र-सुरक्षा दीवार पर बने “बाण-स्तंभ” नामक “तीर-स्तंभ” पर पाया गया है. ऐसा माना जाता है कि, जब भगवान ब्रह्मा एक को समाप्त करने के बाद एक नई दुनिया का निर्माण करेंगे, तो सोमनाथ प्राण नाथ मंदिर का नाम प्राप्त करेंगे.
मंदिर की दीवारों पर शिव के साथ-साथ भगवान ब्रह्मा और विष्णु की मूर्तियां भी देखी जा सकती हैं. स्कंद पुराण के प्रभासखंड के अनुसार, पार्वती के प्रश्न का उत्तर देते हुए, भगवान शिव ने खुलासा किया कि अब तक सोमनाथ का 8 बार नामकरण किया गया है. स्कंद पुराण में एक अन्य संदर्भ के अनुसार, लगभग 6 ब्रह्मा हुए हैं. यह सातवें ब्रह्मा का युग है जिसे शतानंद कहा जाता है. भगवान शिव यह भी बताते हैं कि 7वें युग में, मंदिर का नाम सोमनाथ और अंतिम युग में शिवलिंग को मृत्युंजय कहा जाता था.
सोमनाथ मंदिर कैसे पहुंचे
सोमनाथ का शाब्दिक अर्थ (meaning) है. चंद्रमा का भगवान यानी शिवजी. सोमनाथ मंदिर (somnath temple) अपनी आध्यात्मिकता और बेदाग वास्तुकला के साथ इसके अर्थ को सही ठहराता है. आप सोमनाथ मंदिर तक कैसे पहुँच सकते हैं, इसके बारे में नीचे दिए गए विवरण देखें.
by aeroplane
दीव हवाई अड्डा (DIU) लगभग 70-80 किमी दूर स्थित सोमनाथ मंदिर से निकटतम हवाई अड्डा है. यह हवाई अड्डा अन्य शहरों और आसपास के क्षेत्रों से काफी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. फ्लाइट से उतरने के बाद, आपको अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए कैब करके या परिवहन के किसी अन्य साधन से जा सकते है.
मुंबई से – बोर्ड इंडिगो, स्पाइसजेट, एयर इंडिया मुंबई हवाई अड्डे से उड़ानें मिलती है. हवाई किराए की शुरुआत INR 3,000 – INR 4,000 . से होती है.
दिल्ली से – बोर्ड स्पाइसजेट, एयर इंडिया दिल्ली हवाई अड्डे से उड़ानें मिलती रहती है. हवाई किराए INR5,000 से शुरू होते हैं – INR 6,000 तक हो सकती है.
by train
यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन वेरावल स्टेशन है. यह स्टेशन पश्चिम रेलवे जोन के भावनगर रेलवे डिवीजन के अंतर्गत आता है. और आसपास के शहरो से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. ट्रेन से उतरने के बाद आपको लगभग 5-10 किमी की दूरी तय करनी होगी. इसके लिए आप कैब या परिवहन का कोई अन्य साधन लेने पर विचार कर सकते हैं.
by road
अच्छी सड़क कनेक्टिविटी के कारण यहां सड़क मार्ग से यात्रा करना आपके लिए एक परेशानी मुक्त अनुभव हो सकता है.- गिर सोमनाथ और इसके आस-पास के क्षेत्र मोटर योग्य राजमार्गों से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं. यदि आप आस-पास के क्षेत्रों में रह रहे हैं, तो अंतरराज्यीय/निजी बसों की बुकिंग पर विचार कर सकते है. जो लगातार कनेक्टिविटी के साथ आसानी से उपलब्ध हैं. आप अपनी सुविधा के अनुसार कैब या अपने वाहन से यात्रा करने पर भी विचार कर सकते हैं.
सोमनाथ मंदिर पर सर्वप्रथम किस मुस्लिम आक्रमणकारी ने आक्रमण किया और कब था?
जैसा कि, हम पहले भी चर्चा कर चुके है कि, सोमनाथ का मंदिर प्राचीन काल से मत्वपूर्ण था. इस कारण इस पर कई आक्रमण कारियों ने हमले किये थे. सोमनाथ मंदिर पर सर्वप्रथम 725 ईस्वी में अरबी सुल्तान अल जुनैद ने आक्रमण किया था. लेकिन इस आक्रमण का इतिहास में कही जिक्र नही मिलता है. प्राप्त साक्ष्यो के आधार पर देखा जाए तो, सोमनाथ मंदिर पर सर्वप्रथम तुर्की शासक मुहमद गजनी ने 1024 ईस्वी में आक्रमण किया था.
सोमनाथ मंदिर किसने बनवाया था?
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सोमनाथ मंदिर (somnath temple) का निर्माण ईसा पूर्व राजा सोमदेव जिन्हें चन्द्र देव भी कहा जाता है. उन्होंने भगवान शंकर जी की समर्पित मंदिर को सर्वप्रथम बनवाया था. इन्ही के नाम पर इस का नाम सोमनाथ का मंदिर रखा गया था.
सोमनाथ मंदिर कहाँ है?
भगवान शिव का प्रसिद्ध एव हिन्दुओं का पवित्र स्थान सोमनाथ, गुजरात राज्य के गिर सोमनाथ जिले में, वेरावल बंदरगाह के निकट, प्रभास पाटन नामक स्थान पर अवस्थित है.
सोमनाथ मंदिर को कब व कितनी बार लूटा गया ?
इतिहासकारो के अनुसार, somnath temple पर करीब 17 मुस्लिम आक्रमण हुए तथा लूटा गया था. जबकि 17 बार इस मंदिर का पुनर्निर्माण एव जीर्णोद्धार करवाया गया था. somnath temple पर मुस्लिम आक्रमण कारियो द्वारा किये आक्रमण निम्न है. 725 ईस्वी में अल जुनैद ने, गजनी के महमूद (1024), अफजल खान, अला-उद-दीन खिलजी (1296), मुजफ्फर शाह (1375), महमूद बेगड़ा (1451) और बाद में औरंगजेब द्वारा (1665). इन आक्रमणकारियों ने न केवल इसकी नष्ट किया बल्कि यहाँ से काफी धन को भी लूटा था. इस मंदिर की खास बात यह है कि, जितनी बार इसे नष्ट किया गया. उतनी बार इसका पुनर्निर्माण किया गया.
महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर कितनी बार आक्रमण किया?
तुर्की के सुल्तान मुहमद गजनी ने, उस समय सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत पर, 17 बार आक्रमण किये थे. इस दौरान उसने सोमनाथ मंदिर पर भी कई हमले किए थे. और यहाँ से अथाह धन सम्पति लूट कर ले गया था.

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