चंद्र ग्रहण 2024 :-पंडित कौशल पाण्डेय

साल का अंतिम चंद्रग्रहण, जानें भारत में ग्रहण और सूतक काल का समय:-पंडित कौशल पाण्डेय 


CHANDRA GRAHAN


18 सितंबर को आखिरी चंद्र ग्रहण
साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 18 सितंबर 2024 में होगा. ये आंशिक चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा. ए यूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका में भी यह दिखेगा. इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा का एक छोटा हिस्सा ही गहरी छाया में प्रवेश करेगा.

दूसरे चंद्र ग्रहण का समय: प्रातः काल 06:12 मिनट से लेकर 10:17 मिनट तक है
दूसरे चंद्र ग्रहण की कुल अवधि: 04 घंटे 04 मिनट तक

प्राकृतिक आपदाओं की आशंका
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि चार ग्रहणों की वजह से प्राकृतिक आपदाओं का समय से ज्यादा प्रकोप देखने को मिलेगा. इसमें भूकंप, बाढ़, सुनामी, विमान दुर्घटनाएं का संकेत मिल रहे हैं. प्राकृतिक आपदा में जनहानि कम ही होने की संभावना है. फिल्म एवं राजनीति से दुखद समाचार. व्यापार में तेजी आएगी. बीमारियों में कमी आएगी. रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. आय में इजाफा होगा. वायुयान दुर्घटना होने की संभावना है. 

इनके प्रभाव से पूरे विश्व में राजनीतिक अस्थिरता यानि राजनीतिक माहौल उच्च होगा. राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ज्यादा होंगे. सत्ता संगठन में बदलाव होंगे. पूरे विश्व में सीमा पर तनाव शुरू हो जायेगा. आंदोलन, हिंसा, धरना प्रदर्शन हड़ताल, बैंक घोटाला, उपद्रव और आगजनी की स्थितियां बन सकती है.

सनातन शास्त्रों में मान्यता है कि ग्रहण और सूतक काल में किसी भी देवी-देवता की पूजा-अर्चना नहीं की जाती है।
खग्रास चंद्रग्रहण दोषप्रद होता है इसके अलावा वर्तमान फसल व आगामी शीतकालीन फसल के लिए चंद्रग्रहण दोषप्रद है। इससे बचने के लिए लोगों को स्नान, दान, जप, स्तुति पाठ, मंत्र जाप, शाबर मंत्र सिद्धि, आराधना, इस्टसिद्धि व हवन आदि करना चाहिए।

चंद्र ग्रहण के दिन हनुमानजी का विशेष पदार्थों से अभिषेक लाभकारी होगा। इस दिन एक दोने में चार लड्डू गुलाब के फूलों से ढक कर ऊपर मसाले के पान में दो लौंग लगाकर हनुमानजी के चरणों में अर्पित करने सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है।

ग्रहण का सूतक-
सूर्यग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर ( 9 घंटे) पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालकक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं। ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो, उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।

सूतक प्रारंभ हो जाने बाद (बच्चों वृद्ध व रोगियों को छोड़कर) धार्मिक जनों को भोजन आदि नहीं करना चाहिए।
सूतक के दौरान जप, तप करना लाभकारी होता है। वहीं, सभी राशियों पर चंद्रग्रहण का अलग-अलग प्रभाव पड़ रहा है।

ग्रहण काल में सावधानिया :-
धर्म शास्त्रों के अनुसार ग्रहण का समय अच्छा नहीं होता है, अत: इस दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।

यहां जानिए ग्रहण के समय कौन-कौन से काम नहीं करना चाहिए
इस समय कोई भी शुभ कार्य न करे
ग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। भगवान वेदव्यास जी ने परम हितकारी वचन कहे हैं-
सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्य ग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है।

यदि गंगा जल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।
देवी भागवत में आता हैः सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक अरुतुन्द नामक नरक में वास करता है। फिर वह उदर रोग से पीड़ित मनुष्य होता है फिर गुल्मरोगी, काना और दंतहीन होता है। ग्रहण के अवसर पर पृथ्घ्वी को नहीं खोदना चाहिए ।

ग्रहण वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते।
घर में पहले से पकाये गए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।
ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जररूतमंदों को वस्त्र और उनकी आवश्यक वस्तु दान करने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।

ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सूअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है।

गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए।
इस समय उन्हें घर से बाहर नहीं निकलना चाहिय, गर्भवती स्त्री को सूर्य दृ चन्घ्द्रग्रहण नहीं देखना चाहिए, क्घ्योकि उसके दुष्घ्प्रभाव से शिशु अंगहीन होकर विकलांग बन जाता है । गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है । इसके लिए गर्भवती के उदर भाग में गोबर और तुलसी का लेप लगा दिया जाता है, जिससे कि राहू केतू उसका स्घ्पर्श न करें ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्री को कुछ भी कैंची, चाकू आदि से काटने को मना किया जाता है , और किसी वस्घ्त्र आदि को सिलने से मना किया जाता है ।
क्घ्योंकि ऐसी मान्घ्यता है कि ऐसा करने से शिशु के अंग या तो कट जाते हैं या फिर सिल (जुड़) जाते हैं ।
ग्रहण के समय सोने से कई प्रकार के मानशिक रोग पैदा होते है अतः इस दौरान नहीं सोना चाहिए।
ग्रहण के समय मूत्र त्घ्यागने से घर में दरिद्रता आती है ।
ग्रहण के समय शौच करने से पेट में क्रीमी रोग पकड़ता है ।
ग्रहण के समय संभोग करने से सूअर की योनी मिलती है ।
ग्रहण के समय किसी से धोखा या ठगी करने से सर्प की योनि मिलती है ।
जीव-जंतु या किसी की हत्या करने से नारकीय योनी में भटकना पड़ता है ।
ग्रहण के समय भोजन अथवा मालिश किया तो कुष्घ्ठ रोगी के शरीर में जाना पड़ेगा।
ग्रहण के समय बाथरूम में नहीं जाना पड्रे ऐसा खायें।
ग्रहण के दौरान मौन रहोगे, जप और ध्घ्यान करोगे तो अनंत गुना फल होगा।
चंद्र ग्रहण मे तीन प्रहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिये ।

बूढे बालक और रोगी एक प्रहर पूर्व तक खा सकते हैं ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चंद्र, जिसका ग्रहण हो, उसका शुध्द बिम्बदेख कर भोजन करना चाहिये । (१ प्रहर = ३ घंटे)
ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोडना चाहिए । बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहियेव दंत धावन नहीं करना चाहिये ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल मूत्र का त्याग करना, मैथुन करना और भोजन करना – ये सब कार्य वर्जित हैं ।
करे इस मंत्र का जाप

-चन्द्र का वैदिक मंत्र :-
चंद्रमा के शुभ प्रभाव प्राप्त करने हेतु चंद्रमा के वैदिक मंत्र का 1100 जप करना चाहिए।.
”ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः या ओम सों सोमाय नमः “”

पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ

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1 टिप्पणियाँ

Neera nagpal ने कहा…
Jai shree Ram beta ji aisi jankari ke liye dhanyawad 👍🏿🙏🏿