श्रीशनि अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् एवं दुर्भाग्य नाशक उपाय

 श्रीशनि अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् एवं दुर्भाग्य नाशक उपाय 
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सूय पुत्र शनिदेव 
शनिदेव मकर ,कुम्भ राशि के स्वामी है यह मेष राशि में अशुभ व् तुला राशि में शुभ प्रभाव देते है। न्याय  
अशुभ शनि या शनि की दशा-अंतर्दशा की पीड़ा से प्रभावित जनों को तात्कालिक लाभ एवं प्रगति के लिए सदाचार, सद्व्यवहार व धर्म आदि को अपनी दिनचर्या में आवश्यक रूप से शामिल करना चाहिए। जिनके जन्मकाल में, गोचर में, दशा  में, महादशा  में, 27 अंतर्दषाओं में अथवा लग्न, द्वितीय, चतुर्थ, अष्टम्, द्वादष स्थान में शनि हो उन जातकों को निम्न उपाय अवष्य ही करना चाहिये।

शनिदेव से संबंधित जप, तप, व्रत व दान विधान निम्न प्रकार हैं: शनि जप विधान शनिदेव के मंत्र का निष्चित जप संख्या के आधार पर रूद्राक्ष माला के द्वारा करना चाहिये। प्रतिदिन नियत संख्या में माला जाप करना चाहिये। जाप पूर्ण होने के पष्चात् जप का दषांष हवन, हवन का दषांष तर्पण, तर्पण का दषांष मार्जन एवं मार्जन का दषांष ब्राह्मण भोजन का विधान है। 

शनि के विभिन्न मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र का जप विभिन्न जप संख्या के आधार पर करने से शनि की पीड़ा व दोष का निवारण होता है। शनि तप विधान शनि तप विधान के अंतर्गत शनिदेव के विभिन्न स्तोत्रों, कवच आदि का पाठ किया जाता है। यह उपाय अनुष्ठानिक कर्म के आधार पर 11 दिन, 21 दिन, 31 दिन, 51 दिन, 108 दिन तक किया जाता है। कवच व स्तोत्र के पाठ से शनिदेव की साढे़साती व ढैया दोष को शांत किया जा सकता है। 

शनि की पत्नियों के नामों का पाठ ध्वजिनी, धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया कलही कंटकी चैव ज्वालामुखी सुलोचना शनि पत्न्याष्च नामानि प्रातरूत्थय यः पठेत्।तस्य शनैष्चरी पीड़ा कदापि न भविष्यति। 

शनिग्रह की दान की ये प्रक्रिया 7 शनिवार, 11 शनिवार, 21 शनिवार आदि के क्रम में लगातार करना चाहिये। 
शनि दान सामग्री काला वस्त्र, उड़द साबुत, तेल, काली तिल्ली, लोहा, कोयला, काला फल, काला कंबल, नारियल, दक्षिणा, सुपारी, शनिवार व्रत कथा की पुस्तक। शनि यज्ञ (हवन) शनि ग्रह से संबंधित दोष व पीड़ा की सम्पूर्ण शांति हेतु शनि शांति यज्ञ का विधान है। यज्ञ में अपूर्व शक्ति होती है। यज्ञ के द्वारा पूर्ण वातावरण शुद्ध हो जाता है। हवन का कर्म पूर्ण शुद्धता के द्वारा यज्ञों के नियमों के अनुकूल करना चाहिये। शनि शांति यज्ञ शुभ मुहूर्त में पंचांग में अग्निवास देखकर वेद मंत्रों के द्वारा सम्पन्न करना चाहिये। इस विधान के अंतर्गत हवन से संबंधित देवी या देवता के अलग-अलग पीठ या मण्डल विभिन्न धान्यों के द्वारा बनाये जाते हैं।
शनि शांति यज्ञ में शनि की लकड़ी शमी समिधा द्वारा विषेष आहुतियां अधिक से अधिक संख्या में प्रदान करना चाहिये।

 शनिदेव की आरती करके मंत्र पुष्पांजलि एवं क्षमाप्रार्थना करना चाहिये। शनि शांति के अन्य उपाय शनिदेव से खुषहाली पाने के कुछ ऐसे सरल उपाय हैं जिन्हें साधक स्वयं कर सकता है जो निम्नलिखित हैं:- - प्रति शनिवार शनि के 108 नामों का पाठ व शनि चालीसा का पाठ करना चाहिये। 
- प्रति शनिवार शनि मंदिर में जाकर शनिदेव से संबंधित दान, तेल, उड़द, शनिदेव को अर्पण करके शनि दर्षन लेना लाभप्रद है। 
- किसी विद्वान ज्योतिषी या गुरु के परामर्ष अनुसार शनि रत्न नीलम या उपरत्न धारण करें। 
- पूजा घर में शनियंत्र को प्रतिष्ठित करके प्रतिदिन पूजन करना हितकर होता है 
- शनिदेव से संबंधित सातमुखी रूद्राक्ष या शनि कवच धारण करें। 
- साधक लोहे का पात्र लाकर उसमें तेल डालकर अपनी छाया देखकर तेल छाया दान किसी निर्धन को दे तो शनि पीड़ा का निवारण होता है। 
- काले घोड़े के नाल की अंगूठी शनिवार को शनि मंत्र द्वारा मध्यमा में पहनें। 
- शनिदेव की अनुकूलता की प्राप्ति हेतु हनुमान जी की पूजा-अर्चना-आराधना श्रेष्ठतम् है। 
- शनिवार को न तो लोहा खरीदें और न ही बेचें अपितु लोहे की वस्तुएं दान करें। 
- पीपल तथा शमी वृक्ष की सेवा करें व दीपक जलाएं। 
- शिव आराधना व भैरव उपासना द्वारा भी शनिदेव की पीड़ा को शांत किया जा सकता है 
- शनिदेव से संबंधित औषधियों के स्नान से भी शनिदेव के कोप से मुक्ति मिलती है।


शनि बीज मन्त्र - 👇
॥ ॐ प्राँ प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः॥

शनैश्चराय शान्ताय सर्वाभीष्टप्रदायिने । शरण्याय वरेण्याय सर्वेशाय नमो नमः ॥1॥ 
सौम्याय सुरवन्द्याय सुरलोकविहारिणे । सुखासनोपविष्टाय सुन्दराय नमो नमः ॥2॥ 
घनाय घनरूपाय घनाभरणधारिणे । घनसारविलेपाय खद्योताय नमो नमः ॥3॥ 
मन्दाय मन्दचेष्टाय महनीयगुणात्मने । मर्त्यपावनपादाय महेशाय नमो नमः ॥4॥ 
छायापुत्राय शर्वाय शरतूणीरधारिणे । चरस्थिरस्वभावाय चञ्चलाय नमो नमः ॥5॥ 
नीलवर्णाय नित्याय नीलाञ्जननिभाय च । नीलाम्बरविभूषाय निश्चलाय नमो नमः ॥6॥ 
वेद्याय विधिरूपाय विरोधाधारभूमये । भेदास्पदस्वभावाय वज्रदेहाय ते नमः ॥7॥ 
वैराग्यदाय वीराय वीतरोगभयाय च । विपत्परम्परेशाय विश्ववन्द्याय ते नमः ॥8॥ 
गृध्नवाहाय गूढाय कूर्माङ्गाय कुरूपिणे । कुत्सिताय गुणाढ्याय गोचराय नमो नमः ॥9॥ 
अविद्यामूलनाशाय विद्याऽविद्यास्वरूपिणे । आयुष्यकारणायाऽपदुद्धर्त्रे च नमो नमः ॥10॥ 
विष्णुभक्ताय वशिने विविधागमवेदिने । विधिस्तुत्याय वन्द्याय विरूपाक्षाय ते नमः ॥11॥ 
वरिष्ठाय गरिष्ठाय वज्राङ्कुशधराय च । वरदाभयहस्ताय वामनाय नमो नमः ॥12॥ 
ज्येष्ठापत्नीसमेताय श्रेष्ठाय मितभाषिणे । कष्टौघनाशकर्याय पुष्टिदाय नमो नमः ॥13॥ 
स्तुत्याय स्तोत्रगम्याय भक्तिवश्याय भानवे । भानुपुत्राय भव्याय पावनाय नमो नमः ॥14॥ 
धनुर्मण्डलसंस्थाय धनदाय धनुष्मते । तनुप्रकाशदेहाय तामसाय नमो नमः ॥15॥ 
अशेषजनवन्द्याय विशेषफलदायिने । वशीकृतजनेशाय पशूनाम्पतये नमः ॥16॥ 
खेचराय खगेशाय घननीलाम्बराय च । काठिन्यमानसायाऽर्यगणस्तुत्याय ते नमः ॥17॥ 
नीलच्छत्राय नित्याय निर्गुणाय गुणात्मने । निरामयाय निन्द्याय वन्दनीयाय ते नमः ॥18॥ 
धीराय दिव्यदेहाय दीनार्तिहरणाय च । दैन्यनाशकरायाऽर्यजनगण्याय ते नमः ॥19॥ 
क्रूराय क्रूरचेष्टाय कामक्रोधकराय च । कळत्रपुत्रशत्रुत्वकारणाय नमो नमः ॥20॥ 
परिपोषितभक्ताय परभीतिहराय । भक्तसङ्घमनोऽभीष्टफलदाय नमो नमः ॥21॥ 
इत्थं शनैश्चरायेदं नांनामष्टोत्तरं शतम् । प्रत्यहं प्रजपन्मर्त्यो दीर्घमायुरवाप्नुयात् ॥
卐॥ ॐ शं शनैश्वराय नम: ॥卐


शनिजनित अरिष्ट में शांति दायक उपाय/टोटके
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सूर्य पुत्र शनि देव का नाम सुनकर लोग सहम से जाते है लेकिन ऐसा कुछ नहीं है ,बेसक शनि देव की गिनती अशुभ ग्रहों में होती है लेकिन शनि देव इन्सान के कर्मो के अनुसार ही फल देते है , शनि बुर कर्मो का दंड भी देते है।
एक समय में केवल एक ही उपाय करें.उपाय कम से कम 40 दिन और अधिक से अधिक 43 दिनो तक करें.यदि किसी कारणवश नागा/ गेप हो तो फिर से प्रारम्भ करें।

यदि कोइ उपाय नहीं कर सकता तो खून का रिश्तेदार (भाई, पिता, पुत्र इत्यादि) भी कर सकता है।

1- ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करे ,

2-नित्य हनुमान जी की पूजा करे , बंरंग बाण का पाठ करे ,

3- पीपल को जल दे अगर ज्यादा ही शनि परेशां करे तो शनिवार के दिन शमसान घाट या नदी के किनारे पीपल का पेड़ लगाये ,

4-सवा किलो सरसों का तेल किसी मिट्टी के कुल्डह में भरकर काला कपडा बांधकर किसी को दान दे दें या नदी के किनारे भूमि में दबाये .

5-शनि के मंत्र का प्रतिदिन 108 बार पाठ करें। मंत्र है ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। या शनिवार को शनि मन्त्र ॐ शनैश्वराय नम का 23000 जाप करे .

6- उडद के आटे के 108 गोली बनाकर मछलियों को खिलाने से लाभ होगा ,

7-बरगद के पेड की जड में गाय का कच्चा दूध चढाकर उस मिट्टी से तिलक करे तो शनि अपना अशुभ प्रभाव नहीं देगा ,

8- श्रद्धा भाव से काले घोडे की नाल या नाव की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें या शनिवार सरसों के तेल की मालिश करें,

9- शनिवार को शनि ग्रह की वस्तुओं का दान करें, शनि ग्रह की वस्तुएं हैं –काला उड़द,चमड़े का जूता, नमक, सरसों तेल, तेल, नीलम, काले तिल, लोहे से बनी वस्तुएं, काला कपड़ा आदि।

10-शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएँ।

11- गरीबों, वृद्धों एवं नौकरों के प्रति अपमान जनक व्यवहार नहीं करना चहिए.

12-शनिवार को साबुत उडद किसी भिखारी को दान करें.या पक्षियों को ( कौए ) खाने के लिए डाले ,

13-ताऊ एवं चाचा से झगड़ा करने एवं किसी भी मेहनतम करने वाले व्यक्ति को कष्ट देने, अपशब्द कहने से कुछ लोग मकान एवं दुकान किराये से लेने के बाद खाली नहीं करते अथवा उसके बदले पैसा माँगते हैं तो शनि अशुभ फल देने लगता है।

14- बहते पानी में रोजाना नारियल बहाएँ। या किसी बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना क्षाया देखें और बर्तन तेल के साथ दान करे. क्योंकि शनि देव तेल के दान से अधिक प्रसन्ना होते है,
अपना कर्म ठीक रखे तभी भाग्य आप का साथ देगा और कर्म कैसे ठीक होगा इसके लिए आप मन्दिर में प्रतिदिन दर्शन के लिए जाएं.,माता-पिता और गुरु जानो का सम्मान करे ,अपने धर्मं का पालन करे,भाई बन्धुओं से अच्छे सम्बन्ध बनाकर रखें.,पितरो का श्राद्ध करें. या प्रत्येक अमावस को पितरो के निमित्त मंदिर में दान करे,गाय और कुत्ता पालें, यदि किसी कारणवश कुत्ता मर जाए तो दोबारा कुत्ता पालें. अगर घर में ना पाल सके तो बाहर ही उसकी सेवा करे,यदि सन्तान बाधा हो तो कुत्तों को रोटी खिलाने से घर में बड़ो के आशीर्वाद लेने से और उनकी सेवा करने से सन्तान सुख की प्राप्ति होगी .गौ ग्रास. रोज भोजन करते समय परोसी गयी थाली में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्ते को एवं एक हिस्सा कौए को खिलाएं आप के घर में हमेसा ख़ुशी ओए सम्रद्धि बनी रहेगी।

शनि देव का प्रचलित मंत्र
नीलांजनं समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। 
छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥

ऊँ शत्रोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोभिरत्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।, छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।

शनि देव की शांति हेतु उपाय
मंत्र जाप : ” ॐ प्रां प्री' प्रौम सः शनैश्चराय नमः ” – जप संख्या ९२०००

कुछ अन्य  टोटके 👉
 प्रत्येक शनिवार को स्नान करने से पहले पूरे शरीर में सरसों का तेल लगाकर ही स्नान किया करें एवं संभव हो तो शनिवार को ही संध्या में हनुमान जी का पूजा अर्चना कर प्रसाद वितरण कर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण कर लिया करें ।
1  शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएँ।
2 शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
3   शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए।
4  भड्डरी को कड़वे तेल का दान करना चाहिए।
5  भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए।
6 किसी दुःखी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।
7  घर में काला पत्थर लगवाना चाहिए।
8शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 
 ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ

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