#यम_द्वितीया ,#भाईदूज शुभ मुहूर्त-

#यम_द्वितीया ,#भाईदूज शुभ मुहूर्त-

YAM DRITIYA


कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। दीपावली के 5 दिनी उत्सव में भाई दूज एक ऐसा त्योहार है जो संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। भाईदूज का त्योहार 3 नवम्बर 2024  को मनाया जाएगा।
👉🏼 1. भाई दूज के कितने नाम : भाई दूज को भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से मनाया जाता है। भाई दूज को संस्कृत में भागिनी हस्ता भोजना कहते हैं। कर्नाटक में इसे सौदरा बिदिगे के नाम से जानते हैं तो वहीं बंगाल में भाई दूज को भाई फोटा के नाम से जाना जाता है। गुजरात में भौ या भै-बीज, महाराष्ट्र में भाऊ बीज कहते हैं तो अधिकतर प्रांतों में भाई दूज। भारत के बाहर नेपाल में इसे भाई टीका कहते हैं। मिथिला में इसे यम द्वितीया के नाम से ही मनाया जाता है। 💁🏻‍♀️ 2. भाई दूज पर भाई को तिलक लगाना है महत्वपूर्ण : भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को अपने घर बुलाकर उसे तिलक लगाकर उसकी आरती उतारकर उसे भोजन खिलाती है। भाई दूज पर भाई को भोजन के बाद भाई को पान खिलाने का ज्यादा महत्व माना जाता है। मान्यता है कि पान भेंट करने से बहनों का सौभाग्य अखण्ड रहता है। 🤷🏻‍♀️ 3. यम और यमुना : भाई दूज का त्योहार यमराज के कारण हुआ था, इसीलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाईदूज पर यम और यमुना की कथा सुनने का प्रचलन है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन यमुना अपने भाई भगवान यमराज को अपने घर आमंत्रित करके उन्हें तिलक लगाकर अपने हाथ से स्वादिष्ट भोजन कराती है। जिससे यमराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा। इस पर यमुना ने अपने भाई यम से कहा कि आज के दिन जो बहनें अपने भाई को निमंत्रित कर अपने घर बुलाकर उन्हें भोजन कराएंगी और उनके माथे पर तिलक लगाएंगी तो उन्हें यम का भय ना हो। यमरान ने ऐसा सुनकर कहा, तथास्तु। तभी से कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीया को बहनों द्वारा अपने भाई को भोजन कराकर तिलक लगाया जाता है। यम के निमित्त धन तेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज पांचों दिन दीपक लगाना चाहिए। कहते हैं कि यमराज के निमित्त जहां दीपदान किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु नहीं होती हैं। 👉🏼 4. श्रीकृष्‍ण और सुभद्रा : कहा जाता है कि नरकासुर का वध करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने इसी दिन उनके घर पहुंचे थे। सुभद्रा ने उनका स्वागत करके अपने हाथों से उन्हें भोजन कराकर तिलक लगाया था। 💁🏻‍♀️ 5. चित्रगुप्त की पूजा : इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा का भी प्रचलन है। कहते हैं कि इसी दिन से चित्रगुप्त लिखते हैं लोगों के जीवन का बहीखाता। चित्रगुप्त की पूजा के साथ-साथ लेखनी, दवात तथा पुस्तकों की भी पूजा भी की जाती है। 👉🏼 6. यमुना में स्नान : कहते हैं कि इस दिन जो भाई-बहन इस रस्म को निभाकर यमुनाजी में स्नान करते हैं, उनको यमराजजी यमलोक की यातना नहीं देते हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना का पूजन किया जाता है। 🤷🏻‍♀️ 7. नवीन वर्ष : वणिक वर्ग के लिए यह नवीन वर्ष का प्रारंभिक दिन कहलाता है। इस दिन नवीन बहियों पर 'श्री' लिखकर कार्य प्रारंभ किया जाता है।

यम द्वितीया :- आज के दिन यमलोक वासी यम को उनकी बहन यमुना ने खाने पर आमंत्रित किया था।
भोजन के पहले उनकी और भगवान चित्रगुप्त की पूजा अर्चना भी रखी। कालांतर में यह दिन भाई-दूज और चित्रगुप्त पूजन दिवस भी मनाया जाने लगा।*

भाई दूज शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि, और भाई दूज की कथा भाई दूज शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि, और भाई दूज की कथा को पढ़ने से यमराज के भय से मुक्त हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल द्वितीया के दिन ही यमुना ने अपने भाई यमराज को भोजन के लिए बुलाया था। जिससे नर्क में यातनाएं भोग रहे लोगों को मुक्ति मिल सकें। इस दिन बहन अपने भाई को प्रेमपूर्वक अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करती हैं। बहन इस दिन अपने भाई का तिलक कर उन्हें भोजन कराती है। पुराणों के अनुसार यमुना ने भी अपने भाई यमराज को प्रेमपूर्वक भोजन के लिए आमंत्रित किया था। जिसे यमराज ने स्वीकार कर लिया था और अपनी बहन के यहां भोजन के लिए गए थे। तब ही से भाई दूज के त्योहार को मनाया जाता है। जानते हैं भाई दूज शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि, कथा के बारे में... भाई दूज का महत्व भाई दूज के दिन बहने अपने भाई को तिलक करती हैं। मान्याताओं के अनुसार भाई दूज के दिन सूर्य देव की पुत्री यमुना ने अपने भाई यमदेव को अपने घर भोजन के लिए बुलाया था। जिससे उससे दिन नरक के जीवों को यातनाओं से मुक्ति मिल सके। अपने पापों से मुक्त होकर वे लोग सभी बंधनों से मुक्त हो गए। इसके बाद उन सभी ने मिलकर एक पर्व का शुभआरंभ किया। जिससे यमलोक के राज्य को सुख पहुंच सके। इस तिथि जो यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है। जो तीनों लोकों में विख्यात है। इसी तिथि के दिन यमुना ने अपने भाई को भोजन कराया था। जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के हाथ का भोजन करता है तो उसके घर में कभी भी अन्न की कभी कमी नहीं होती और साथ ही धन की प्राप्ति भी होती है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को सूर्योदय से पहले यमदेव की पूजा करने के बाद यमुना नदी में स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से उस मनुष्य को यमलोक की यातनाएं नहीं सहनी पड़ती और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। भाई दूज पूजा विधि 1. सबसे पहले अगर बहने शादीशुदा है तो उन्हें अपनी भाई को भाई दूज के दिन भोजन के लिए आमंत्रित करना चाहिए। भाई दूज के दिन सबसे पहले बहनों को सुबह जल्दी उठना चाहिए। 2. उसके बाद स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश की आराधना करनी चाहिए। 3. भगवान गणेश की आराधना करने के बाद अपने भाई का रोली और चावलों से तिलक करना चाहिए। 4. तिलक करने के बाद अपने भाई को मिठाई खिलानी चाहिए। इसके बाद अपने भाई को प्रेमपूर्वक भोजन कराना चाहिए। 5. भोजन करने के बाद भाईयों को अपनी बहनों को उपहार देना चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। भाई दूज की कथा : एक बार सूर्यदेव और छाया की पुत्री यमुना ने अपने भाई यमराज को प्रेमपूर्वक उनके घर आने और भोजन करने का निमंत्रण देती है कि वे उनके घर आएं और भोजन ग्रहण करें। लेकिन यमराज अपनी व्यस्तता के कारण यमुना की बात को टाल देते हैं। लेकिन कार्तिक माह के शुक्ल द्वितीया के दिन यमराज यमुना के घर अचानक पहुंच जाते हैं। अपने भाई को दरवाजे पर खड़ा देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। यमुना अपने भाई का स्वागत सत्कार करती हैं और प्रेमपूर्वक उन्हें भोजन कराती हैं। यमराज अपनी बहन का स्नेह और प्रेम देखकर भाव- विभोर हो गए और उन्हें वर मांगने के लिए कहा। तब यमुना ने अपने भाई से वर की रूप में यह मांगा कि हर वर्ष वे इसी दिन वह उनके यहां भोजन के करने के लिए आएं और जो भी बहन इस दिन अपने भाई का टीका करके उसे भोजन खिलाए उसे आपसे किसी भी प्रकार का भय न हो। जिसके बाद यमराज यमुना को 'तथास्तु' कहकर यमलोक लौट गए। उसी दिन सभी बहने अपने भाई का तिलक करके उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराती हैं। जिससे भाई और बहन को यमदेव का किसी भी प्रकार का भय नही होता।
आप सभी को भाई दूज व चित्रगुप्त जयंती की हार्दिक शुभकामनायें

पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ

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