वर्ष 2022 में लगने वाला चंद्र ग्रहण

वर्ष 2022 में लगने वाला चंद्र ग्रहण



साल 2022 का पहला चंद्र ग्रहण 16 मई को सुबह 7 बजकर 02 बजे से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 20 बजे तक चलेगा। 
यह ग्रहण साउथ-वेस्ट यूरोप, साउथ-वेस्ट एशिया, अफ्रीका, नॉर्थ अमेरिका के ज्यादातर हिस्सों, साउथ अमेरिका, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर अंटार्कटिका और अटलांटिक महासागर में देखा जा सकेगा।

साल 2022 का दूसरा चंद्र ग्रहण 8 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 32 बजे से शाम 7 बजकर 27 बजे तक रहेगा।
 इस ग्रहण को नॉर्थ-ईस्ट यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका में देखा जा सकेगा। सूतक काल मान्य साल 2022 में लगने वाले दोनों चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा।

पुराणों की मान्यता के अनुसार राहु चंद्रमा को तथा केतु सूर्य को ग्रसता है। ये दोनों ही छाया की संतान हैं। चंद्रमा और सूर्य की छाया के साथ-साथ चलते हैं। 

चंद्र ग्रहण के समय कफ की प्रधानता बढ़ती है और मन की शक्ति क्षीण होती है,
जबकि सूर्य ग्रहण के समय जठराग्नि, नेत्र तथा पित्त की शक्ति कमज़ोर पड़ती है।

अन्य राशियों को भी सावधान रहना होगा
इन राशियों के साथ अन्य राशियों को भी ध्यान देने की जरूरत है. चंद्रमा को मन को कारक माना गया है. ग्रहण के दौरान चंद्रमा पीड़ित हो जाता है. चंद्रमा के क्षीण होने से सभी राशियों को चंद्रमा प्रभावित करता है. इस दौरान गलत संगत, गलत आदतों से दूर रहना चाहिए. नशा और गलत कार्य नहीं करने चाहिए. दान और धर्म का पालन करना चाहिए. माता की सेवा करनी चाहिए. भगवान शिव की पूजा और मंत्र का जाप करने से भी राहत मिलती है.

ग्रहण में क्या करें-क्या न करे 
ग्रहण की अवधि में तेल लगाना, भोजन करना, जल पीना, मल-मूत्र त्याग करना, केश विन्यास बनाना, रति-क्रीड़ा करना, मंजन करना वर्जित किए गए हैं। 
ग्रहण काल या सूतक में बालक , वृद्ध और रोगी भोजन में कुश या तुलसी का पत्ता डाल कर भोजन ले सकते है। 
ग्रहण काल या सूतक के समय किसी भी प्रतिष्ठित मूर्ति को नहीं स्पर्श करना चाहिए। 
ग्रहण काल में खासकर गर्भवती महिलाओं को किसी भी सब्जी को नहीं काटना चाहिए और न ही भोजन को पकाना चाहिए। 
गर्भवती स्त्री को सूर्य-चंद्र ग्रहण नहीं देखने चाहिए, क्योंकि उसके दुष्प्रभाव से शिशु अंगहीन होकर विकलांग बन सकता है, गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। 
इसके लिए गर्भवती के उदर भाग में गोबर और तुलसी का लेप लगा दिया जाता है, जिससे कि राहु-केतु उसका स्पर्श न करें।
ग्रहण काल में सोने से बचना चाहिए अर्थात निद्रा का त्याग करना चाहिए। 
ग्रहण काल या सूतक में कामुकता का त्याग करना चाहिए।
ग्रहण काल या सूतक के समय भोजन व पीने के पानी में कुश या तुलसी के पत्ते डाल कर रखें ।
ग्रहण काल या सूतक के बाद घर गंगा जल से शुद्धि एवं स्नान करने के पश्चात मंदिर में दर्शन अवश्य करने चाहिए। 
ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरुरतमंदों को वस्त्र दान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
'देवी भागवत' में आता है कि भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिये
जैसा की हमारे धर्म शास्त्रों में लिखा है ग्रहण काल में अपने इष्टदेव का ध्यान और जप करने से कई गुना अधिक पुण्य मिलता है। 
ग्रहण के समय में अपने इष्ट देव के मंत्रों का जाप करने से सिद्धि प्राप्त होती है।कुछ लोग ग्रहण के दौरान भी स्नान करते हैं। ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके ब्राह्‌मण को दान देने का विधान है

ग्रहण के समय बरती जाने सावधानियां
भविष्यपुराण, नारदपुराण आदि कई पुराणों में चन्द्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के समय अपनाने वाली सावधानियों  के बारें में बताया गया है।

→  गर्भवती महिलाओं को भगवान का ध्यान करना चाहिए। ग्रहण के वक्त पृथ्वी पर पड़ने वाली किरणों का असर बाहर ज्यादा होता है, न कि घर के अंदर। इसलिये बेहतर है गर्भवती घर के अंदर रहे। कोई भी धार्मिक ग्रंथ पढ़े।

→ कुछ भी खाना पीना नहीं चाहिए।ग्रहण के वक्त पानी पीने से गर्भवती को डीहाइड्रेशन हो जाता है। बच्चे की त्वचा सूख जाती है। ग्रहण के वक्त प्रकाश की किरणों मे विवर्तन होता है। इस कारण कई हजार सूक्ष्म जीवणु मरते है और कई हजार पैदा होते हैं। इसलिये पानी दूष‍ित हो सकता है।

→ ग्रहण को देखें नहीं
नग्न आंखों से ग्रहण नहीं देखना चाहिये। जी हां प्रकाश की किरणों मे होने वाले विवर्तन का प्रभाव आंखों पर पड़ सकता है। गर्भवती की आंखे अच्छी रहनी चाहिये।

→ शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के समय मल-मूत्र त्यागने से घर मे दरिद्रता आती है। इसलिए ग्रहण के समय मल मूत्र के त्याग से बचना चाहिए। इसलिए ग्रहण से पहले ऐसा भोजन नहीं करें कि ग्रहण के दौरान मल मूल करना पड़े।

→ ग्रहण के वक्त गर्भवती महिला को सोना नहीं चाहिये। बजाये उसके घर के अंदर ऊंचे स्वर मे मंत्रों का जाप किया जाना चाहिये। खुजली नहीं करनी चाहिए।

→ क्रोध और तनाव को स्वयं पर हावी न होने दें। प्रसन्न रहे। ग्रहण के समय किसी भी मंत्र का जाप लाभकारी होता है क्योंकि ग्रहण के वक्त पृथ्वी पर नकारात्मक ऊर्जा पड़ती है। मंत्रों के उच्चारण मे उठने वाली तरंगें घर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करती है। पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान अंधेरे मे अगर आप सुई का प्रयोग करेंगी, तो डोरा डालते वक्त आंखों पर स्ट्रेस पड़ेगा। गर्भावस्था मे किसी भी प्रकार का तनाव खराब होता है। ग्रहण के वक्त सुई का प्रयोग करने से होने वाले बच्चे के हृदय मे छिद्र हो सकता है।

→ किसी के ऊपर हाथ न उठाएं विशेषकर किसी बालक पर। झुकने वाले काम न करे।

→ योगासन अथवा व्यायाम नहीं करना चाहिए।ग्रहण के समय भोजन और तेल मालिश करने से व्यक्ति अगले जन्म में कुष्ठ रोग से पीड़‌ित हो सकता है।

→ चाकू से किसी भी वस्तु को काटना नहीं चाहिए।पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान कई स्थानों पर अंधेरा हो जाता है। धार-दार वस्तुएं गर्भवती महिला को हानि पहुंचा सकती है। इसीलिये इनका प्रयोग वर्जित है।

→ ताला अथवा कुड़ी नहीं लगानी चाहिए। नाड़ा नहीं बांधना चाहिए। ग्रहण के बाद स्नान कोई जरूरी नहीं, लेकिन अगर आप ग्रहण के वक्त बाहर रहे है, तो स्नान से विषाणुओं से दूर रह सकते हैं। वैसे भी गर्भ में पल रहा बच्चा हमेशा सेंसिटिव होता है।ग्रहण के बाद गर्भवती महिला को स्नान करना चाहिये। अन्यथा बच्चे को बीमारी लग सकती है।

→ शास्त्रो के अनुसार ग्रहण के समय मैथुन करने से व्यक्ति अगले जन्म मे सूअर की योनि में जन्म लेता है।

→ ग्रहण के समय किसी से धोखा या ठगी करने से अगले जन्म में सर्प की योनि मिलती है।

→ जीव-जंतु या किसी जीव जंतु को मारने से कीड़े-मकड़ों जैसी नीच योनियों में जन्म म‌िलता है।

ग्रहण काल में किसी भी एक मंत्र को, जिसकी सिद्धि करना हो या किसी विशेष प्रयोजन हेतु सिद्धि करना हो, जप सकते हैं। ग्रहण काल में मंत्र जपने के लिए माला की आवश्यकता नहीं होती बल्कि समय का ही महत्व होता है।


कैसे करें मंत्र जाप- कोई मंत्र तब ही सफल होता है, जब आप में पूर्ण श्रद्धा व विश्वास हो। किसी का बुरा चाहने वाले मंत्र सिद्धि प्राप्त नहीं कर सकते। मंत्र जपते समय एक खुशबूदार अगरबत्ती प्रज्ज्वलित कर लें। इससे मन एकाग्र होकर जप में मन लगता है व ध्यान भी नहीं भटकता है। इन मंत्रों का विधिवत जाप करने से दिव्य फल प्राप्त होता है और जीवन की सभी मुसीबतें दूर होती है।

ग्रहण की अवधि में जपें यह मंत्र-

 वाक् सिद्धि हेतु- ॐ ह्लीं दुं दुर्गाय: नम:

 नौकरी एवं व्यापार में वृद्धि हेतु प्रयोग- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।

मुकदमे में विजय के लिए- ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्लीं ओम् स्वाहा।।
इसमें 'सर्वदुष्टानां' की जगह जिससे छुटकारा पाना हो उसका नाम लें।

ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।
ॐ सों सोमाय नमः।

पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ

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