पापाकुंशा एकादशी

पापाकुंशा एकादशी 

शास्त्रों में पापांकुशा एकादशी को बहुत अहम माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जिंदगी भर परिवार पर धन बरसता है।

सनातन धर्म में हर महीने आने वाली एकादशी का बहुत महत्व है। इस दिन घर में खीर बनाई जाती है और भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। कहते हैं कि इस दिन व्रत करने वालों को यमलोक की यातनाएं नहीं सहनी पड़ती। इस महीने में एक नहीं बल्कि 2 एकादशी पड़ने जा रही हैं। इनमें से एक इंदिरा एकादशी है और दूसरी पापांकुशा एकादशी। 

पापाकुंशा एकादशी की तिथि
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ज्योतिष शास्त्रियों के मुताबिक इस महीने में पापांकुशा एकादशी 25 अक्टूबर 2023 को मनाई जाएगी। इसका शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर 25 अक्टूबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा।



पापाकुंशा एकादशी


एकादशी की पूजा विधि
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पापांकुशा एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रिया के बाद स्नान करें। इसके साथ ही अपना व्रत शुरू कर दें। यह व्रत आप एक समय फलाहार या दोनों समय फलाहार वाला कर सकते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने पूजा करके विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। एकादशी वाले दिन पीले वस्त्र पहनना और गाय को भोजन करवाना शुभ माना जाता है।

पापांकुशा एकादशी माहात्म्य
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अर्जुन ने कहा- "हे जगदीश्वर! आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है तथा इस व्रत के करने से कौन से फलों की प्राप्ति होती है? कृपया यह सब विधानपूर्वक कहिए।"

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा- "हे कुंतीनंदन! आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पापांकुशा है। इसका व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं तथा व्रत करने वाला अक्षय पुण्य का भागी होता है।

इस एकादशी के दिन इच्छित फल की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। इस पूजन के द्वारा मनुष्य को स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। हे अर्जुन! जो मनुष्य कठिन तपस्याओं के द्वारा फल की प्राप्ति करते हैं, वह फल इस एकादशी के दिन क्षीर-सागर में शेषनाग पर शयन करने वाले भगवान विष्णु को नमस्कार कर देने से मिल जाता है और मनुष्य को यम के दुख नहीं भोगने पड़ते। हे पार्थ! जो विष्णुभक्त शिवजी की निंदा करते हैं अथवा जो शिवभक्त विष्णु भगवान की निंदा करते हैं, वे नरक को जाते हैं।

हजार अश्वमेध और सौ राजसूय यज्ञ का फल इस एकादशी के फल के सोलहवें भाग के बराबर भी नहीं होता अर्थात इस एकादशी व्रत के समान संसार में अन्य कोई व्रत नहीं है।

इस एकादशी के समान विश्व में पवित्र तिथि नहीं है। जो मनुष्य एकादशी व्रत नहीं करते हैं, वे सदा पापों से घिरे रहते हैं। जो मनुष्य किसी कारणवश केवल इस एकादशी का भी उपवास करता है तो उसे यम के दर्शन नहीं होते।

इस एकादशी के व्रत को करने से मनुष्य को निरोगी काया तथा सुंदर नारी और धन-धान्य की प्राप्ति होती है और अंत में वह स्वर्ग को जाता है। जो मनुष्य इस एकादशी के व्रत में रात्रि जागरण करते हैं, उन्हें सहज ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

इस एकादशी के व्रत करने वाले मनुष्यों के मातृपक्ष के दस पुरुष, पितृपक्ष के दस पुरुष तथा स्त्री पक्ष के दस पुरुष, भगवान विष्णु का रूप धरकर व सुंदर आभूषणों से परिपूर्ण होकर विष्णु लोक को जाते हैं।

जो मनुष्य आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पापांकुशा एकादशी का विधानपूर्वक उपवास करते हैं, उन्हें विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।

जो मनुष्य एकादशी के दिन भूमि, गौ, अन्न, जल खड़ाऊं, वस्त्र, छत्र आदि का दान करते हैं, उन्हें यम के दर्शन नहीं होते।

दरिद्र मनुष्य को भी यथाशक्ति कुछ दान देकर कुछ पुण्य अवश्य ही अर्जित करना चाहिए।

जो मनुष्य तालाब, बगीचा, धर्मशाला, प्याऊ आदि बनवाते हैं, उन्हें नरक के कष्ट नहीं भोगने पड़ते। वह मनुष्य इस लोक में निरोगी, दीर्घायु वाले, पुत्र तथा धन-धान्य से परिपूर्ण होकर सुख भोगते हैं तथा अंत में स्वर्ग लोक को जाते हैं। भगवान श्रीहरि की कृपा से उनकी दुर्गति नहीं होती।"

पापांकुशा एकादशी महत्व
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धार्मिक विद्वानों के मुताबिक जो व्यक्ति पापांकुशा एकादशी का व्रत रखते हैं, उन्हें अपने पापों से मु्क्ति मिल जाती है। ऐसे लोगों को कभी यमराज के दर्शन नहीं होते. मान्यता है कि इस दिन निराहार व्रत करने से भगवान विष्णु जातकों से बहुत प्रसन्न होते हैं और उनके दुख-दर्दों को हमेशा के लिए हर लेते हैं। ऐसे लोगों को कभी भी धन-दौलत, सुख, सौभाग्य की कमी नहीं रहती है।
पंडित के एन पाण्डेय (कौशल) ज्योतिष सलाहकार

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