गुरु राहु चांडाल दोष से आज मिलेगी मुक्ति :-पंडित कौशल पाण्डेय
जिनकी जन्मकुंडली में गुरु राहु का चांडाल योग होता है उनके जीवन में कई परेशानियाँ देखि गई है।
जानिए कैसे बनता है गुरु राहु का चाण्डाल योग ?
जिस जन्मलग्न कुंडली में राहु-गुरु की युति से बनने वाले इस योग को गुरु चांडाल योग कहा जाता है.
आज 30 अक्टूबर को राहु राशि परिवर्तन करने जा रहा है. जिससे राहु और गुरु की अशुभ युति समाप्त हो जाएगी.
चाण्डाल योग या दोष
बृहस्पति और राहु जब साथ होते हैं या फिर एक दूसरे को किन्ही भी भावो में बैठ कर देखते हो, तो गुरू चाण्डाल योग निर्माण होता है। चाण्डाल का अर्थ निम्नतर जाति है इस योग से जातक बुरी संगति में पड़कर नशा और पाप कर्म करने लगता है जिससे
गुरु चंडाल योग को संगति के उदाहरण से आसानी से समझ सकते हैं। जिस प्रकार कुसंगति के प्रभाव से श्रेष्ठता या सद्गुण भी दुष्प्रभावित हो जाते हैं। ठीक उसी प्रकार शुभ फल कारक गुरु ग्रह भी राहु जैसे नीच ग्रह के प्रभाव से अपने सद्गुण खो देते है। जिस प्रकार हींग की तीव्र गंध केसर की सुगंध को भी ढक लेती है और स्वयं ही हावी हो जाती है, उसी प्रकार राहु अपनी प्रबल नकारात्मकता के तीव्र प्रभाव में गुरु की सौम्य, सकारात्मकता को भी निष्क्रीय कर देता है। राहु चांडाल जाति, स्वभाव में नकारात्मक तामसिक गुणों का ग्रह है, इसलिए इस योग को गुरु चांडाल योग कहा जाता है।
जिस जातक की कुंडली में गुरु चांडाल योग यानि कि गुरु-राहु की युति हो वह व्यक्ति क्रूर, धूर्त, मक्कार, दरिद्र और कुचेष्टाओं वाला होता है। ऐसा व्यक्ति षडयंत्र करने वाला, ईष्र्या-द्वेष, छल-कपट आदि दुर्भावना रखने वाला एवं कामुक प्रवत्ति का होता है, उसकी अपने परिवार जनो से भी नही बन पाती तथा वह खुद को अकेला महसूस करने लग जाता है और उसका मन हमेशा व्याकुल रहता है।
उपाय - गुरु चांडाल योग के जातक के जीवन पर जो भी दुष्प्रभाव पड़ रहा हो उसे नियंत्रित करने के लिए जातक को भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए। अगर चाण्डाल दोष गुरु या गुरु के मित्र की राशि या गुरु की उच्च राशि में बने तो उस स्थिति में हमे राहु का उपाय करके उनको ही शांत करना पड़ेगा ताकि गुरु हमे अच्छे प्रभाव दे सके।
राहु देवता की शांति के लिए मंत्र-जाप पुरे होने के बाद हवन करवाना चाहिए तत्पश्चात दान इत्यादि करने का विधान बताया गया है. अगर ये दोष गुरु की शत्रु राशि में बन रहा हो तो हमे गुरु और राहु दोनों के उपाय करने चाहिए। गुरु-राहु से संबंधित मंत्र-जाप, पूजा, हवन तथा दोनों से सम्बंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए।
गुरु चांडाल योग के दुष्प्रभाव को कम करने के उपाय
प्रतिदिन केसर और हल्दी का तिलक माथे पर लगाने से गुरु चांडाल योग का प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगता है.
इस योग के प्रभाव को कम करने के लिए बड़े बुजुर्ग, माता-पिता, गुरुजनों और ब्राह्मणों का आदर-सम्मान करना चाहिए.
गुरुवार के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करने से भी यह दोष कम होता है.
केले के पौधे की प्रतिदिन पूजा करें. इससे भी गुरु चांडाल योग का प्रभाव कम होगा.
राहु केतु गोचर 12 राशियों पर प्रभाव :
मेष :
इस लग्न के जातकों के लिए, राहु-केतु लग्न/7 से 12/6 में आ जाएंगे, गुरु चांडाल दोष से मुक्ति मिल जाएगी, व्यापार में तरक्की, कार्यक्षेत्र में सफलता मिलेगी, नौकरी में कोई बड़ी उन्नति और तरक्की मिल सकती है। पर, सेहत, और अनावश्यक खर्चों का ध्यान रखें। पत्नी की सेहत में भी सुधार होगा, शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के योग है।
वृषभ :
केतु राहु 6/12 से का गोचर पंचम/एकादश भाव में होगा। पंचम भाव से प्रेम,संतान,शिक्षा का विचार किया जाता है। इस भाव में विराजमान केतु की दृष्टि आपके नवम भाव, एकादश भाव और लग्न भाव पर होगी, आय में वृद्धि के योग भी बनेंगे, व्यापार में भी सफलता हासिल होगी। पर, शेयर, सट्टा, जुए आदि से दूर रहेंगे, तो बेहतर होगा !
मिथुन :
मिथुन 5/11 से 4/10 में होगा, में राहु राजयोग कारक है, राजनीति में सफलता, मान-सम्मान, गाड़ी-बंगला पाने के योग हैं, आप प्रसन्नता से अपना जीवन जिएंगे. घर में खुशहाली रहेगी, कारोबार बढ़ेगा, आय में वृद्धि होगी, लाभदायी यात्रा करेंगे. इस समय वाहन सावधानी से चलाए। कार्यस्थल पर आपके खिलाफ साजिश हो सकती है। आप के लिए आने वाला समय शुभ रहने वाला है।
कर्क :
राहु-केतु का गोचर, 4/10 से 3/9 में होने जा रहा है. इस राशि के जातकों के लिए केतु का गोचर अब तीसरे भाव में होने जा रहा है। इस भाव से संवाद, लेखन, भाई, साहस और छोटी यात्रा का विचार किया जाता है। केतु इस भाव में बैठकर आपके सप्तम, नवम और एकादश भाव को देखने वाले है। राहु भी नवम में शुभ फल देता है, पर यह शत्रु ग्रह हैं, जिनके अच्छे फल उपायों के बाद ही मिल पाते हैं.
सिंह :
दूसरे भाव में भाव से वाणी, संचित धन और परिवार का सुख देखा जाता है। इस गोचर काल में आपकी वाणी में कटुता आ सकती है, परिवार में किसी कलह का जन्म हो सकता है। वैसे, दूसरे भाव में केतु प्रायः पेट-पाचन सम्बन्धी समस्याएं और अष्टम राहु गुप्त विद्याओं में रुचि करवा सकता है. स्वास्थ्य का ध्यान रखें, गाड़ी ध्यान से चलाएं.
कन्या :
लग्न में केतु और सप्तम में राहु, सफलता तो अवश्य मिलेगी. आत्मविश्वास बढ़ेगा, पर, ध्यान रखें, घमंड न आने दें. विवाह अभी तक नहीं हुआ है, तो शहनाई बजने की पूरी सम्भावना है.
वैसे, यह गोचर आपके पद और प्रभाव में वृद्धि लाएगा.
तुला :
विदेश यात्रायें हो सकती हैं. ऋण, रोग शत्रु से छुटकारा मिलेगा. आप उदार होंगे और गरीबों की भलाई में आपका धन खर्च होगा। इस गोचर काल में विदेशी संबंधों से मुनाफा दिखाई पड़ रहा है। जब तक बहुत आवश्यक न हो, कर्ज न लें.
वृश्चिक :
एकादश में केतु धन लाभ और पंचम में राहु उन्नति दे सकता है, पर इनके लिए उपाए करने जरूरी हैं. संतान और बड़े भाई बहनों की ओर से कोई चिंता वाली बात उठ सकती है, मित्रों से ग़लतफहमी न हो, इसका ध्यान रखें.
धनु :
केंद्र में बैठे राहु-केतु खूब तरक्की दिला सकते हैं, पर चिंता कारक भी हो सकते हैं, माता-पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें, उपायों से लाभ होगा. बिना सोचे समझे किसी को धन उधार न दें। गाड़ी चलाते समय सावधनी बरतें, कार्यालय में सचेत रहें, छड़यन्त्रों से सावधान रहें !
मकर :
तीसरे घर में राहु और नवम में केतु बहुत लाभ देने वाले हैं, ऊंची छलांग लगाने का समय आ चुका है, बस तैयार रहें. कुंडली के अनुसार गोमेद, या लहसुनिया धारण करें. छोटे भाई-बहनों की ओर से अच्छा समाचार मिल सकता है. भाग्य साथ देगा.
कुम्भ :
धन की वर्षा हो सकती है, बस लपकने को तैयार रहें, कैच छूट न जाये, इसके लिए गोमेद/लहसुनिया धारण करें. गुप्त साधना और ज्योतिष विद्या में रत जातकों को सफलता मिलेगी। इस समय आपकी वाणी के प्रभाव से आप किसी बड़े कार्य को सिद्ध करके दिखाएंगे।
मीन राशि :
स्वास्थ्य और वैवाहिक जीवन में मुश्किलें आ सकती हैं. पर, अविवाहित हैं, तो विवाह की तैयारी कर लें, एक अच्छा जीवन साथी मिलने वाला है. देवगुरु बृहस्पति मेष, यानि मीन राशि के धन भाव में हैं। राहु भी धन भाव में विराजमान हैं। इसके लिए आय में स्थिरता नहीं है। जब राहु मेष से निकलकर मीन में जाएंगे, तो सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति के योग हैं, पर यह उपायों से ही संभव होगा।
उपाए, या रत्न :
यह कुंडली देख कर ही बताया जा सकता है. वैसे, वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, और कुम्भ लग्न वालों को गोमेद, या लहसुनिया धारण करना चाहिए, जबकि शेष छह लग्न वालों को इनके उपाए करने चाहिए.
नोट : गोचर का प्रभाव आमतौर पर चंद्र राशि से देखा जाता है, पर हमारे विचार में लग्न के आधार पर अधिक सटीक बैठता है. पर आप इसे राशि, सूर्य लग्न, जन्म तिथि और नाम की राशि के हिसाब से भी देख सकते हैं.
यह केवल दो ग्रहों के गोचर का फल है, कुंडली में 7 ग्रह और भी हैं, उनका प्रभाव भी होता ही है, सब कुछ इसी गोचर पर निर्भर नहीं है.
आप को यह पोस्ट कैसी लगी ?
कॉमेंट्स में अपने विचार अवश्य लिखें. कुछ आपके अनुभव, या विचार इस बारे में हों, वोह भी बताएं. अच्छा लगे, तो 'लाइक', कमेन्ट और शेयर करें.
0 टिप्पणियाँ