होलास्टक 2024 :- पंडित कौशल पाण्डेय जानिए होलिका दहन 2024 शुभ मुहूर्त

#होलास्टक 2024 :- पंडित कौशल पाण्डेय 
जानिए होलिका दहन  शुभ मुहूर्त 2024



फाल्गुन माह की पूर्णिमा 24  मार्च 2024  को होलिका दहन किया जाएगा और इसके अगले दिन 25  मार्च को धुलेण्डी (होली) का पर्व मनाया जाता है, 
शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन के आठ दिन पूर्व होलाष्टक लग जाता है. इसके अनुसार होलाष्टक लगने से होली तक कोई भी शुभ संस्कार संपन्न नहीं किए जाते.
इस वर्ष फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 16 मार्च को हो रहा है जो 24 मार्च को होलिका दहन तक रहेगा और होलिका दहन के साथ होलाष्टक का समापन हो जाएगा।

होलाष्टक में वर्जित कार्य
शास्त्रीय परंपरा के अनुसार 24  मार्च को होलाष्टक प्रारम्भ हो जायेगा इन दिनों में  16 संस्कार जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्यों पर रोक लग गई है. ये शुभ कार्य धुलेण्डी के बाद ही शुरू होंगे. 
इस समय शुभ कार्य प्रारंभ करने से बचा जाता है.

होलाष्टक में क्यों नहीं करते शुभ काम ?
मान्यता के अनुसार कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी। इससे रुष्ट होकर उन्होंने प्रेम के देवता को फाल्गुन की अष्टमी तिथि के दिन ही भस्म कर दिया था। इसके बाद कामदेव की पत्नी रति ने शिव की आराधना की और कामदेव को पुनर्जीवित करने की प्रार्थना की, जिसके बाद शिवजी ने रति की प्राथना स्वीकार कर ली। महादेव के इस निर्णय के बाद जन साधारण ने हर्षोल्लास मनाया और होलाष्टक का अंत होलिका दहन के दिन हो गया। यही वजह है कि ये 8 दिन शुभ कार्यों के लिए वर्जित माने गए। 

होलिका दहन का मुहूर्त किसी त्यौहार के मुहूर्त से ज्यादा महवपूर्ण और आवश्यक है। यदि किसी अन्य त्यौहार की पूजा उपयुक्त समय पर न की जाये तो मात्र पूजा के लाभ से वञ्चित होना पड़ेगा परन्तु होलिका दहन की पूजा अगर अनुपयुक्त समय पर हो जाये तो यह दुर्भाग्य और पीड़ा देती है।

होलिका दहन 2024 शुभ मुहूर्त-
24 मार्च को भद्राकाल रात्रि 11 बजकर 13 मिनट तक रहने वाला है, इसलिए होलिका दहन का श्रेष्ठ मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से लेकर 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।

🔆होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, अपनी राशि के अनुसार डालें आहुति अन्य विशेष जानकारी🔆

🔆राशियों के अनुसार होलिका में डालें आहुति

=मेष और वृश्चिक राशि के लोग गुड़ की आहुति दें।
=वृष राशि वाले होलिका में चीनी की
=मिथुन और कन्या राशि के लोग कपूर की
=कर्क के लोग लोहबान की
=सिंह राशि के लोग गुड़ की
=तुला राशि वाले कपूर की
=धनु और मीन के लोग जौ और चना की
=मकर व कुंभ वाले तिल का होलिका दहन में आहुति दें।

☸होलिका दहन 2024  पूजा की विधि:-
होलिका कि पूजा क्यों –?
आज कल लोग होलिका की पूजा करते देखे जाते है जो हिन्दू धर्म के विपरीत है , जैसा कि हमारे धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि होलिका एक राक्षसी थी जिसे वर स्वरुप आग में न जलने का वरदान प्राप्त था लेकिन ईश्वर के खिलाफ जाने से वह तो जल गई और भक्त प्रह्लाद हरी नाम का सुमिरन करने के कारन आग से भी जिन्दा बच गए , इस लिए होलिका की पूजा न कर के भक्त प्रह्लाद के लिए पूजा करनी चाहिए , तभी से प्रति वर्ष यह पर्व भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होलीका को जला कर मनाया जाता है.

भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए पूजन विधि
होलिका के समीप, पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ अपना मुख करके बैठे. भगवान विष्णु और अग्निदेव से प्रार्थना करके होलिका में आहूति दें.
फ़ूल-माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चे सूत, गुड़ हल्दी की गांठे, बताशे, नारियल आदि के द्वारा होलिका में अर्पित करे
इसके उपरांत कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर लपेटते हुए होलिका की तीन या सात बार परिक्रमा करें
और मन में कामना करे कि जिस प्रकार से भगवान विष्णु और अग्निदेव ने भक्त प्रह्लाद कि रक्षा ठीक वैसे ही हमारे मन मंदिर में ईश्वर के प्रति श्रद्धा विश्वास पैदा करे।
होलिका दहन के लिए लोग हरे भरे पेड़ों को काट कर होलिका में डाल देते है ऐसा नहीं करना चाहिए वृक्ष काटनेसे पर्यावरणकी हानि होती है ।
शास्त्रों में विधान मिलता है कि अरंडी के पेड़ को बीच में खड़ा करने के उपरांत सुखी लकड़िया और गोबर के उपले चारों तरफ डाल कर होलिका बनाना चाहिए या घर में लकड़ी के बेकार सामान आदि होलिका में जलाकर यह त्यौहार मानना चाहिए

करे ये उपाय
होलिका दहन के समय गेहूँ की बाल को जलती हुई होलिका में सेंकना चाहि‌ए इसके उपरांत बाली सेंककर घर में फैलाने से अन्न और धन की वृद्धि होती है।

🔆नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से बचने को होलिका दहन करें

=पुराणों और शास्त्रों में चार सिद्ध रात्रि में से होलिका दहन वाली रात को भी सिद्ध रात्रि माना गया है। नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से बचने के लिए होलिका दहन को सबसे अच्छा माना जाता है। इस दिन किए गए प्रयोग से मनचाहा फल मिलता है। नवग्रह जनित पीड़ा से निवारण के लिए अपनी राशि के अनुसार होलिका दहन में लकड़ी जरूर अर्पित करनी चाहिए। फिर होलिका के सात फेरे लगाना चाहिए ।

=मेष और वृश्चिक राशि के लोग होलिका दहन के समय खैर की लकड़ी
=वृष और तुला राशि वाले होलिका दहन वाले दिन गूलर की लकड़ी
=मिथुन और कन्या राशि के लोगों के लिए अपामार्ग की लकड़ी
=धनु और मीन राशि के लोगों के लिए पीपल की लकड़ी होलिका में डालें
=फिर राशि के अनुसार होलिका में द्रव्यों की आहुति डालें ।

🔆उपाय: होलिका से अपनी मुश्किलों से ऐसे कम सकते हैं

=शरीर की उबटन को होलिका में जलाने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
=सफलता प्राप्ति को होलिका दहन स्थल पर नारियल,पान तथा सुपारी भेंट करें।
=गृह क्लेश से निजात पाने और सुख-शांति के लिए होलिका की अग्नि में जौ-आटा चढ़ाएं।
=भय और कर्ज से निजात पाने के लिए नरसिंह स्रोत का पाठ करना लाभदायक होता है।
=होलिका दहन के बाद जलती अग्नि में नारियल दहन करने से नौकरी की बाधाएं दूर होती हैं।
=घर, दुकान और कार्यस्थल की नजर उतार कर उसे होलिका में दहन करने से लाभ होता है।
=होलिका दहन के दूसरे दिन राख लेकर उसे लाल रुमाल में बांधकर पैसों के स्थान पर रखने से बेकार खर्च रुक जाते हैं।
=लगातार बीमारी से परेशान हैं तो होलिका दहन के बाद बची राख मरीज़ के सोने वाले स्थान पर छिड़कने से लाभ मिलता है।
=बुरी नजर से बचाव के लिए गाय के गोबर में जौ, अरसी और कुश मिलाकर छोटा उपला बना कर इसे घर के मुख्य दरवाज़े पर लटका दें।

🔆शादी नहीं हो रही है तो होली पर करें यह उपाय:-

=जिन जातकों की शादी नहीं हो रही है और विलंब हो रहा है तो होली के दिन शिव मंदिर में पूजा करें। इसके साथ ही शिवलिंग पर पान, सुपारी और हल्दी की गांठ भी अर्पित करें। शादी की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए होलिका दहन के दौरान पांच सुपारी, पांच इलायची, मेवे, हल्दी की गांठ और पीले चावल लें जाए और इसकी पूजा कर इसे घर में देवी के सामने रख दें। ऐसा करने से शादी में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती है और जल्द ही विवाह के योग बन जाते हैं। दांपत्य जीवन में शांति के लिए होली की रात उत्तर दिशा में एक पाट पर सफेद कपड़ा बिछा कर उस पर मूंग, चने की दाल, चावल, गेहूं, मसूर, काले उड़द एवं तिल के ढेर पर नव ग्रह यंत्र स्थापित करें। इसके बाद केसर का तिलक कर घी का दीपक जला कर पूजन करें।

🔆नवविवाहिताओं को होली पर जाना चाहिए मायके

शास्त्रीय परम्परा के अनुसार नवविवाहिता को अपनी पहली होली पर मायके जाना चाहिए। होली के मौके पर सभी नई दुल्हन अपनी पहली होली अपने मायके में ही मनाती हैं। इस परंपरा को सालों से निभाया जा रहा है। होली के मौके पर नवविवाहिता अपने मायके चली जाती है और वहीं पर अपनी पहली होली मनाती है। माना जाता है कि शादी के बाद पहली होली पिहर में खेलने से एक नवविवाहिता का जीवन सुखमय और सौहार्द पूर्ण बीतता है। इसके साथ ही कुछ जगहों पर यह रिवाज इसलिए भी है कि शादी के बाद मायके में होली और पति से दूरी उनके बीच के प्रेम को और भी ज्यादा बढ़ा देता है।

🔆पहली होली नवविवाहिता और सास के लिए अशुभ

पहली होली सास और बहू एक साथ कभी नहीं देखती, क्योंकि सास और नई बहू का एक साथ होली को जलते देखना अशुभ माना जाता है, जिसका असर घर के लोगों पर पड़ता है। यह भी मत है कि यदि कोई सास और नविवाहिता एक साथ होली को जलता हुआ देखती है तो उनमें से किसी एक की मृत्यु भी हो सकती है। इसी कारण से पहली होली पर नवविवाहिता अपने मायके जाकर ही पहली होली खेलती है। पति और पत्नी के बीच इस अहसास को बढ़ाने के लिए मायके में पहली होली मनाने की परम्परा शुरू की गई थी।

कृपया अधिक से अधिक लोगों तक यह जानकारी पहुंचाए।

पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ

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