चैत्र नवरात्र 2024 व हिंदू नववर्ष विक्रम सम्वत् 2081

चैत्र नवरात्र 2024 व हिंदू नववर्ष विक्रम सम्वत् 2081

हिंदू नववर्ष विक्रम सम्वत् 2081


भारतीय नववर्ष विक्रम सम्वत् 2081 तथा शालिवाहन शक संवत्‌ 1946 युगाब्द 5126 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का शुभारम्भ मंगलवार 9 अप्रैल 2024 से प्रारम्भ हो रहा है। चैत्र माह हिंदू नववर्ष का पहला महीना होता है।

संकल्प के समय नव वर्ष नामग्रहण (नए साल का नाम रखने की प्रथा) को चैत्र अधिक मास में ही शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जा सकता है। इस संवत्सर का नाम पिंगल है तथा वर्ष 2081 है। साथ ही यह श्री शालीवाहन शकसंवत 1946 भी है और इस शक संवत का नाम क्रोधी है।

नव संवत्सर का राजा (वर्षेश)
नए वर्ष के प्रथम दिन के स्वामी को उस वर्ष का स्वामी भी मानते हैं। 2024 में हिन्दू नव वर्ष मंगलवार से आरंभ हो रहा है, अतः नए सम्वत् का स्वामी मंगल है।
 
इसके साथ ही चैत्र नवरात्री प्रारम्भ हो जाता है, ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन ही महाराज विक्रमादित्य ने हिन्दू नववर्ष "विक्रम संवत' का शुभारंभ किया था।

🚩 नवरात्र घट स्थापना के शुभ मुहूर्त 🚩
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि समाप्त  9 अप्रैल 2024, रात 08.30
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त    सुबह 06.02 -  सुबह 10.16
कलश स्थापना अभिजित मुहूर्त    सुबह 11.57 - दोपहर 12.48

चैत्र नवरात्रि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मनाई जाती है. चैत्र नवरात्रि के के पहले दिन घरों में कलश स्थापित करते हैं. नौ दिन तक नौ देवी की विधि विधान से आराधना की जाती है. 

चैत्र नवरात्रि 2023 तिथि (Chaitra Navratri 2024Tithi)
चैत्र नवरात्रि मंगलवार 9 अप्रैल 2024 से बुधवार  17 अप्रैल 2024 तक 
1st नवरात्रि दिन माँ शैलपुत्री पूजा मंगलबार 9 अप्रैल 2024
2nd नवरात्रि दिन माँ ब्रह्मचारिणी पूजा बुधवार, 10 अप्रैल 2024
3rd नवरात्रि दिन माँ चंद्रघंटा पूजा गुरुवार, 11 अप्रैल 2024
4th नवरात्रि दिन माँ कुष्मांडा पूजा शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024
5th नवरात्रि दिन माँ स्कंदमाता पूजा शनिवार, 13 अप्रैल 2024
6th नवरात्रि दिन माँ कात्यायनी पूजा रविवार, 14 अप्रैल 2024
7th नवरात्रि दिन माँ कालरात्रि पूजा सोमवार, 15 अप्रैल 2024
8th नवरात्रि दिन माँ महागौरी पूजा मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
9th नवरात्रि दिन माँ सिद्धिदात्री पूजा बुधवार, 17 अप्रैल 2024
चैत्र नवरात्रि दसवें दिन   (18 अप्रैल 202) नवरात्रि व्रत का पारण किया जाएगा

माँ दुर्गा दुखों का नाश करने वाली देवी है, माँ दुर्गा की नौ शक्तियों को जागृत करने के लिए माँ भगवती  के 'नवार्ण मंत्र' का जाप किया जाता है.
इसलिए नवरात्रि में जब उनकी पूजा आस्था, श्रद्धा से की जाती है तो उनकी नौ शक्तियां  जागृत होकर नौ ग्रहों को नियंत्रित कर देती हैं। फलस्वरूप प्राणियों का कोई अनिष्ट नहीं हो पाता।
माँ दुर्गा का नौ अक्षरों वाला वह मंत्र है 
नवार्ण मंत्र-   ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै ।'

नौ अक्षरों वाले इस नवार्ण मंत्र के एक-एक अक्षर का संबंध दुर्गा की एक-एक शक्ति से है और उस एक-एक शक्ति का संबंध एक-एक ग्रह से है। 

नवार्ण मंत्र के नौ अक्षरों में पहला अक्षर ' ऐं ' है, जो सूर्य ग्रह को नियंत्रित करता है। ऐं का संबंध दुर्गा की पहली शक्ति शैलपुत्री से है, जिसकी उपासना 'प्रथम नवरात्रि' को की जाती है। 
दूसरा अक्षर ' ह्रीं ' है, जो चंद्रमा ग्रह को नियंत्रित करता है। इसका संबंध दुर्गा की दूसरी शक्ति ब्रह्मचारिणी से है, जिसकी पूजा दूसरे नवरात्रि को होती है। 
तीसरा अक्षर ' क्लीं ' है, जो मंगल ग्रह को नियंत्रित करता है।इसका संबंध दुर्गा की तीसरी शक्ति चंद्रघंटा से है, जिसकी पूजा तीसरे नवरात्रि को होती है। 
चौथा अक्षर 'चा' है जो बुध को नियंत्रित करता है। इनकी देवी कुष्माण्डा है जिनकी पूजा चौथे नवरात्री को होती है।
पांचवां अक्षर 'मुं' है जो गुरु ग्रह को नियंत्रित करता है। इनकी देवी स्कंदमाता है पांचवे नवरात्रि को इनकी पूजा की जाती है।
छठा अक्षर 'डा' है जो शुक्र ग्रह को नियंत्रित करता है। छठे नवरात्री को माँ कात्यायिनी की पूजा की जाती है।
सातवां अक्षर 'यै' है जो शनि ग्रह को नियंत्रित करता है। इस दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है।
आठवां अक्षर 'वि' है जो राहू को नियंत्रित करता है । नवरात्री के इस दिन माँ  महागौरी की पूजा की जाती है।
नौवा अक्षर 'च्चै '  है। जो केतु ग्रह को नियंत्रित करता है। नवरात्री के इस दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

नवरात्रि व्रत विधि :-
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्‍थापना कर अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार व्रत रखने का संकल्‍प करे। 
प्रतिदिन श्रद्धा भक्ति के साथ घर में अखंड ज्योत जलाये। 
सुबह-साम भोग लगाकर श्री दुर्गा सप्तशती पाठ व आरती करे। 
प्रतिदिन श्री दुर्गा सप्तसती या सिद्धि कुञ्चिका स्त्रोत्र का पाठ करे। 
अष्‍टमी या नवमी के दिन नौ कन्‍याओं को भोजन कराएं. उन्‍हें उपहार और दक्षिणा दें.
अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें.

विशेष :--आज के दिन नीम की पत्तियाँ व अजवाइन प्रसाद के तौर पर खाकर इस त्यौहार को मनाने की शुरुआत की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे रक्त साफ़ होता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसका स्वाद यह भी दिखाता है कि चटनी की ही तरह जीवन भी खट्टा-मीठा होता है।
-घर के छत पर भगवा झंडा लगाए ,शंखनाद करे। 
-घर में प्रतिदिन गुग्गल,लोबान व कपूर जलाएं।  

सभी देशवाशियों के लिए हिन्दू नववर्ष विक्रम सम्वत 2081 व चैत्र नवरात्री की हार्दिक बधाई ,शुभकामनायें ,सभी निरोग रहे ,सुखी रहे,संपन्न रहे यही माँ भवानी से कामना करता हूँ .

पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 
 ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ

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