ॐ नमः शिवाय, हर हर महादेव
ईश्वर की कृपा वैसे अपने भक्तों सदैव बरसती रहती है, लेकिन सावन (श्रवण) का महीना महादेव शिव का सबसे प्रिय महीना है क्योंकि शिव अभिषेक प्रिय है और इस महीने में पर्यावरण बहुत सुहाना हो जाता है बरसात में मौसम और हरा भरा होता है जिससे महादेव शिव औढ़रदानी बन जाते है।
(श्रवण) सावन महीना 2024
हिंदू पंचांग के अनुसार, 21 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा है। अगले दिन यानी 22 जुलाई को श्रावण मास आरंभ हो जाएगा, जो 19 अगस्त 2024 को श्रावण पूर्णिमा के साथ समापन होगा।
सावन में 5 सोमवार व्रत की तिथियां
(Sawan Somvar Vrat List 2024)
पहला सोमवार - 22 जुलाई 2023
दूसरा सोमवार -29 जुलाई 2023
तीसरा सोमवार- 05 अगस्त 2024
चौथा सोमवार- 12 अगस्त 2024
पांचवा सोमवार-19 अगस्त 2024
महादेव की कृपा पाने के लिए शिव भक्तों को अच्छे कर्म करने चाहिए,
शिवालय में नियमित रूप से परिवार के साथ जा कर नियम के साथ महादेव का जलाभिषेक आशीर्वाद लेना चाहिये।
किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन और गांजा , भांग ,शराब आदि का नशा नहीं करना चाहिए, प्रायः देखा गया है लोग जय भोले बोलकर गांजा या भांग का सेवन करते है ऐसे लोग बहुत बड़ा अपराध करते है ,अतः किसी भी प्रकार का नशा न करे।
देवो के देव महादेव की कृपा आप सभी पर सदा बनी रहे
प्रायः सभी पुराणो तथा उपपुराणों में भगवान शिव की महिमा का अपार वर्णन है , शिव पुराण , वायु पुराण कूर्म पुराण, लिंग पुराण, स्कन्द पुराण तथा वामन पुराण में तो विशेष रूप से श्री शिव जी की महिमा व्याप्त है , शिवलिंग पर जल चढाने का अर्थ ब्रह्म में प्राण लीन करना है , परमैकान्तिक शिवलिंग पर मात्र बिल्वपत्र चढाने से ही शिव जी प्रसन्न हो जाते है , कहते है कि दैहिक , दैविक , भौतिक तापों से संतप्त व्यक्ति के लिए त्रिदल युक्त बिल्वपत्र से बढ़कर कुछ भी नहीं है , शिव भगवान का ध्यान प्रायः ह्रदय में होता है यदि ह्रदय शुद्ध नहीं है काम , क्रोध , लोभादिक विकारों से दूषित है तो वहां भगवान कैसे आयेगे ।
श्री शिव जी की प्रसन्नता के लिए तदनुसार अर्थात शिव जी के समान ही त्यागी , परोपकारी , सहिस्णुता और काम, क्रोध , लोभ आदि से शून्य होकर ह्रदय को निर्मल बनाना होगा। गोस्वामी जी ने कहा है " निर्मल मन जन सो मोहि पावा , मोहि कपट चाल छिद्र न भावा ।"
सावन के महोनो में रुद्राभिषेक किया जाता है शिव का प्रिय दिन सोमवार है अतः सभी शिवालयों में शिव की विशेष पूजा सावन के सोमवार को की जाती है , शिवजी का अभिषेक गंगा जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, और गन्ने के रस आदि से किया जाता है।
अभिषेक के बाद शिव लिंग के ऊपर बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, नीलकमल, ऑक मदार और भांग के पत्ते के आदि से पूजा की जाती है। बेलपत्र पर सफ़ेद चन्दन से ओम नमः शिवाय या राम नाम लिख कर चढाने से महादेव अति शीघ्र प्रसन्न होते है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग पर सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं। ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक समीपत्र का महत्व होता है अतः शिव पूजा में शमी का पत्ता अवश्य चढ़ाये।
श्रावण में एक मास तक शिवालय में स्थापित, प्राण-प्रतिष्ठित शिवलिंग या धातु से निर्मित शिवलिंग का गंगाजल व दुग्ध से रुद्राभिषेक करें, यह शिव को अत्यंत प्रिय हैं। वही उत्तरवाहिनी गंगाजल - पंचामृत का अभिषेक भी महाफलदायी हैं।
कुशोदक से व्याधि शांति, जल से वर्षा, दधि से पशु धन, ईख के रस से लक्ष्मी, मधु से धन, दूध से एवं 1100 मंत्रों सहित घी की धारा से पुत्र व वंश वृद्धि होती है। श्रावण मास में द्वादश ज्योतिर्लिंगों पर उत्तरवाहिनी गंगाजल कांवर में लेकर पैदल यात्रा कर, अभिषेक करने मात्र से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल मिलता हैं। ऊँ नमः शिवाय मंत्र के जप से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
इस मंदिर में आनेवालों भक्तो को सुख शांति और समृद्धि के साथ उनकी सभी मनोकामनाए पूरी होती है।
यहाँ पर भक्तो की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा जाता है इसके लिए मंदिर में सीसीटीवी कैमरे भी लगे हुए है और संदिग्ध लोगों की निगरानी भी की जाती है जिससे इस मंदिर में आनेवाले भक्तो और महिलाओ को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ
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