चन्द्रमा के उपाय, जानिए चंद्र ग्रह उत्पत्ति कैसे हुई ?

जानिए चंद्र ग्रह उत्पत्ति कैसे हुई ?
पृथ्वी के सबसे नजदीक रहने वाला ग्रह चन्द्रमा  है। चन्द्रमा का पृथ्वी पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। चन्द्रमा को ज्योतिष व वेदों में मन का कारक कहा गया है। साहित्य में इसे सोम कहा गया है। चन्द्रमा का मन से बेहद गहरा सम्बन्ध है। इसीलिए समस्त प्राणियों के लिए मानसिक सुख और शान्ति का प्रभाव कारक ग्रह चन्द्रमा को माना गया है। 


चन्द्रमा एक जलीय ग्रह है और यह कर्क राशि का स्वामी है। यह वृष राशि में शुभ और वृश्चिक राशि में अशुभ फल देता है। यदि यह अशुभ ग्रहों कि युति में है तो मन में हमेशा विध्वंसक विचार जन्म लेते रहते हैं। यदि शुभ ग्रहों का साथ है तो शुभ विचारों की उत्पत्ति होती है। 

ज्‍योतिष शास्‍त्र में चन्द्र ग्रह उत्तर-पश्चिम दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है। चन्द्र का भाग्य रत्न मोती है। चन्द्र ग्रह का रंग श्वेत, चांदी माना गया है। चन्द्र का शुभ अंक 2, 11, 20 है।

ज्योतिषानुसार यह शरीर में बाईं आंख, गाल, मांस, रक्त बलगम, वायु, स्त्री में दाईं आंख, पेट, भोजन नली, गर्भाशय, अण्डाशय, मूत्राशय चन्द्र कुण्डली में कमजोर या पीड़त हो तो व्यक्ति को ह्रदय रोग, फेफडे, दमा, अतिसार, दस्त गुर्दा, बहुमूत्र, पीलिया, गर्भाशय के रोग, माहवारी में अनियमितता, चर्म रोग, रक्त की कमी, नाडी मण्डल, निद्रा, खुजली, रक्त दूषित होना, फफोले, ज्वर, तपेदिक, अपच, बलगम, जुकाम, सूजन, जल से भय, गले की समस्याएं, उदर-पीडा, फेफडों में सूजन, क्षयरोग पैदा करता है। चन्द्रमा से प्रभावित रहने वाला व्यक्ति बार-बार विचार बदलने वाला होता है।

ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में चन्द्रमा यदि अपनी ही राशि में या मित्र, उच्च राशि षड्बली, शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो चन्द्रमा की शुभता में वृद्धि होती है। जन्म कुण्डली में चंद्रमा यदि मजबूत एवं बली अवस्था में हो तो व्यक्ति समस्त कार्यों में सफलता पाने वाला तथा मन से प्रसन्न रहने वाला होता है। ऐसा व्‍यक्‍ति पद प्राप्ति, पदोन्नति, जलोत्पन्न, तरल एवं श्वेत पदार्थों के कारोबार से लाभ पाता है।

चंद्रमा के अशुभ असर को कम करने के लिए चावल, दूध, चांदी, मोती, दही, मिश्री, श्वेत वस्त्र, श्वेत फूल या चन्दन. इन वस्तुओं का दान सोमवार के दिन सायंकाल में करना चाहिए। जिनकी कुंडली में चन्द्र अशुभ हो उन्‍हें चंद्र की शुभता लेने के लिए माता, नानी, दादी, सास एवं इनके पद के समान वाली स्त्रियों का आशीर्वाद लेना चाहिए।

 जानिए चंद्र ग्रह की उत्त्पत्ति कैसे हुई ?
अग्नि पुराण के अनुसार-ब्रहमा जी ने जब सृष्टि की रचना करने का मन बनाया तो सबसे पहले मानसिक संकल्प के द्वारा मानस पुत्रों को उत्पन्न किया। उनमें से एक मानस पुत्र ऋषि अत्रि का विवाह ऋषि कर्दम की कन्या अनुसुइया से हुआ जिससे दुर्वासा, दत्तात्रेय व सोम नाम के तीन पुत्र उत्पन्न हुये। सोम को भी चन्द्रमा कहा जाता है। 

स्कन्द पुराण जब देवों और दैत्यों ने मिलकर क्षीर सागर का मंथन किया तो उसमें 14 प्रकार के रत्न निकले। उन्हीं 14 रत्नों में एक रत्न चन्द्रमा भी है। लोक कल्याण हेतु उसी मंथन से प्राप्त विष को भगवान शंकर को ग्रहण कर लिया और चन्द्रमा को अपने मस्तक पर धारण कर लिया। चन्द्रमा की उपस्थित समुद्र मंथन से पूर्व भी सिद्ध होती है। स्कन्द पुराण के ही महेश्वर खण्ड में ऋषि गर्गाचार्य ने समुद्र मंथन का मुहूर्त निकालते समय देवों से कहा था कि इस समय सभी ग्रह अनुकूल है। चन्द्रमा से बृहस्पति का शुभ योग बन रहा है जो कार्य सिद्ध के लिए उत्तम है। अतः यह सम्भव है कि चन्द्रमा का जन्म विभिन्न कालों में हुआ होगा। चन्द्रमा का विवाह दक्ष प्रजापति की नक्षत्र रूपी 27 कन्याओं से हुआ था। चन्द्रमा को रोहिणी अधिक प्रिय है क्योंकि चन्द्रमा अधिकतम समय रोहिणी नक्षत्र में रहता है। इन्हीं 27 नक्षत्रों के भोग से एक चन्द्र मास पूर्ण होता है।

चन्द्रमाँ का दान वस्तु :- चावल, दूध, चांदी, मोती, दही, मिश्री, श्वेत वस्त्र, श्वेत फूल या चन्दन. इन वस्तुओं का दान सोमवार के दिन सायंकाल में करना चाहिए. जिनकी कुंडली में चन्द्र अशुभ हो ऐसे लोग चंद्र की शुभता लेने के लिए माता, नानी, दादी, सास एवं इनके पद के समान वाली स्त्रियों का आशीर्वाद ले

चन्द्रमा के उपाय
प्रथम भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय 

1:- वट बृक्ष की जड़ में पानी डालें. 
2:- चारपाई के चारो पायो पर चांदी की कीले लगाऎं 
3:-शरीर पर चाँदी धारण करें. 
4:-व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए। 
5:-पूर्णिमा के दिन शिव जी को खीर का भोग लगाएँ,

द्वितीय भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय 
1:- मकान की नीव में चॉदी दबाएं. 
2:- माता का आशीर्वाद लें.

तृतीय भाव में स्थित चन्द्रमा का उपाय 
1:- चांदी का कडा धारण करें. 
2: पानी ,दूध, चावल का दान करे़.

चतुर्थ भाव में स्थित चन्द्रमा का उपाय 

1:- चांदी, चावल व दूध का कारोबार न करें. 

2:- माता से चांदी लेकर अपने पास रखे व माता से आशिर्वाद लें. 

3:-घर में किसी भी स्थान पर पानी का जमाव न होनें पाए।


पचंम भाव में स्थित चन्दमा के उपाय 1:- ब्रह्मचर्य का पालन करें. 2:- बेईमानी और लालच ना करें, झूठ बोलने से परहेज करें. 3:-11 सोमवार नियमित रूप से 9 कन्यावों को खीर का प्रसाद दें। 4:- सोमवार को सफेद कपडे में चावल, मिशरी बांधकर बहते पानी में प्रवाहित करें.
छटे भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय 1:- श्मशान में पानी की टंकी या हैण्डपम्प लगवाएं. 2:- चांदी का चोकोर टुकडा़ अपने पास रखें. 3:- रात के समय दूध ना पीयें. 4:- माता -सास की सेवा करें.

सप्तम भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय 1:- पानी और दूध का व्यापार न करें. 2:- माता को दुख ना पहुचाये.

अष्टम भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय 1) श्मशान के नल से पानी लाकर घर मे रखें. 2) छल-कपट से परहेज करें. 3) बडे़-बूढो का आशीर्वाद लेते रहें. 4) श्राद्ध पर्व मनाते रहे. 5) कुएं के उपर मकान न बनाएं. 6) मन्दिर में चने की दाल चढायें. 7) व्यभिचार से दूर रहे.

नवम भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय 1:- धर्म स्थान में दूध और चावल का दान करे 2:- मन्दिर में दर्शन हेतु जाएं. 3:-बुजुर्ग स्त्रियों से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
दशम भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय 1:- रात के समय दूध का सेवन न करें. 2:- मुफ्त में दवाई बांटें. 3:- समुद्र, वर्षा या नदी का पानी घर में रखें.
एकादश भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय 1:- भैरव मन्दिर में दूध चढायें. 2:- सोने की सलाई गरम करके उसको दूध में ठण्डा करके उस दूध को पियें. 3:- दूध का दान करें.
क्या न करें :- ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार चन्द्रमा कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को रात्रि में दूध नहीं पीना चाहिए. सफ़ेद वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए और चन्द्रमा से सम्बन्धित रत्न नहीं पहनना चाहिए.
जब चन्द्र की दशा में अशुभ फल प्राप्त हो तो चन्द्रमा के मन्त्रों का जाप करे या जाप कराये :- चन्द्रमाँ का बीज मंत्र है :- ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम: (जप संख्या 11000)
चन्द्रमाँ का वैदिक मंत्र है :- ” ॐ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम । भाशिनं भवतया भाम्भार्मुकुट्भुशणम।। ”

द्वादश भाव में स्थित चन्द्रमा के उपाय 1:- वर्षा का पानी घर में रखें. 2:- धर्म स्थान या मन्दिर में नियमित सर झुकाए .


पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ

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