आरती युगल सरकार की
नख शिख छविधर की, आरती करिये सियवर की ।
तिलक चिलक भालन पै भ्राजै
मुख निरखत शारद शशि लाजै
नील पीत अम्बर शुभ छाजै
कुमकुम केशर की. आरती करिये सियवर की।।
नख सिख छवि धर की........
कर्ण फूल कुण्डल झलकत है
चन्द्र हार मोती लहरत है
कर कंकण की धुति दमकत हैं।
जगमग दिनकर की, आरती करिये सियवर की।।
नख सिख छवि धर की.......
मृदु तरवन में अधिक लुनाई
हास विलास न कछु कहि जाई
चितवन की छवि अति सुखदाई
मन ही मनहर की, आरती करिये सियवर की।।
नख सिख छवि धर की.........
सिंहासन पर चँवर ढुरत है
झाँझ बजत जय जय उचरत हैं
सादर स्तुति देव करत हैं
अंँजुरिन सुमन देव वरषत हैं
लुटरनि अनुचर की. आरती करिये सियवर की।।
नख शिख छवि धर की आरती करिये सियावर की।
श्री युगल सरकार जी आपकी जय जयकार हो।।
0 टिप्पणियाँ