कालाष्टमी व्रत

कालाष्टमी व्रत आज
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काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए रखें कालाष्टमी व्रत
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कालाष्टमी व्रत के दिन काल भैरव की पूजा की जाती है। उनकी कृपा से रोग, दोष, दुख, भय आदि दूर होते हैं। अकाल मृत्यु का भय भी दूर हो जाता है।

काल भैरव की पूजा के लिए कालाष्टमी व्रत उत्तम अवसर है। इस दिन भगवान शिव के रुद्रावतार बाबा भैरवनाथ की पूजा करते हैं। हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी ति​थि को कालाष्टमी व्रत रखते हैं। ज्येष्ठ कृष्ण अष्टमी को कालाष्टमी व्रत रखा जाएगा। बाबा काल भैरव की पूजा करने से भय, कष्ट, दुख, पाप, नकारात्मकता आदि दूर होती है। उनके आशीष से शत्रु भी कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। वे भगवान भोलेनाथ के क्रोध से उत्पन्न हुए हैं। वे काशी के कोतवाल भी कहे जाते हैं। जो भी बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने काशी जाता है, उसे काल भैरव का भी दर्शन करना होता है। उनके दर्शन के बिना बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूरा नहीं होता है।

ज्येष्ठ कालाष्टमी व्रत 2022
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हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष ज्येष्ठ मा​ह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मई दिन रविवार को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट पर शुरु होगी और यह तिथि 23 मई दिन सोमवार को दिन में 11 बजकर 34 मिनट तक मान्य है। उसके बाद से नवमी तिथि लग जाएगी। ऐसे में अष्टमी की उदयातिथि 22 मई को होगी। इस आधार पर ज्येष्ठ मा​ह का कालाष्टमी व्रत 22 मई को रखा जाएगा।

कालाष्टमी पूजा मुहूर्त 2022
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22 मई को द्विपुष्कर योग सुबह 05 बजकर 27 मिनट से शुरु होकर दोपहर 12 बजकर 59 मिनट तक है। इंद्र योग सुबह से लेकर अगले दिन 23 मई को प्रात: 03:00 बजे तक है, वहीं धनिष्ठा नक्षत्र रात 10 बजकर 47 मिनट तक है। ये दोनों ही योग और नक्षत्र पूजा पाठ और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ हैं।

22 मई को सुबह 05:27 बजे से कालाष्टमी व्रत की पूजा कर सकते हैं, वैसे भी बाबा भैरवनाथ तो स्वयं महाकाल हैं, उनकी पूजा के लिए राहुकाल या मुहूर्त आदि देखना एक औपचारिकता है।

काल भैरव की पूजा का महत्व
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1. बाबा काल भैरव की पूजा करने से असाध्य रोग दूर होते हैं
2. उनकी कृपा से अकाल मृत्यु का भय मिट जाता है। 
3. काल भैरव को तंत्र मंत्र का देव माना जाता है, उनके आशीर्वाद से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
4. उनकी पूजा करने से ग्रह दोष भी दूर हो जाते हैं। 
5. जिन लोगों को अपने शत्रुओं और विरोधियों से डर रहता है, उनको काल भैरव की पूजा करनी चाहिए।

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