चुनाव के नामांकन के लिए शुभ नक्षत्र व् समय

चुनाव के नामांकन के लिए शुभ नक्षत्र व् समय 
नामांकन के लिए शुभ नक्षत्र व् समय


सनातन धर्म में प्रायः शुभ कार्य के लिए शुभ नक्षत्र वार और समय देखा जाता है , वैसे ही चुनाव में  शुभ मुहूर्त में ही चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करें। 
क्योंकि किसी भी कार्य को शुभ समय में करने से कार्यसिद्धि की सफलता दोगुनी हो जाती है और जो काम बिना शुभ समय ,तिथि और काल का विचार किये किया गया है तो कार्य सिद्धि  या तो होती ही नहीं और यदि होती भी है तो बहुत ज्यादा परेशानियों आती है। 

कई बार मुहूर्त को लोग बोझिल या अन्धविश्वास समझ कर छोड़ देते है और उसका परिणाम अशुभ होता है अतः ऐसा न करें अपने धर्म के अनुसार ही कार्य करे। 
# चुनाव नामांकन #Election Nomination  के लिए शुभ मुहूर्त का अवश्य ही चयन करे अवश्य ही शुभ परिणाम आएगा। 

शुभ मुहूर्त आपके भविष्य को बदले या न बदले, परंतु जीवन के प्रमुख कार्य शुभ मुहूर्त में करते हैं तो आपका जीवन निश्चित ही आनंददायक बन जाएगा। 
अत: हमें अवश्य ही शुभ समय का चयन करना चाहिए।

कैसे बनता है चुनाव में नामांकन हेतु शुभ मुहूर्त ?
चुनाव में नामांकन हेतु शुभ मुहूर्त निकालने के लिए निम्नलिखित बातों का विशेष रूप ध्यान रखा जाता है-

तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण,  शुक्र और गुरु अस्त, अशुभ योग, भद्रा, मलमास, अधिकमास, शुभ लग्न, शुभ योग तथा राहू काल इत्यादि  योग से शुभ मुहूर्त का चयन किया जाता है जैसे – सर्वार्थसिद्धि योग, रवि योग , गुरु-पुष्य योग इत्यादि।

शुभ तिथि विचार :-  प्रतिपदा (कृष्ण पक्ष), द्वितीया, तृतीया, पंचमी, नवमी, दशमी, द्वादशी तथा  पूर्णिमा (शुक्ल पक्ष)  तिथियां ग्राह्य है।

शुभ वार विचार :-    सोमवार, बुधवार गुरूवार तथा शुक्रवार  का दिन शुभ माना गया है।

शुभ नक्षत्र विचार :-  अश्विनी, रोहिणी,  पुनर्वसु, पुष्य, तीनों उत्तरा, हस्त अनुराधा, श्रवण धनिष्ठा तथा रेवती नक्षत्र शुभ होता है।

योग शुद्धि विचार :-  प्रीति, आयुष्मान, सोभाग्य, शोभन, धृति एवं सुकर्मा योग में चुनाव का नामांकन भरना चाहिए।

करण शुद्धि विचार :-  विष्टी, नाग एवं शकुनी को छोड़कर शेष करण ग्रहण करने योग्य है

लग्न शुद्धि विचार :-  चर लग्न  यथा – मेष, कर्क, तुला एवं मकर लग्न में ही नामांकन भरना चाहिए।

चंद्र शुद्धि विचार :- चुनावी नामांकन करते समय चंद्र शुद्धि का अवश्य ही विचार कर लेना चाहिए। 
इसके लिए प्रत्याशी की राशि से 6, 8 और 12 वे स्थान में चन्द्रमा नहीं होना चाहिए।

विशेष – नामांकन पर्चा भरने के समय की कुंडली में केंद्र और त्रिकोण में शुभ ग्रह हों तथा तीसरे, छठे, तथा ग्यारहवें भाव में पाप ग्रह होना चाहिए। 
लग्न तथा लग्नेश पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो।  बुध शुक्र और गुरु ग्रह उदित हो।

सर्वार्थसिद्धि योग
सर्वार्थ सिद्धि  योग में कार्य प्रारम्भ करने से कार्यों में व्यवधान नहीं आती है। यदि सोमवार के दिन रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा तथा श्रवण नक्षत्र हो तो  सर्वार्थसिद्धि योग का निर्माण होता है।

गुरु-पुष्य योग 
यदि गुरुवार को चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र में हो तो इससे पूर्ण सिद्धिदायक योग बन जाता है।

अन्य शुभ दिन यदि चतुर्दशी तिथि को सोमवार आये तथा पूर्णिमा या अमावस्या के दिन मंगलवार हो तो वह दिन भी शुभ मुहूर्त होता है। इस योग में किया गया कार्य शुभ फलटदायक होता है।  

राहु काल 
राहुकाल सप्ताह के सातों दिन में निश्चित समय पर लगभग 90 मिनट तक रहता है। इसे अशुभ समय के रूप मे देखा जाता है अतः कोई भी शुभ कार्य इस समय न करे 
रविवार -सायं - 4.30 से 6.00 तक।
सोमवार -प्रातः -7.30 से 9.00 तक।
मंगलवार -दिन -3.00 से 4.30 तक।
बुधवार -दिवा -12.00 से 1.30 तक।
गुरूवार -दिन -1.30 से 3.00 तक।
शुक्रवार -प्रातः -10.30 से 12.00तक।
शनिवार -प्रातः -9.०० से 10.30तक।

पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ

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