श्रावण मास में #कालशर्प दोष निवारण

देवों के देव महादेव शिव जी का अतिप्रिय पावन "श्रावण मास " में #कालशर्प  दोष निवारण के लिए #सोमवती_अमावश्या या #नागपंचमी  के दिन पूजा कराने कराने से इस दोष का निवारण होता है 🌹
🌷 17 जुलाई 2023 के दिन  सोमवती अमावश्या है और  21 अगस्त 2023 को #नागपंचमी है.

ज्योतिष में #शर्पदोष, #पितृदोष, #कालशर्पदोष  या चन्द्रमा के साथ राहु केतु की युति मानशिक तनाव देता है ऐसे दोषों के निवारण के लिए श्री राम हर्षण शांति कुञ्ज सामाजिक संस्था द्वारा श्री शिव शक्ति मंदिर प्रांगड़ में रुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। 
कृपया पहले से अपना स्थान बुक करा कर इस दोष का निवारण करा सकते है।  

"श्रावण मास " में #कालशर्प  दोष निवारण
कालसर्प दोष पूजा विधि
कालसर्प निवारण के लिए #रुद्राभिषेक 
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
नाग नागिन के जोड़े को जल प्रवाह करना ।
नाग गायत्री मंत्र का जाप 5100 जाप  - "ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात"।

12 भाव के अनुसार उपाय 
1. राहु लग्न में और केतु सप्तम में: ऐसी स्थिति में शारीरिक कष्ट, अपयश, स्त्री से अनबन, सिर में चोट, विषपान, चलते-चलते झगड़े आदि होने की संभावना रहती है। गोमेद पहनने से कुछ शांति मिलती है।  चांदी की ठोस गोली पास रखें। 

2 . राहु धन स्थान में और केतु अष्टम में: इसमें चोरी, धन गमन, मुकदमे, धन का व्यय, भूत-प्रेतों से परेशानी, अकारण मृत्यु, गले, आंख, नाक, कान की बीमारियांे आदि का भय रहता है। 
यहां केतु का उपाय होगा। केतु दोरंगी या बहुरंगी वस्तुओं का कारक है, अतः ऐसा कंबल जो दोरंगा या बहुरंगी हो, मंदिर में दें।

 
3 राहु तृतीय में और केतु नवम् में: भाई-बहन से झगड़ा, आलस्य, शरीर की शिथिलता, पिता से दूरी, हाथों में कष्ट आदि हो सकते हैं।
  यहां केतु का उपाय होगा। यहां केतु बृहस्पति के पक्के भाव में है, इसलिए सोना, जो बृहस्पति का कारक है, धारण करने से केतु का प्रभाव शुभ हो जाएगा। 

4 राहु चतुर्थ में और केतु दशम में: जमीन जायदाद के झगड़े, माता को कष्ट, पिता के घर छोड़ने, फेफड़ों के रोग आदि की संभावना रहती है।
 इस स्थिति में राहु का उपाय नहीं, बल्कि दशम भाव के केतु का उपाय करें। चांदी की डिब्बी में शहद भर कर उसमें लाल कपडे से बांधकर  घर से बाहर जमीन में दबाएं। 

5 राहु पंचम में और केतु एकादश में: संतान कष्ट, संतान से झगड़ा, परीक्षाओं में असफलता, सट्टे में हानि, आमदनी में कमी, उदर रोग आदि का भय रहता है।
  पंचम भाव में राहु और एकादश भाव में केतु: यहां राहु का उपाय होगा। घर में चांदी का ठोस हाथी रखना चाहिए। 
 
6 राहु षष्ठ में और केतु द्वादश में: लंबी बीमारी, शत्रु से परेशानी, मुकदमा, धंधे की कमी, विदेश गमन से कष्ट, जेल यात्रा और गुर्दे, हर्निया, अपेंडिसाइटिस के रोग की संभावना रहती है ,  बेशक छठे भाव में राहु हर मुसीबत को काटने वाला चूहा है, किंतु फिर भी उसमें कुछ बुरे प्रभाव देने की प्रवृत्ति होती है। राहु के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए बुध को शक्तिशाली करना चाहिए। इसके लिए बहन की सेवा करें या कोई फूल अपने पास रखें। बुध को इसलिए शक्तिशाली किया जाता है कि यहां पर काल पुरुष कुंडली के हिसाब से बुध की कन्या राशि आती है और बुध राहु से मित्रता रखता है।

7 राहु सप्तम में और केतु लग्न में: स्त्री से झगड़ा, तलाक, गर्भपात, परस्त्री भोग एवं बदनामी, योनि तथा जननेंद्रिय संबंधी रोग, व्यापार में तनाव आदि का भय रहता है।  इस स्थिति के काल सर्प योग में दोनों ग्रहों के उपाय करने होंगे। 
प्रथम भाव, काल पुरुष कुंडली के हिसाब से, मंगल का घर है। इसलिए केतु को शांत करने के लिए लोहे की गोली पर लाल रंग कर के अपने पास रखना चाहिए क्योंकि लाल रंग मंगल का कारक है, जिसके द्वारा केतु को दबाया जा सकता है। 
सप्तम भाव में राहु होने पर बृहस्पति और चंद्र के असर को मिला कर राहु के अशुभ प्रभाव को कम करना होगा। इसके लिए चांदी की एक डिब्बी में गंगा जल या बहती नदी या नहर का पानी डाल कर, जो गुरु का कारक है, उसमें चांदी का एक चैकोर टुकड़ा डाल कर, ढक्कन लगा कर घर में रखना चाहिए। 
ध्यान रहे कि डिब्बी का पानी सूखे नहीं; अर्थात डिब्बी में पानी डालते रहें। 

8  राहु अष्टम में और केतु द्वितीय में  भूत-प्रेतों से परेशानी, दुर्घटनाएं, विदेश गमन, स्त्री सुख का अभाव, धन हानि, पेशाब के रोग आदि हो सकते हैं। 
अष्टम भाव में राहु और द्वितीय भाव में केतु: यहां राहु का उपाय करना होगा। राहु के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए 800 ग्राम सिक्के के आठ टुकड़े कर के एक साथ बहते पानी में डालने चाहिए। 

9  राहु नवम में और केतु तृतीय में: पिता को कष्ट, पिता से झगड़े, उनकी मृत्यु, तरक्की में बाधा, पद में गिरावट, समाज में निंदा, जंघा, पैर, घुटने आदि के कष्ट की संभावना रहती है।
नवम भाव में राहु और तृतीय भाव में केतु: यहां केतु का उपाय होगा। केतु के मित्र गुरु की सहायता से केतु को शांत करने के लिए तीन दिन, लगातार, चने की दाल बहते पानी में डालनी चाहिए।

10 राहु द्वादश में और केतु षष्ठ में  मुकदमेबाजी, जेल यात्रा, विदेश गमन, विशेष खर्च, मृत्यु, सुदामा जैसी निर्धनता, आंखों के कष्ट आदि की संभावना रहती है। राहु यदि मिथुन, कन्या, वृष या तुला राशि में हो, तो क्रूरता में कमी आती है।  राहु दशम में और केतु चतुर्थ में: पिता से झगड़ा, उनका घर छोड़ना, कार्य हेतु विदेश गमन, राजनीति में विशेष झगड़े, निलंबित होना, हृदय, फेफड़े आदि के रोग, काम धंधे की कमी आदि हो सकते हैं।  यहां केतु के अशुभ असर को दूर करने के लिए चतुर्थ भाव की बुनियाद को मजबूत करना होगा। इसके लिए पीतल के बरतन में बहती नदी या नहर का पानी भर कर घर में रखना चाहिए। ऊपर पीतल का ढक्कन होना चाहिए क्योंकि काल पुरुष कुंडली के हिसाब से यहां पर गुरु की उच्च की राशि कर्क आती है। पीतल का बरतन तथा बहता पानी दोनों ही गुरु के कारक हैं। केतु गुरु का मित्र है, अतः इस उपाय से शुभता आ जाएगी। 

11 राहु एकादश में और केतु पंचम मेंः बड़े भाई से झगड़ा, आय में कमी, नौकरी में परेशानी, सभी तरह के नुकसान, संतान कष्ट, बाहु-भुजा कष्ट, बदनामी आदि का भय रहता है।  एकादश भाव में राहु और पंचम भाव में केतु: यहां राहु के अशुभ प्रभाव को दूर करना होगा, जिसके लिए 400 ग्राम सिक्के के दस टुकड़े करा कर एक साथ बहते पानी में डालने चाहिए। 

12 द्वादश भाव में राहु और छठे भाव में केतु: यहां दोनों की स्थिति अशुभ होने के कारण दोनों ग्रहों का उपाय करना चाहिए। राहु के दोष को दूर करने के लिए बोरी के आकार की लाल रंग की एक थैली बना कर उसमें सौंफ या खांड भर कर जातक को अपने सोने वाले कमरे में रखनी चाहिए। 
ध्यान रहे कि कपड़ा चमकीला न हो क्योंकि लाल रंग मंगल का कारक है और सौंफ तथा खांड की मदद से राहु के अशुभ प्रभाव को दबाया जाता है। 

पंडित के एन पाण्डेय (कौशल) ज्योतिष सलाहकार

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