शनि अमावश्या 27-08-2022:-पंडित कौशल पाण्डेय

शनि अमावश्या  :-पंडित कौशल पाण्डेय 



शनि अमावश्या


शनि अमावश्या 27 अगस्त 2022
भाद्रपद मास की अमावस्या शनिवार के दिन है. इस अमावस्या को शनि अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इसे कुशाग्रही अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के साथ ही सभी सनातनी प्ररिवार अपने पितरों पूर्वजों के लिए दान व् तर्पण करते है। 
किसी भी परिवार की समृद्धि के लिए पितृ पूर्वज बहुत ही कल्याणकारी होते है अतः प्रत्येक अमावश्या के दिन अपने पितरों के निमित्त दान व तर्पण अवश्य करे आज के दिन गऊ ,कुत्ते और कौवे को चारा अवश्य ड़ालना चाहिए 
 

अमावस्या तिथि 27 अगस्त 2022 दिन शनिवार 
शनि अमावस्या के दिन किए गए खास उपाय शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के मुक्ति दिलाता है। 
शनिश्चरी अमावस्या  के दिन सायं काल पीपल के निचे तिल या सरसो के तेल से दिया जलाये। 
शनिदेव को तिल-तेल से अभिषेक करे  
श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना ग्रहण दोष से मुक्ति प्रदान करता है। 
‘ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करे। 

तिल स्नान से दूर होंगे दोष
शनिचरी अमावस्या के दिन  पानी में गंगाजल या किसी पवित्र नदी के जल के साथ तिल मिलाकर नहाना चाहिए। ऐसा करने से कई तरह के दोष दूर होते हैं। शनिचरी अमावस्या पर पानी में काले तिल डालकर नहाने से शनि दोष दूर होता है। इस दिन काले कपड़े में काले तिल रखकर दान देने से साढ़ेसाती और ढय्या से परेशान लोगों को राहत मिल सकती है। साथ ही एक लोटे में पानी और दूध के साथ सफेद तिल मिलाकर पीपल पर चढ़ाने से पितृ दोष का असर कम होने लगता है।

पीपल पूजा और दीपदान का महत्व
शनि अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करने से बहुत लाभ होता है। प्रत्येक अमावस्या के दिन  कच्चे दूध में जौ, तिल, चावल और गंगाजल मिलाकर पीपल में चढ़ाएं और दीपक जलाएं। पीपल में जल चढ़ाने के बाद उसकी परिक्रमा करनी चाहिए। इसके बाद दीपदान भी करना चाहिए।

शनि देव को तिल के तेल का दीपक
शनि अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा सफेद अपराजिता और शनिदेव की पूजा नीले फूलों से करनी चाहिए। इसके बाद तिल के तेल का दीपक लगाएं। ऐसा करने से परेशानियां कम होती हैं। 
शनि ग्रह की शुभता के लिए उपाय 
जन्मकुंडली अथवा गोचर के अशुभ शनि या शनि की दशा-अंतर्दशा की पीड़ा से प्रभावित जनों को तात्कालिक लाभ एवं प्रगति के लिए सदाचार, सद्व्यवहार व धर्म आदि को अपनी दिनचर्या में आवश्यक रूप से शामिल करना चाहिए। 
शनि की साढ़ेसाती, ढैया, विंशोत्तरी महादशा आदि की अशुभता के प्रभाव को समाप्त करने के लिए शनि के तन्त्रोक्त अथवा वेदोक्त मंत्र का जप आदि भी लाभदायक होता है। 
किसी भी रूप में शनि से प्रभावित लोग जीवन में शनि की अनुकूलता व कृपा प्राप्त करने के लिए निम्न रत्न, यंत्र, मंत्र आदि उपाय करके सुख-समृद्धि हासिल कर सकते हैं। 
शनि रत्न नीलम यह रत्न शनि ग्रह की शुभता के लिए धारण किया जाता है। इसे शनि ग्रह की महादशा या अंतर्दशा में धारण कर सकते हैं, परंतु इसे धारण करने से पूर्व किसी सुयोग्य अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श जरूर लें। 

शनि उपरत्न नीली: यह रत्न शनि ग्रह का उपरत्न माना जाता है। यदि आप नीलम धारण करने में असमर्थ हो तो इस रत्न की अंगूठी अथवा लाॅकेट शनिवार को धारण कर सकते हैं। इसे धारण करने से शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों का शमन होता है। शनि कवच: यह कवच सात मुखी रुद्राक्ष एवं शनि ग्रह के उपरत्न नीली के संयुक्त मेल से बना होता है। 

लोहे का छल्ला:- यह छल्ला शनि ग्रह की अनुकूलता के लिए शनिवार को सायं काल गंगाजल, धूप, दीप आदि से पूजन व शनि मंत्र का 108 बार उच्चारण करके दायें हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए। 
आप निम्न शनि मंत्रों में किसी भी मंत्र का अपनी सुविधा अनुसार जप कर सकते हैं- 
1. वैदिक शनि मंत्र: शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शं योरभि स्रवन्तु नः।। 
2. शनि तत्रोक्त मंत्र: ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः। 
3. शनि लघु बीज: ॐ  शं शनैश्चराय नमः।

पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 
 ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ

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