जानिए दीपावली के दिन कैसी मूर्ति लाये दिवाली पूजा मुहूर्त :- पंडित कौशल पाण्डेय

जानिए दीपावली के दिन कैसी मूर्ति लाये दिवाली पूजा मुहूर्त   :- पंडित कौशल पाण्डेय 

गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां खरीदते समय यह अवश्य देखें कि गणेश जी की सूंढ़ गणेश जी की दायीं भुजा की ओर ही मुड़ी हो। खंडित या अशोभित मूर्तियां न खरीदें।,


*पूजन के समय मूर्तियों को पीठिका पर स्थापित करते समय लक्ष्मी जी को सदैव गणेश जी के दाहिने ओर ही विराजमान करें। बहुत से लोग लक्ष्मी जी को सदैव गणेश जी के बायीं ओर विराजमान कर देते हैं, यह गलत व अशुभ फलदायक है।
* दीपावली का पूजन सदैव पश्चिमाभिमुख होकर ही करना श्रेष्ठ है, अतः मूर्तियां पूर्वाभिमुख ही स्थापित करें। 
* मूर्तियों के समीप जलाया जाने वाला प्रथम दीप (घी का दीप) उŸाराभिमुख रखकर ही प्रज्वलित करें। दीपक की लौ उŸार की ओर होना चाहिए। 
* प्रतिवर्ष मूर्ति परिवर्तन श्रेष्ठ नहीं क्योंकि लोग प्रतिवर्ष मूर्ति परिवर्तन करके पुरानी प्रतिदिन पूजन की गई मूर्तियों को यहां-वहां, रख देते हैं। क्या मूर्तियों की यह दुर्गति हमारी भावनाओं के अनुरूप है, जो हम दीपावली के दिन या पूरे वर्ष उन मूर्तियों के प्रति प्रकट करते हैं? 
मूर्तियां अगर बदलनी ही हैं तो मूर्तियां कच्ची मिट्टी की होनी चाहिए, जिन्हें परिवर्तन के समय नदी, झील या सरोवर में प्रवाहित कर दें। इस प्रकार मूर्तियां एक बार किसी धातु-तांबा, मिश्रधातु, चांदी (चांदी की सर्वोŸाम) अथवा सफेद पत्थर की स्थायी रूप से ले लेनी चाहिए और उन्हें हमेशा स्थायी रूप से पूजन हेतु प्रयोग करना चाहिए। 
* दीपावली पर किए जाने वाले हवन में पलाश की लकड़ी का उपयोग सर्वश्रेष्ठ होता है। 
* गृहस्थ लोगों को गणेश-लक्ष्मी पूजन सपत्नी करना चाहिए, किसी एक को भी अकेले नहीं। 
* व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में श्रेष्ठ विद्वान आचार्य के माध्यम से मालिक को स्वयं पूजन करना चाहिए। 
* पूजा स्थल से मूर्तियों तथा अन्य सामग्री को द्वितीया के दिन ही उठाना चाहिए, उससे पूर्व नहीं। प्रतिपदा को भी मुख्य दीप पूजा स्थल पर सायंकाल प्रज्वलित कर धूप जलायें। द्वितीया के दिन पूजा स्थल से मूर्तियों व कलश को उठाकर स्थायी पूजा स्थल पर रखें, अन्य पुष्प आदि को नदी-तालाब में विसर्जित करें। दीपावली पूजन सुख, समृद्धि तथा वैभव का संदेश लाये, जीवन प्रकाशमय हो। इन्हीं कामनाओं के साथ उपरोक्त दिशा निर्देशों को दृष्टिगत रखकर ही सक्रिय हों।

इन मंत्रो का जाप करना उपयोगी रहेगा 
मंत्र: ऊँ गं गणपतये नमः
लक्ष्मी जी का लघु बीज मंत्र
ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
लक्ष्मी जी मंत्र :-
ऊँ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्म्यै नमः 
कुबेर मंत्र: 
ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धन्याधिपतये धन-धान्य समृद्धि में देहि दापय स्वाहा।


प्रतिवर्ष कार्तिक अमावस्या के दिन दीपोत्सव का पर्व मनाया जाता है इस वर्ष यह महापर्व   24 अक्टूबर सोमवार  के दिन मनाया जाएगा. 
 “ब्रह्मपुराण” के अनुसार आधी रात तक रहने वाली अमावस्या तिथि ही महालक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ होती है. यदि अमावस्या आधी रात तक नहीं होती है तब प्रदोष व्यापिनी तिथि लेनी चाहिए. लक्ष्मी पूजा व दीप दानादि के लिए प्रदोषकाल ही विशेष शुभ माने गए हैं.
शुभ मुहूर्त में दीपावली पूजन करने से अभीष्ट धन की प्राप्ति यथा समय होती रहती है। 
स्थिर लग्न दीपावली पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ लग्न होते है । वृष व सिंह स्थिर लग्न हैं और ये इस पूजन के लिए अत्यंत शुभ हैं। 

दिवाली पूजा की आवश्यक साम्रगी
दिवाली पूजा के लिए रोली, चावल, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, घी या तेल से भरे हुए दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दिए आदि वस्तुएं पूजा के लिए एकत्र कर लेना चाहिए.

दिवाली के दिन कैसे करें पूजा...
- स्कंद पुराण के अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर सभी देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए.
- शाम के समय पूजा घर में लक्ष्मी और गणेश जी की नई मूर्तियों को एक चौकी पर स्वस्तिक बनाकर स्थापित करना चाहिए.
- मूर्तियों के सामने एक जल से भरा हुआ कलश रखना चाहिए. इसके बाद मूर्तियों के सामने बैठकर हाथ में जल लेकर शुद्धि मंत्र का उच्चारण करते हुए उसे मूर्ति पर, परिवार के सदस्यों पर और घर में छिड़कना चाहिए.
- अब फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला आदि सामग्रियों का प्रयोग करते हुए पूरे विधि-विधान से लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए.
- इनके साथ-साथ देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, मां काली और कुबेर की भी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए. पूजा करते समय 11 छोटे दीप और एक बड़ा दीप जलाना चाहिए.

क्यों मनाया जाता है दीपोत्सव का पर्व
पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्री राम चौदह साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे. मर्यादा पुरुसोत्तम श्री राम लक्ष्मण माता सीता की अयोध्या वापसी की खुशी में लोगों ने घर-घर में दिए जलाए थे तब से इस त्योहार को दीवाली के रुप में मनाया जाने लगा और समय के साथ और भी बहुत सी बातें इस त्यौहार के साथ जुड़ती चली गई.

#दीपावली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त:-

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त New Delhi, India के लिए

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त :
17:40:57 से 19:36:50 तक
अवधि :
1 घंटे 55 मिनट
प्रदोष काल :
17:29:11 से 20:07:41 तक
वृषभ काल :
17:40:57 से 19:36:50 तक

दिवाली महानिशीथ काल मुहूर्त

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त :
23:39:02 से 24:31:52 तक
अवधि :
0 घंटे 52 मिनट
महानिशीथ काल :
23:39:02 से 24:31:52 तक
सिंह काल :
24:12:32 से 26:30:11 तक

दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त

अपराह्न मुहूर्त्त (शुभ):
14:46:57 से 14:47:07 तक
सायंकाल मुहूर्त्त (शुभ, अमृत, चल):
17:29:11 से 22:26:23 तक
रात्रि मुहूर्त्त (लाभ):
25:44:31 से 27:23:35 तक
उषाकाल मुहूर्त्त (शुभ):
29:02:39 से 30:41:44 तक


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