समस्त सनातनी समाज को #गुरुपूर्णिमा की हार्दिक बधाई व मंगलमय शुभकामनायें

समस्त सनातनी समाज को  #गुरुपूर्णिमा की हार्दिक बधाई व मंगलमय शुभकामनायें 

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। 
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥

#गुरुपूर्णिमा की हार्दिक बधाई


प्रत्येक वर्ष के आषाढ़ महीने की पूर्णिमा #गुरुपूर्णिमा या #व्यासपूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। 
हमारा सौभाग्य है की हम सनातन संस्कृति में पले बढे है और जिस सभ्यता का न आदि है और न ही अंत है ऐसी सनातन सभ्यताओं का उदय, संस्कृतियों का उत्कर्ष व महान विभूतियों का निर्माण पूज्य गुरुजनों के आशीर्वाद व मार्गदर्शन में ही होता है।

यह दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी। इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। 

शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है।
अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को 'गुरु' कहा जाता है। गुरु तथा देवता में समानता के लिए एक श्लोक में कहा गया है कि जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए है वैसी ही गुरु के लिए भी बल्कि सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है। गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है।

भारत भर में गुरू पूर्णिमा का पर्व बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाता है। प्राचीन काल में जब विद्यार्थी गुरु के आश्रम में निःशुल्क शिक्षा ग्रहण करता था तो इसी दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर अपने गुरु का पूजन करके उन्हें अपनी शक्ति सामर्थ्यानुसार दक्षिणा देकर कृतकृत्य होता था। 

#गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व  पर समस्त मानव समाज के जीवन से अज्ञानता के अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश लाने वाले उन सभी गुरुजनों एवं महापुरुषों को  सादर नमन, जिन्होंने अपने ज्ञान, त्याग और तपस्या से अलग-अलग काल में देश व समाज को नई राह दिखाई है.

गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा हमारे गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन है। यह संस्कृत शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'वह जो हमें अज्ञान से मुक्त करता है'।  
अपने तप, त्याग और ज्ञान के आलोक से मानव समाज का उद्धार कर रहे सभी देवतुल्य गुरुजनों को नमन।

पंडित कौशल पाण्डेय 
राष्ट्रीय महासचिव 
श्री राम हर्षण शांति कुञ्ज,भारत 

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