#महाशिवरात्रि व्रत पर कैसे अभिषेक करे :- पंडित कौशल पाण्डेय

#महाशिवरात्रि व्रत 8 मार्च पर कैसे अभिषेक करे  :- पंडित कौशल पाण्डेय 
#महाशिवरात्रि व्रत पर कैसे अभिषेक करे  :- पंडित कौशल पाण्डेय


फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि में भगवान महादेव शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभा वाले लिंग रूप में प्रकट हुए,अतः इस चतुर्दशी को शिव पूजन करने से जीव को अभीष्ठ सिद्धि प्रदान होती है।इस रात्रि के चारों प्रहर में चार बार पूजा करने का विधान है, शिव जी को गंगाजल, पन्चामृत, चंदन, स्वेतार्क पुष्प, अक्षत, स्वेत वस्त्र से श्रृंगार कर के आरती पूजन करना चाहिए, पूरी रात्रि उपवास, शिव मंत्र का जाप और ध्यान करना चाहिए,

महाशिवरात्रि अर्थात भगवान शिव की प्रिय रात्रि शिवरात्रि, :- शिव शब्द का अर्थ है 'कल्याण' और 'रा' दानार्थक धातु से रात्रि शब्द बना है, तात्पर्य यह कि जो सुख प्रदान करती है, वह रात्रि है। 
'शिवस्य प्रिया रात्रियस्मिन व्रते अंगत्वेन विहिता तदव्रतं शिवरात्र्‌याख्याम्‌।'
इस प्रकार शिवरात्रि का अर्थ होता है, वह रात्रि जो आनंद प्रदायिनी है और जिसका शिव के साथ विशेष संबंध है।
शिवलिंग पर जल चढाने का अर्थ ब्रह्म में प्राण लीन करना है , परमैकान्तिक शिवलिंग पर मात्र बिल्वपत्र चढाने से ही शिव जी प्रसन्न हो जाते है , कहते है कि दैहिक , दैविक , भौतिक तापों से संतप्त व्यक्ति के लिए त्रिदल युक्त बिल्वपत्र से बढ़कर कुछ भी नहीं है ,

पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 8 मार्च 2024 को रात 09.57 से शुरू होगी और अगले दिन 09 मार्च 2024 को शाम 06.17 मिनट पर समाप्त होगी. चूंकि शिवरात्रि की पूजा रात में होती है इसलिए इसमें उदयातिथि देखना जरुरी नहीं है.

निशिता काल मुहूर्त - प्रात: 12.07 - प्रात: 12.55 (9 मार्च 2024)
व्रत पारण समय - सुबह 06.37 - दोपहर 03.28 (9 मार्च 2024)
महाशिवरात्रि 2024 चार प्रहर मुहूर्त (Mahashivratri 2024 Char Prahar Puja Time)

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - शाम 06:25 - रात 09:28
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - रात 09:28 - 9 मार्च, प्रात: 12.31
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - प्रात: 12.31 - प्रात: 03.34
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - प्रात: 03.34 - प्रात: 06:37

शिव भगवान का ध्यान प्रायः ह्रदय में होता है यदि ह्रदय शुद्ध नहीं है काम , क्रोध , लोभादिक विकारों से दूषित है तो वहां भगवान कैसे आयेगे ।
कैसे करे शिवजी का पूजन :- शिवरात्रि के पावन पर्व पर भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है शिव का प्रिय दिन सोमवार है अतः सभी शिवालयों में शिव की विशेष पूजा सोमवार को की जाती है , शिवजी का अभिषेक गंगा जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, और गन्ने के रस आदि से किया जाता है। अभिषेक के बाद शिव लिंग के ऊपर बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, नीलकमल, ऑक मदार और भांग के पत्ते के आदि से पूजा की जाती है।

बेलपत्र पर सफ़ेद चन्दन से ओम नमः शिवाय या राम नाम लिख कर चढाने से महादेव अति शीघ्र प्रसन्न होते है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग पर सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं। ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक समीपत्र का महत्व होता है अतः शिव पूजा में शमी का पत्ता अवश्य चढ़ाये।
आज के दिन शिव पूजा, उपवास और रात्रि जागरण का प्रावधान है।इस सिद्धिदायक रात्रि में व्रत पूजन और मंत्र जाप के साथ जागरण करने से सभी सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती है ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति शिवरात्रि के व्रत पर भगवान शिव की भक्ति, दर्शन, पूजा, उपवास एवं व्रत नहीं रखता, वह सांसारिक माया, मोह एवं आवागमन के बँधन से हजारों वर्षों तक उलझा रहता है।

यह भी कहा गया है कि जो शिवरात्रि पर जागरण करता है, उपवास रखता है और कहीं भी किसी भी शिवजी के मंदिर में जाकर भगवान शिवलिंग के दर्शन करता है, वह जन्म-मरण पुनर्जन्म के बँधन से मुक्ति पा जाता है।
शिवरात्रि के व्रत के बारे में पुराणों में कहा गया है कि इसका फल कभी किसी हालत में भी निरर्थक नहीं जाता है।
शिवरात्रि व्रत धर्म का उत्तम साधन :
शिवरात्रि का व्रत सबसे अधिक बलवान है। भोग और मोक्ष का फलदाता शिवरात्रि का व्रत है। इस व्रत को छोड़कर दूसरा मनुष्यों के लिए हितकारक व्रत नहीं है। यह व्रत सबके लिए धर्म का उत्तम साधन है। निष्काम अथवा सकाम भाव रखने वाले सांसारिक सभी मनुष्य, वर्णों, आश्रमों, स्त्रियों, पुरुषों, बालक-बालिकाओं तथा देवता आदि सभी देहधारियों के लिए शिवरात्रि का यह श्रेष्ठ व्रत हितकारक है।
शिवरात्रि के दिन प्रातः उठकर स्नानादि कर शिव मंदिर जाकर शिवलिंग का विधिवत पूजन कर नमन करें। रात्रि जागरण शिवरात्रि व्रत में विशेष फलदायी है।
गीता में इसे स्पष्ट किया गया है-
या निशा सर्वभूतानां तस्या जागर्ति संयमी।यस्यां जागृति भूतानि सा निशा पश्चतो सुनेः॥
तात्पर्य यह कि विषयासक्त सांसारिक लोगों की जो रात्रि है, उसमें संयमी लोग ही जागृत अवस्था में रहते हैं और जहाँ शिवपूजा का अर्थ पुष्प, चंदन एवं बिल्वपत्र, धतूरा, भाँग आदि अर्पित कर भगवान शिव का जप व ध्यान करना और चित्त वृत्ति का निरोध कर जीवात्मा का परमात्मा शिव के साथ एकाकार होना ही वास्तविक पूजा है।

संपूर्ण कष्टों और पुनर्जन्म से मुक्ति चाहने वाले मनुष्य को गंगा जल और पंचामृत चढ़ाते हुए
'ॐ नमो भगवते रुद्राय। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नों रुद्रः प्रचोदयात।'
मंत्र को पढ़ते हुए सभी सामग्री जो भी यथा संभव हो, उसे लेकर समर्पण भाव से शिव को अर्पित करें। श्रद्धा भाव और विश्वास के साथ जो भी पूजन आप करेंगे, उससे प्रसन्न होकर महादेव आपकी सभी मनोकामना पूर्ण करेंगे।

शिवरात्रि में चार प्रहरों में चार बार अलग-अलग विधि से पूजा का प्रावधान है।
शिवरात्रि के प्रथम प्रहर में भगवान शिव की ईशान मूर्ति को दुग्ध द्वारा स्नान कराएँ,
दूसरे प्रहर में उनकी अघोर मूर्ति को दही से स्नान करवाएँ और
तीसरे प्रहर में घी से स्नान कराएँ व चौथे प्रहर में उनकी सद्योजात मूर्ति को मधु द्वारा स्नान करवाएँ। इससे भगवान आशुतोष अतिप्रसन्न होते हैं।

शिवरात्रि के दिन समूचा शहर शिवमय हो जाता है। चारों ओर बस शिव जी का ही गुंजन सुनाई देता है।
शिवरात्रि के दिन महामृत्युंजय मंत्र :- महाकाल की आराधना और उनके मंत्र जाप से मृत्यु शैया पर पड़े व्यक्ति में भी जान डाल देता है । खासकर तब जब व्यक्ति अकाल मृत्यु का शिकार होने वाला हो। इस हेतु एक विशेष जाप से भगवान महाकाल का लक्षार्चन अभिषेक किया जाता है-

'ॐ ह्रीं जूं सः भूर्भुवः स्वः, ॐ त्र्यम्बकं स्यजा महे सुगन्धिम्पुष्टिवर्द्धनम्‌। उर्व्वारूकमिव बंधनान्नमृत्योर्म्मुक्षीयमामृतात्‌ ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ' इसी तरह सर्वव्याधि निवारण हेतु इस मंत्र का जाप किया जाता है।
अंत में श्री महाकालेश्वर से परम पुनीत प्रार्थना है कि इस शिवरात्रि में इस अखिल सृष्टि पर वे प्रसन्न होकर सभी जीव का कल्याण करें - 
'कर-चरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम, 
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व, जय-जय करुणाब्धे, श्री महादेव शम्भो॥
' अर्थात हाथों से, पैरों से, वाणी से, शरीर से, कर्म से, कर्णों से, नेत्रों से अथवा मन से भी हमने जो अपराध किए हों, वे विहित हों अथवा अविहित, उन सबको है करुणासागर महादेव शम्भो! क्षमा कीजिए, एवं आपकी जय हो, जय हो।

अभिषेकप्रिय शिव :- पंडित कौशल पाण्डेय 

रुद्राभिषेक के दौरान इस मंत्र करें जाप
शिव जी का रुद्राभिषेक करते समय मुख्य रूप से “रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:“ मंत्र का जाप करना विशेष फलदायी माना जाता है। इस मंत्र का अर्थ है कि रूद्र अवतार शिव हमारे दुखों को जल्द हर कर उसे समाप्त कर देते हैं। इस पवित्र क्रिया के दौरान निम्नलिखित श्लोकों का जाप करना उत्तम माना जाता है।

“सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:।
रुद्रात्प्रवर्तते बीजं बीजयोनिर्जनार्दन:।
यो रुद्र: स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशन:।
ब्रह्मविष्णुमयो रुद्र अग्नीषोमात्मकं जगत्।।”

ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥
ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय्‌ ॥
तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः॥
वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥
सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्‌भवाय नमः ॥
नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: ॥
यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्यो खिलं जगत् ।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु । 
पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥
विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत् । 
सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ॥

लघु रुद्राभिषेक मंत्र 
रुद्रा: पञ्चविधाः प्रोक्ता देशिकैरुत्तरोतरं ।
सांगस्तवाद्यो रूपकाख्य: सशीर्षो रूद्र उच्च्यते ।।
एकादशगुणैस्तद्वद् रुद्रौ संज्ञो द्वितीयकः ।
एकदशभिरेता भिस्तृतीयो लघु रुद्रकः।।

इस प्रकार से आप भी भगवान् शिव का रुद्राभिषेक कर अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकते हैं। केवल आपको इस बात का ध्यान रखना है कि जिस मनोकामना के लिए आप रुद्राभिषेक करने जा रहे हैं उसी के अनुसार अभिषेक के लिए द्रव्य का चुनाव करें।
भगवान शिव बहुत भोले हैं, यदि कोई भक्त सच्ची श्रद्धा से उन्हें सिर्फ एक लोटा पानी भी अर्पित करे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसीलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। महाशिवरात्रि पर शिव भक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए अनेक उपाय करते हैं।
कुछ ऐसे ही छोटे और अचूक उपायों के बारे शिवपुराण में भी लिखा है। ये उपाय इतने सरल हैं कि इन्हें बड़ी ही आसानी से किया जा सकता है। हर समस्या के समाधान के लिए शिवपुराण में एक अलग उपाय बताया गया है। ये उपाय इस प्रकार हैं-
👉🏻 महाशिवरात्रि पर करें ये आसान उपाय, प्रसन्न होंगे भोलेनाथ
🙏🏻 शिवपुराण के अनुसार, जानिए भगवान शिव को कौन सा रस (द्रव्य) चढ़ाने से क्या फल मिलता है-
👨‍👩‍👧‍👦 1. बुखार होने पर भगवान शिव को जल चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जल द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।
😇 2. तेज दिमाग के लिए शक्कर मिला दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।
😃 3. शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।
🙏🏻 4. शिव को गंगा जल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
😩 5. शहद से भगवान शिव का अभिषेक करने से टीबी रोग में आराम मिलता है।
🚶🏻 6. यदि शारीरिक रूप से कमजोर कोई व्यक्ति भगवान शिव का अभिषेक गाय के शुद्ध घी से करे तो उसकी कमजोरी दूर हो सकती है।
🙏🏻 शिवपुराण के अनुसार, जानिए भगवान शिव को कौन-सा फूल चढ़ाने से क्या फल मिलता है-
🌷 1. लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
🌷 2. चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है।
🌷 3. अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने पर मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।
🌷 4. शमी वृक्ष के पत्तों से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।
🌷 5. बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है।
🌷 6. जूही के फूल से भगवान शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
🌷 7. कनेर के फूलों से भगवान शिव का पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं।
🌷 8. हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
🌷 9. धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है।
🌷 10. लाल डंठलवाला धतूरा शिव पूजन में शुभ माना गया है।
🌷 11. दूर्वा से भगवान शिव का पूजन करने पर आयु बढ़ती है।
 इसके बाद भगवान शिव से रोग निवारण के लिए प्रार्थना करें और प्रत्येक सोमवार को रात में सवा नौ बजे के बाद गाय के सवा पाव कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने का संकल्प लें। इस उपाय से बीमारी ठीक होने में लाभ मिलता है।
कर्पूर गौरमं कारुणावतारं संसार सारम भुजगेंद्र हारम | सदा वसंतां हृदयारविंदे भवम भवानी साहितम् नमामि ||
देवों के देव महादेव के पावन पर्व महाशिवरात्रि के पर्व की अनेकों शुभकामनाएं ।
भगवान शिव की अति कृपा आप सभी के जीवन में नित्य रहे, आप सभी हमेशा जीवन में 
पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ

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