विश्व योग दिवस 21 जून, पंडित कौशल पाण्डेय
योग की परम्परा अत्यन्त प्राचीन है और इसकी उत्पत्ति हजारों वर्ष पहले हुई थी। ऐसा माना जाता है कि जब से सभ्यता शुरू हुई है तभी से योग किया जा रहा है। अर्थात विश्व के सबसे प्राचीनतम धर्म सनातन धर्म से योग की उत्पत्ति हुई है योग विद्या में देवाधिदेव शिव को "आदि योगी" तथा "आदि गुरू" माना जाता है।
भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋषि-मुनियों से ही योग का प्रारम्भ माना जाता है। बाद में कृष्ण, महावीर और बुद्ध ने इसे अपनी तरह से विस्तार दिया। इसके पश्चात पतञ्जलि ने इसे सुव्यवस्थित रूप दिया। इस रूप को ही आगे चलकर सिद्धपंथ, शैवपंथ, नाथपंथ, वैष्णव और शाक्त पंथियों ने अपने-अपने तरीके से विस्तार दिया।
योग से सम्बन्धित सबसे प्राचीन ऐतिहासिक साक्ष्य सिन्धु घाटी सभ्यता से प्राप्त वस्तुएँ हैं जिनकी शारीरिक मुद्राएँ और आसन उस काल में योग के अस्तित्व के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। योग के इतिहास पर यदि हम दृष्टिपात करे तो इसके प्रारम्भ या अन्त का कोई प्रमाण नही मिलता, लेकिन योग का वर्णन सर्वप्रथम वेदों में मिलता है और वेद सबसे प्राचीन साहित्य माने जाते है। योग की शुरुआत भारत में हुई थी, आज के समय में भारत देश के कई राज्यों में योग में ध्यान दिया जा रहा है
आज के इस व्यस्त जीवन में योग को अपने नियमित दिनचर्या में शामिल करना चाहिये, योग करते समय ॐ का उच्चारण करने से तन मन में एक नई ऊर्जा का संचार होता है, जो हमारे तन के साथ मन को भी पवित्र और स्वस्थ रखता है, योग करने से शरीर की ऊर्जा हमेशा गतिमान रहती है और मानशिक रूप से इन्शान स्वस्थ रहता है,जिससे उसके ऊपर तनाव पैदा नहीं हो पाता और योग करने वाला इन्शान शांत रहता है , नियमित रूप से योगासन और प्राणायाम करने से इन्शान तनाव मुक्त हो जाता है जिससे वो विषम परिस्थितियों में भी सही फैसला करने में सक्षम रहता है, योग करने से शरीर को आप एकदम स्वस्थ रख सकते है, ॐ का उच्चारण सभी जीवाणुओ से लड़ने में सहायक होता है, ॐ का नियमित उच्चारण करने से आत्मा का परमात्मा से मिलन सम्भब हो जाता है, इसलिए आप सभी से अनुरोध है की नियमित योग करे और अपने इस जीवन का सम्पूर्ण आंनद प्राप्त कर के इस जीवन को सफल बनाये।
स्वस्थ रहने के लिए योग करे
जीवनचर्या सुधारने की नियाम
1. खाने के लिए मत जियो, जीने के लिए खाओ।
2. प्रभात के समय एक गिलास पानी पीयें।
3. टहलना, योगासन, व्यायाम हर रोज करें।
4. जलनेती, सुत्रनेती व कभी-कभी कुंजल भी करें।
5. आंवला या त्रिफला का पानी पीयें।
6. सुबह दो तुरी लहसुन पानी के साथ निगलें।
7. सुस्ती को भूल जायें, चुस्ती से रहें।
8. थकावट के बाद आराम करें।
9. स्वयं पर निगरानी रखें।
10. नित्यक्रिया के बाद शक्ति अनुसार प्राणायाम जरूर करें।
11. हमारा भोजन ही औषधि है।
12. शौच जाउं कि न जाउं तो निर्णय करें, अवश्य जाउं।
13. अंकुरित अनाजों का प्रयोग अवश्य करें।
14. आंखों पर पानी के छीटें दिन में दो-तीन बार लगायें।
15. भोजन करूं कि ना करूं तो निर्णय लें, न करूं।
16. बुरे विचारों का त्याग व अच्छे विचारों को ग्रहण करें।
17 भोजन करते समय मौन रहने का प्रयत्न करें।
18. प्रातः व सायं काल हरि स्मरण अवश्य करें।
19. मन में निराशा को स्थान न दें।
20. भोजन में सलाद व फल मौसम के अनुसार अवश्य लें।
21. भूख लगे तब खायें, थोड़ा-थोड़ा खायें, चबा-चबा कर खायें।
22. भोजन में हाथ चक्की का आटा चोकर समेत, चावल कण व मांड़ सहित, सब्जी छिलके सहित तथा समय के अनुसार फलों का सेवन अवश्य करें।
23. जो लोग प्रभात में नहीं उठते, वे भी स्वस्थ नहीं रह सकते।
24. सप्ताह में एक दिन उपवास पानी पीकर करें या रसाहार, फलाहार करें।
25. खाने के साथ पानी न पीयें। पानी आधा घंटा पहले या एक घंटा बाद पीयें।
26. भोजन में खटाई, मिर्च, मसाला, चीनी तथा तली हुई चीजों का परहेज करें।
27. उत्तेजक पदार्थों जैसे चाय, काफी, पान, तंबाकू इत्यादि का सेवन न करें।
28. धूम्रपान व शराब, स्मैक जैसी वस्तुओं का प्रयोग न करें। इनसे शरीर तथा मन सभी खराब होते हैं इनसे भयंकर बीमारियों का जन्म होता है।
29. खाने को आधा करें, पानी को दो गुणा करें, कसरत को तीन गुणा करें, हंसने को चार गुणा करें तथा हरि स्मरण को पांच गुणा करें।
30. कर्म करें, प्रभु पर छोड़ दें, फल के पीछे ना दौड़ें, तभी दुखों से बच सकेंगे, जीवन का आनंद ले सकेंगे।
31. जैसा व्यवहार आप अपने साथ चाहते हो, वैसा ही दूसरों के प्रति करें।
32. जो कुछ भी आप करतें हैं, उसे प्रभु को अर्पण करते चले जायें, ऐसा करने से जीवन का सच्चा आनंद मिलेगा।
33. गौमाता का दूध स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम है, उसका उपयोग हमें अवश्य करना चाहिए, उससे हमारा तन व मन हमेशा स्वस्थ रह सकेगा।
34. फल व सब्जियां अनुकूलता के मुताबिक छिलके सहित व दालें भी छिलके वाली प्रयोग करें।
35. प्रतिदिन ताजे पानी से स्नान करने की आदत डालें इससे मनुष्य स्वस्थ रहता है।
36. सोने के लिए डनलप के गद्दे का प्रयोग न करें। तख्त पर सोने की आदत डालें, मुलायम बिस्तर व तकिये का प्रयोग न करें। रूई का पतला गद्दा प्रयोग करें।
37. सुबह का नाश्ता हल्का रखें। मौसम के अनुसार फल, दूध, अंकुरित अनाज का प्रयोग करें।
38. स्वयं मालिश करें व सुबह की धूप बदन पर लगायें, उससे रोग दूर होते हैं, विटामिन डी भी मिलेगी।
39. प्रकृति के समीप रहना व प्रकृति के नियमों का पालन करना ही स्वास्थ्य का रहस्य है।
40. प्रातः उठते तथा सोते समय दांतों को भली प्रकार से साफ करें तथा जीभ साफ करें।
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