योग ध्यान और संतुलित आहार के द्वारा कायाकल्प :-योग गुरु डॉ अनिल जैन

योग ध्यान और संतुलित आहार के द्वारा  कायाकल्प :-योग गुरु डॉ अनिल जैन 
आध्यात्मिक योग गुरु डॉ अनिल जैन आज भारत के साथ विदेशो में रह रहे लोगो को अपनी सलाह और सुझाव के द्वारा शारीरक और मानशिक के साथ आधात्मिक सलाह दे कर सभी के जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार कर रहे है। 


भारत अनेक संत और महापुरुषों की जननी है इस लिए भारत को विश्व गुरु भी कहा जाता है प्राचीन समय से ही भारत में जन्मे अनेक संत महंत और गुरु अवतरित हुए है उनमे से ही एक नाम योग गुरु डॉ अनिल जैन का है। 
योग गुरु डॉ अनिल जैन का स्वभाव बहुत ही मिलनसार और विलक्षण प्रतिभा के धनी होने के कारण भारत के साथ विदेशों में भी उनके चाहने वाले है। 

योग गुरु डॉ अनिल जैन शाकाहार और सात्विक जीवन पर अधिक जोर देते है उनके द्वारा बताये गए कुछ विशेष टिप्स 

मृत्युंजय वनस्पति है – सफेद पेठा 
सफेद पेठा पूरे एशिया में पाया जाता है एवं असंख्य रोगों को दूर करने में यह राम – बाण की तरह कार्य करता है । आगरे की पेठे की मिठाई तो भारत में मशहूर है ही । वह सफेद पेठे से ही बनती है । यह पूर्णतः क्षारीय ( Alkali ) वनस्पति है । इसमें लौह , कैल्शियम , सल्फर , फास्फोरस , विटामिन ए , बी तथा सी तत्व होते हैं 

पूरे भारत में इसकी पैदावार की जाती है , अतः हर जगह आसानी से उपलब्ध है । गुण यह अति शीतल है अतः पित का नाश करता है । 100 प्रतिशत क्षारीय होने के कारण यह शरीर में अम्ल ( Acid ) को बाहर निकालता है । यह शरीर के किसी भी अंग की सूजन तथा जलन ( प्रदाह ) को दूर करता है । जब खून में पित्त की मात्रा अधिक हो जाती है तथा उल्टी व दस्त के द्वारा खून भी गिरता हो तो इसका रस बहुत लाभदायक है । 

पागलपन में जब रोगी के नेत्र लाल हो जाते हैं । नाड़ी की गति तेज हो जाती है और रोगी बेकाबू व तूफानी हो जाता है . ऐसे में पेठे का रस देने से दस्त साफ होकर रोगी को अच्छी तरह से नींद आ जाती है । कब्ज को तोड़ने की यह अचूक दवा है । 
बवासीर , खूनी बवासीर व अल्सर इसके प्रयोग से घूमन्तर हो जाते हैं । 
अल्सर के रोग में इसका एनिमा बहुत ही फायदेमन्द है । 
क्षय रोग ( टी.बी. ) में कभी – कभी फेफड़ों से खून गिरने लगता है , ऐसे में पेठे का रस देने से अत्यन्त फायदा होता है । यदि इसके रस में मोती की भस्म और मिला दी जाये तो अति शीघ्र लाभ होगा । बंगाल में क्षय रोग दूर करने के लिए इसके रस के साथ लकखोरी नामक वनस्पति का उपयोग करते हैं । यह पेशाब के सभी रोगों को दूर करता है व जिगर की गर्मी को निकालता है । 

पीलिया रोग भी इसके प्रयोग से दूर होता है । आमाशय व फेफड़ों की जलन को यह मिटाता है तथा भोजन नली की सूजन को दूर करता है । मिर्गी तथा स्नायु रोग ( Nervous System ) से सम्बन्धित सभी रोगों में यह कारगर है । नशीले पदार्थों से फलने वाले विषों को भी पेठा रोकता है एवं आँतों के कीड़े मारने में इसका अवश्य प्रयोग करें । हाई ब्लड प्रेशर रोग को यह जड़ मूल से उखाड़ फेंकता है । लो बल्ड प्रेशर के रोगी परामर्श कर के प्रयोग करें । 

मधुमेह ( शुगर ) रोग में अग्न्याशय ( पेंक्रीयाज ) को सुचारु करके यह रोग को दूर करता है । किसी विशेष अंग से यदि खून बह रहा हो तो बहते खून को रोकने में इसे दवा के रूप में काम में लाया जाता है क्योंकि यह रक्त का थक्का जमाता है । 

फेफड़ों व नाक से बहते खून को रोकने के लिए आँवले या नींबू के रस के साथ इसका रस मिलाकर प्रयोग करें । 1

हृदय रोगी बाई पास सर्जरी कराने से पहले एक बार इसे जरूर आजमाएँ । 
बैलून – ब्लास्टिंग कराने की कोई आवश्यकता नहीं है । अंजाईना पेन ( Angina Pain ) फौरन दूर करता है । ब्लोकेड आर्टिरीज ( Blocked Arteries ) को खोलने स्वस्थ रहना आपका जन्म सिद्ध अधिकार है । यदि आप स्वस्थ पैदा हुए थे तो आप रोगी क्यों ? जिन कारणों से आप रोगी हुए हैं उन कारणों को खोजें और उन्हें दूर करें , आप स्वस्थ हो जायेंगे । में इसकी सहायता लें । किसी भी नर्सिंग होम या अस्पताल के चक्कर में न पड़ें तथा अपने भोजन को सुधारें । 

माहवारी में यदि अधिक खून बहता हो तो इसका प्रयोग फायदेमन्द है । परन्तु माहवारी के दिनों में इसका प्रयोग हरगिज न करें । 
माइग्रेन व शायटिका के रोगी भी इसका उपयोग करें तो रोग से छुटकारा पा सकते हैं । दमा के रोगी जो इनहेलर ( Inhaler ) का प्रयोग करते हैं जरा इसे आजमा के देखें , स्वयं पता चल जायेगा कि यह चमत्कारी वस्तु है । 

यह वीर्य – वर्द्धाक भी है । यह मोटापा भी बहुत जल्दी कम करता है । श्वेत प्रदर ( लिकोरिया ) के रोग में भी यह अत्यन्त गुणकारी है । गुर्दे , मूत्राशय व पित की थैली की पथरी को भी यह शरीर से बाहर निकाल देता है अतः कोई आपरेशन कराने की आवश्यकता नहीं है । टिश्यू ( Tissue ) बढ़ाने के लिए नारियल के दूध के साथ इसके बीजों का प्रयोग करें तो शीघ्र लाभ होगा । इसके बीजों में प्रोटीन की मात्रा बहुत जयादा होती है । लगभग 100 ग्राम छिले हुए बीजों में 34 ग्राम प्रोटीन होता है तथा इसमें कोलेस्ट्रोल भी नहीं होता । जिस क्वालिटी का प्रोटीन बादाम में होता है उसी स्तर का प्रोटीन इसके बीजों में होता है । यही नहीं बादाम में विटामिन ई जो बहुत कम फल सब्जियों में पाया जाता है इसमें उपलब्ध है । अतः बादाम के स्थान पर इसका उपयोग करके पैसों की भी बचत की जा सकती है । प्राकृतिक रहस्य वास्तव में सफेद कददू पेठा इतना गुणकारी क्यों है , यह जानना बहुत जरूरी है ।

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