होलिका दहन वाले दिन करे यह चमत्कारी उपाय

 इस साल कब है होली? क्या है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, जान लें भद्रा काल
होली का शुभ मुहूर्त एवं होलाष्ठक :- पंडित कौशल पाण्डेय 09968550003
इस वर्ष 25  मार्च को होली का महापर्व मनाया जाएगा. यह त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है.
होलाष्टक:-  होलाष्टक का अर्थ होला+ अष्टक अर्थात होली से पूर्व के आठ दिन जिसे होलाष्टक कहा जाता है.जिसमे सभी शुभ कार्य वर्जित माने गए है। 
होलाष्टक 2024 कब से शुरू

होलाष्टक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 17 मार्च 2024 से शुरू होंगे और फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च 2024 पर समाप्त होगी. इस दिन होलिका दहन होगा और 25 मार्च 2024 को रंगवाली होली खेली जाएगी.


होलिका दहन वाले दिन करे यह चमत्कारी उपाय


होलाष्टक का महत्व

होलाष्टक के दिनों में वातावरण में नकारात्मकता ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है. यही वजह है कि इस दौरान शुभ कार्य पर रोक लग जाती है. अष्टमी तिथि को चन्द्रमा,नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध,चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र अवस्था में रहते हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार अगर कोई व्यक्ति होलाष्टक के दौरान कोई मांगलिक काम करता है तो उसे कई तरह की परेशानियां आती है, या फिर वह अधूर रह जाता है.

पूर्णिमा तिथि
फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है। इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा।

होलिका दहन 2024
24 मार्च को होलिका दहन है। इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक है। ऐसे में होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा।


होलिका कि पूजा क्यों –?
आज कल लोग होलिका की पूजा करते देखे जाते है जो हिन्दू धर्म के विपरीत है , जैसा कि हमारे धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि होलिका एक राक्षसी थी जिसे वर स्वरुप आग में न जलने का वरदान प्राप्त था लेकिन ईश्वर के खिलाफ जाने से वह तो जल गई और भक्त प्रह्लाद हरी नाम का सुमिरन करने के कारन आग से भी जिन्दा बच गए , इस लिए होलिका की पूजा न कर के भक्त प्रह्लाद के लिए पूजा करनी चाहिए , तभी से प्रति वर्ष यह पर्व भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होलीका को जला कर मनाया जाता है.

भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए पूजन विधि
होलिका के समीप, पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ अपना मुख करके बैठे. भगवान विष्णु और अग्निदेव से प्रार्थना करके होलिका में आहूति दें.
फ़ूल-माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चे सूत, गुड़ हल्दी की गांठे, बताशे, नारियल आदि के द्वारा होलिका में अर्पित करे
इसके उपरांत कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर लपेटते हुए होलिका की तीन या सात बार परिक्रमा करें
और मन में कामना करे कि जिस प्रकार से भगवान विष्णु और अग्निदेव ने भक्त प्रह्लाद कि रक्षा ठीक वैसे ही हमारे मन मंदिर में ईश्वर के प्रति श्रद्धा विश्वास पैदा करे।
होलिका दहन के लिए लोग हरे भरे पेड़ों को काट कर होलिका में डाल देते है ऐसा नहीं करना चाहिए वृक्ष काटनेसे पर्यावरणकी हानि होती है ।
शास्त्रों में विधान मिलता है कि अरंडी के पेड़ को बीच में खड़ा करने के उपरांत सुखी लकड़िया और गोबर के उपले चारों तरफ डाल कर होलिका बनाना चाहिए या घर में लकड़ी के बेकार सामान आदि होलिका में जलाकर यह त्यौहार मानना चाहिए

होलिका दहन वाले दिन करे यह चमत्कारी उपाय
नारियल के सखे गोले को बीच से काटकर उसमे तिल का तेल, काला तिल , 2 लोंग ,2 इलायची , कपूर मिलाकर
ऊपर से नारियल के ढक्कन को बंद कर के शरीर के लम्बाई के बराबर धागा नापकर नारियल में बांध दे और जलती हुई होलिका की 7 बार परिक्रमा लगाकर उत्तर या पूर्व की तरफ मुँह कर के होलिका में गोला डाल दे ऐसा करने से घर में घर सुख शांति रहती है।

साथ ही आज के दिन शरीर पर काली सरसो के उपटन से लेप लगाए और लेप के बाद तिल या सरसो का तेल लगाए और उपटन की मैल को आंटे की लोई में डालकर होलिका दहन में डाल देने से शरीर की व्याधि समाप्त होती है।

भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए अग्निदेव पूजन विधि
होलिका के समीप, पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ अपना मुख करके बैठे. भगवान विष्णु और अग्निदेव से प्रार्थना करके होलिका में आहूति दें.
फ़ूल-माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चे सूत, गुड़ हल्दी की गांठे, बताशे, नारियल आदि के द्वारा होलिका में अर्पित करे
इसके उपरांत कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर लपेटते हुए होलिका की तीन या सात बार परिक्रमा करें
और मन में कामना करे कि जिस प्रकार से भगवान विष्णु और अग्निदेव ने भक्त प्रह्लाद कि रक्षा ठीक वैसे ही हमारे मन मंदिर में ईश्वर के प्रति श्रद्धा विश्वास पैदा करे।
होलिका दहन के लिए लोग हरे भरे पेड़ों को काट कर होलिका में डाल देते है ऐसा नहीं करना चाहिए वृक्ष काटनेसे पर्यावरणकी हानि होती है ।
शास्त्रों में विधान मिलता है कि अरंडी के पेड़ को बीच में खड़ा करने के उपरांत सुखी लकड़िया और गोबर के उपले चारों तरफ डाल कर होलिका बनाना चाहिए या घर में लकड़ी के बेकार सामान आदि होलिका में जलाकर यह त्यौहार मानना चाहिए.

होलिका दहन  वाले दिन करे यह चमत्कारी उपाय 
होलिका दहन के समय गेहूँ की बाल को जलती हुई होलिका में सेंकना चाहि‌ए इसके उपरांत बाली सेंककर घर में फैलाने से अन्न और धन की वृद्धि होती है।

करे ये उपाय
नारियल के सखे गोले को बीच से काटकर उसमे तिल का तेल, काला तिल , 2 लोंग ,2 इलायची , कपूर मिलाकर 
ऊपर से नारियल के ढक्कन को बंद कर के शरीर के लम्बाई के बराबर धागा नापकर नारियल में बांध दे और जलती हुई होलिका की 7 बार परिक्रमा लगाकर उत्तर या पूर्व की तरफ मुँह कर के होलिका में गोला डाल दे ऐसा करने से घर में घर सुख शांति रहती है। 
साथ ही आज के दिन शरीर पर काली सरसो के उपटन से लेप लगाए और लेप के बाद तिल या सरसो का तेल लगाए और उपटन की मैल को आंटे की लोई में डालकर होलिका दहन में डाल देने से शरीर की व्याधि समाप्त होती है। 

होलिका दहन मुहूर्त


होलिका दहन मुहूर्त 
पंचांग के अनुसार, साल 2024 में होलिका दहन 24 मार्च को है उसके अगले दिन यानी 25 मार्च को रंगों की होली है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस बार होली पर चंद्र ग्रहण भी लगेगा। लेकिन आपको बता दें कि यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इस बार होली पर कई शुभ और अद्भुत संयोग बनने जा रहा है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि इस साल होली कब है साथ ही होली पर कौन-कौन अद्भुत संयोग बनेगा।

होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी और समाप्ति 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। 
24 मार्च को भद्रा का साया सुबह 11 बजकर 14 मिनट से लेकर रात के 11 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। 
उसके बाद ही होलिका दहन किया जाएगा। 
होलिका दहन का शुभ समय रात्रि के 11 बजकर 14 मिनट से लेकर मध्यरात्रि 12 बजकर 27 मिनट तक है।

रंगोत्सव होली 25 मार्च, 2024 
रंगों वाली होली 25 मार्च को खेली जाएगी. इस दिन लोग एक दूसरे के ऊपर रंग और गुलाल लगाकर एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं देंगे.

भारत में होली पर चंद्र ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होगा 
इस वर्ष 2024 में करीब 100 साल बाद सोमवार के दिन होली पर चंद्र ग्रहण का साया है। 
कई लोगों के मन में होगा कि होली पर चंद्रग्रहण है तो होली खेलना चाहिए या नहीं? 
चंद्र ग्रहण कब से कब तक रहेगा?
🌸पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ-* 24 मार्च 2024 को सुबह 09:54 बजे से। इस दिन रात में होलिका दहन होगा।
🌸पूर्णिमा तिथि समाप्त-* 25 मार्च 2024 को दोपहर 12:29 बजे तक। इस दिन दिन में होली मनाई जाएगी।
🌸चंद्र ग्रहण प्रारंभ:-* 25 मार्च 2024 सुबह 10:24 से।
🌸चंद्र ग्रहण समाप्त:-* 25 मार्च 2024 दोपहर 03:01 पर।
🌸चंद्र ग्रहण की अवधि:-* इस चंद्र ग्रहण की अवधि 4 घंटे और 36 मिनट होगी।
🌸सूतक काल:-* यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा तो इसका सूतकाल भी मान्य नहीं होगा। जहां चंद्र ग्रहण नजर आता है वहां पर 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है और मोक्ष काल तक यह रहता है अतः भारत में चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा।


एक विनम्र निवेदन 
सभी देश वाशियों से निवेदन है की होली का त्यौहार भारतीय संस्कृति के अनुसार मनाये ,आज के दिन भांग या शराब का सेवन न करे , जिससे माहोल ख़राब हो। कई बार देखने में आया है की लोग नशे में धुत हो कर छेड़खानी करते है और ड्राइविंग करते है जिससे उनकी जान भी चली जाती है यह जीवन बहुत अनमोल है इसे ख़ुशी से जिए , होली भाईचारे का प्रतिक है इसे सरलता से मनाये।

भक्त प्रह्लाद को भगवान विष्णु ने ऐसे संभाला कि होलिका का वरदान ही उसके लिए श्राप बन गया! जिस अग्नि से उसे अभयदान प्राप्त था, वही अग्नि उसकी भक्षक बन गई! 
अतः भगवान विष्णु की शरण लें, उनका सहस्रनाम ब्रह्मांड में गूंजयमान करें ताकि वही आप पर बरसें, आपका कल्याण करें। 
वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् 🙏
धन्यवाद

समस्त सनातन समाज को असत्य और अधर्म पर सत्य और भक्ति की जीत के प्रतीक पर्व होलिका दहन के पावन पर्व की आप सभी भक्तों को हार्दिक बधाई अनंत शुभकामनाएं।
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पंडित कौशल पाण्डेय
ज्योतिष,वास्तु शास्त्र राशि रत्न सलाहकार
राष्ट्रीय महासचिव -श्री राम हर्षण शांति कुंज,दिल्ली,भारत

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