जरा याद करो इन अमर शहीदों को

भारत एक धर्म परायण राष्ट्र है यहाँ प्रायःसभी धर्म जाति के लोग है सब अपने त्योहार मनाये किसी को कोई समस्या नहीं है लेकिन दूसरे धर्मों के लोग ख़ासकर मूर्ख हिन्दू भी ऐसा कर रहे है यह समझ के परे है ।
आज बाजार में हर तरफ बच्चों की सांता क्लोज़ की ड्रेस और प्लास्टिक की क्रिसमस ट्री नज़र आ रहे थे, सभी कपडे वाले अपनी दुकानों पर सांता क्लोज़ की ड्रेस बेच रहे है, क्योंकि 25 दिसम्बर को ज्यादातर स्कूलां में बच्चो को सांता क्लोज़ बनाया जाता है। कई बार भगवान की प्रतिमा को भी नकली सांता की ड्रेस पहना दिया जाता है जो बहुत ही गलत है। कृपया अपने विशाल सनातन धर्म की परंपरा के अनुसार ही त्योहार मनाये। जबकि दिसम्बर का ये सप्ताह (21 दिसम्बर से 27 दिसम्बर तक) वो बलिदानी सप्ताह है जिसमे आज से करीब 300 साल पहले, एक पुरे परिवार ने हिन्दू धर्म की रक्षा हेतु अपने को बलिदान कर दिया था। बलिदानी सप्ताह:- ----------- 21 दिसंबर - श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने परिवार सहित श्री आनंद पुर साहिब का किला छोड़ दिया। 22 दिसंबर:- गुरु साहिब अपने दोनों बड़े पुत्रों सहित चमकौर के मैदान मे मुगलो से युद्ध करने और गुरु साहिब की माता, दोनों छोटे साहिबजादे के साथ अपने रसोइए के घर पहुँचीं । चमकौर की जंग शुरू और दुश्मनों से जूझते हुए गुरु साहिब के बड़े साहिबजादे श्री अजीत सिंह उम्र महज 17 वर्ष और छोटे साहिबजादे श्री जुझार सिंह उम्र महज 14 वर्ष अपने 11 अन्य साथियों सहित धर्म और देश की रक्षा के लिए वीरगति को प्राप्त हुए। 23 दिसंबर - गुरु साहिब की माता गुजरी जी और दोनों छोटे साहिबजादो को मोरिंडा के चौधरी गनी खान और मनी खान ने गिरफ्तार कर सरहिंद के नवाब को सौप दिया ताकि वह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी से अपना बदला ले सके । गुरु साहिब को अन्य साथियों की बात मानते हुए चमकौर छोड़ना पड़ा। 24 दिसंबर - माता गुज़री देवी और दोनों छोटे साहिबज़ादों को सरहिंद पहुंचाया गया और वहां ठंडे बुर्ज में नजरबंद किया गया। 25 और 26 दिसंबर - छोटे साहिबजादों को नवाब वजीर खान की अदालत में पेश किया गया और उन्हें धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बनने के लिए लालच दिया गया। 27 दिसंबर- साहिबजादा जोरावर सिंह(9 साल) और साहिबजादा फतेह सिंह(7 साल) के इस्लाम न अपनाने की वजह से तमाम जुल्म और अत्याचार करते हुए उन्हें जिंदा दीवार में चिनवाने के बाद जिबह (गला रेत) कर शहीद कर किया गया जिसकी खबर सुनते ही माता गुजरीने अपने प्राण त्याग दिए। --------------------- *आज हमारे बच्चों को सांता क्लोज़ के बारे में तो पता है मगर धर्म की रक्षा हेतु अपने प्राणों का बलिदान करने वाले वीर साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेहसिंह के बारे में नही।* *इस बलिदानी कथा को अधिकाधिक अपने बच्चों के साथ शेयर करें ताकि उन्हें को धर्म रक्षा के लिए पूरा परिवार वार देने वाले श्री गुरुगोबिंद सिंह जी के जीवन से प्रेरणा मिल सके, और वो जोरावर सिंह और फतेहसिंह बनने की कोशिश करे ना कि सांता क्लोज़।*

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