अंक शास्त्र से मूलांक और भाग्यांक कैसे जाने
मूलांक कैसे ज्ञात करें मूलांक व्यक्ति के जन्म का दिनांक होता है यदि यह दो अंकों में हो तो उसे जोड़ कर जो संख्या आती है वही मूलांक कहलाता है।
मूलांक : उदाहरणार्थ, यदि किसी व्यक्ति की जन्म तिथि 15 हो तो उसका मूलांक 1+5=6 होगा।
1, 10, 19, 28 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूल अंक 1 होगा।
2, 11, 20, 29 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूल अंक 2 होगा।
3, 12, 21, 30 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूल अंक 3 होगा।
4, 13, 22, 31 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूल अंक 4 होगा।
5, 14, 23 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूल अंक 5 होगा।
6, 15, 24 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूल अंक 6 होगा।
7, 16, 25 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूल अंक 7 होगा।
8, 17, 26 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूल अंक 8 होगा।
9, 18, 27 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूल अंक 9 होगा।
भाग्यांक कैसे ज्ञात करें
भाग्यांक : उदाहरणार्थ, यदि किसी व्यक्ति का जन्म 15/11/1965 को हुआ हो तो जन्म तिथि 15 = 1+5 = 6 जन्म माह - 11 = 1+1 = 2, जन्म वर्ष - 1965 = 1+9+6+5 = 21 = 2+1 = 3 अर्थात इस व्यक्ति का भाग्यांक - 6+2+3 = 11 = 1+1 = 2 होगा।
स्वामियों की स्थिति देख सकते हैं। मूलांक, भाग्यांक तथा संयुक्तांक के स्वामियों में आपसी तालमेल या मित्रता हो तो संबंधित जातक का जीवन सुखमय हो सकता है।
सूर्य का अंक: अंक 1 का प्रतिनिधित्व सूर्य करता है। इनके प्रभाव क्षेत्र में पैदा हुए जातक कुलीन, रईस, ख्यातिप्राप्त, अधिकारी, डाॅक्टर आदि बनते हैं। यदि मूलांक सूर्य का और भाग्यांक शनि अथवा शुक्र का हो तो ऐसे लोग दुर्घटना के शिकार होते हैं।
चंद्रमा का अंक: अंक 2 का प्रतिनिधित्व चंद्रमा करता है। ऐसे लोग शांत, विनम्र, विचारशील, गुणी और विलक्षण होते हैं। इनमें शरीर की अपेक्षा मानसिक बल अधिक होता है। 2 अंक वालों से अच्छी बनती है। इन्हें जल्दी क्रोध आ जाता है और कभी-कभी आवश्यकता से अधिक कठोर बन जाते हैं।
गुरु का अंक: गुरु अंक 3 का प्रतिनिधि है। इसके शुभ प्रभाव में होने पर जातक नीतिज्ञ, क्षमाशील, सुखी, व्यवहारकुशल, प्रसन्नचित्त, लेखक, अध्यापक, वकील, साहित्य तथा ज्योतिष प्रेमी, संपादक, सलाहकार, मंत्री, राजपुरोहित आदि बनते हैं। अशुभ प्रभाव होने पर नाक, कान, गले की बीमारी, सूजन, चर्बी जनित रोग तथा मोटापे की शिकायत रहती है।
राहु का अंक: अंक 4 का प्रतिनिधित्व राहु करता है। ऐसे अंक के शुभ प्रभाव में जातकों का भाग्योदय अचानक होता है। अशुभ प्रभाव होने पर अथक परिश्रम करने पर भी उन्हें सफलता नहीं मिलती।
बुध का अंक: बुध को अंक 5 का प्रतिनिधि माना गया है। बुध के शुभ प्रभाव में होने पर जातक कूटनीतिक, वकील, उच्च स्तरीय लेखक, प्रतिभाशाली, बुद्धिजीवी, गणितज्ञ, ज्योतिषी, व्यापारी आदि होते हैं। इसका अशुभ प्रभाव स्नायु, श्वास, वाणी दोष, सिर दर्द, दमा, तपेदिक आदि रोगों का कारण बनता है।
शुक्र का अंक: अंक 6 को शुक्र का प्रतिनिधि माना गया है। बलवान शुक्र वाला जातक धनी, व्यापारी, वाहनयुक्त, रूपवान, जौहरी, कलाकार, तांत्रिक, ज्योतिषी बनता है। सांसारिक सुखों का कारक शुक्र को माना गया है। शुक्र के अशुभ होने पर जातक मधुमेह, गुप्त रोग आदि से ग्रस्त होता है, उसका विवाह-विच्छेद हो जाता है या वह प्रेम में असफल होता है।
केतु का अंक: केतु को अंक 7 का स्वामी माना गया है। इस अंक के शुभ प्रभाव में जातक अपनी कल्पना एवं विचार शक्ति से मुश्किल से मुश्किल कार्य भी कर लेता है। लेकिन ऐसे जातक धन संग्रह बहुत कठिनाई से कर पाते हैं।
शनि का अंक: अंक 8 शनि का प्रतिनिधित्व करता है। इससे रोग, शत्रु, जीवन, आयु, मृत्यु अथवा विनाश के कारणों, दुःखों एवं अभावों का विचार किया जाता है। शनि के शुभ स्थिति में होने पर जातक की आयु लंबी और इच्छा शक्ति मजबूत होती है। वह ऐश्वर्यवान तथा ख्यातिलब्ध होता है और उसका जीवन स्थिर होता है।
मंगल का अंक: मंगल को अंक 9 का प्रतिनिधि माना गया है। ऐसे अंक के शुभ प्रभाव वाले जातक जमीन-जायदाद वाले, भाइयों का सुख प्राप्त करने वाले, नेतृत्व करने के अभिलाषी, सेना-पुलिस से संबंधित, इंजीनियर, डाॅक्टर एवं ख्याति प्राप्त खेलों से संबंधित होते हैं। अशुभ प्रभाव में होने पर जातक कुकर्मी, अपराधी एवं धोखा देने वाले होते हैं।
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