गोपाष्टमी पूजन 1 नवंबर 2022 :- पंडित कौशल पांडेय

गोपाष्टमी पूजन 1 नवंबर 2022  :- पंडित कौशल पांडेय 
 


कार्तिक शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का त्‍योहार मनाया जाता है। हम सबके प्‍यारे कान्‍हा यानि भगवान श्रीकृष्ण को गायों से बहुत प्रेम था। उसी प्रेम की प्रतीक रूप में गौ माता की सेवा का यह पर्व गोपाष्टमी मनाया जाता है। इस दिन बछड़े संग गाय को भोजन कराने और सेवा करने का विधान है। इस दिन देश भर के तमाम गौशाालाओं और घरों में गाय के चरणों समेत पूरे शरीर में रोली के थाप लगाए जाते हैं। गायों को सजाया जाता है और उनका टीका किया जाता है। इसके बाद गाय को उसकी पसंद का भोजन हाथों से खिलाया जाता है। इसके बाद गाय के साथ साथ कुछ दूर तक चला जाता है। यह प्रक्रिया गौचारण यानि गाय को चराने से जुडी़ हुई है। 

गऊ माता के ऊपर ही हमारे गुरुभाई श्री विष्णु मिश्रा जी ने बहुत ही सुन्दर भजन गा कर गऊ रक्षा के ऊपर सभी देश वाशियों को गौ रक्षा का सन्देश दिया है 
भजन है गौ माता की रक्षा करो रे बन के तुम गोपाला , इस भजन को अवश्य सुने, समझे और शेयर करे साथ ही ईश्वर से प्रार्थना है गऊ हत्या के ऊपर पूर्णतः रोक लगे और उनकी रक्षा हम सब मिलकर कर सके।

गायों  की रक्षा करने के कारण भगवान श्री कृष्ण जी का अतिप्रिय नाम 'गोविन्द' पड़ा। कार्तिक शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा से सप्तमी तक गो-गोप-गोपियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। इसी समय से अष्टमी को गोपोष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा,
हिन्दू संस्कृति में गाय का विशेष स्थान हैं।  माँ का दर्जा दिया जाता हैं क्यूंकि जैसे एक माँ का ह्रदय कोमल होता हैं, वैसा ही गाय माता का होता हैं।  जैसे एक माँ अपने बच्चो को हर स्थिती में सुख देती हैं, वैसे ही गाय भी मनुष्य जाति को लाभ प्रदान करती हैं।
’’ महाभारत ’’ अनु. (18/33-35) में वर्णित है कि ’’जो पुरुष, गौआं की सेवा और सब प्रकार से उनका अनुगमन करता है उस पर संतुष्ट होकर गौएं उसे अत्यन्त दुर्लभ वर प्रदान करती हैं । 
गौओं के साथ मन से भी द्रोह न करें, उन्हे सदा सुख पहुंचायें, उनका यथोचित सत्कार करें और नमस्कार आदि के द्वारा उनका पूजन करते रहं । 
जो मनुष्य जितेन्द्रिय और प्रसन्नचित्त होकर नित्य गौआं की सेवा करता है, वह समृद्धि का भागी होता है। 

1. ज्योतिष में गौ महिमा 
(i)- ज्योतिष में गोधूलि का समय विवाह के लिये सर्वोत्तम माना जाता है। 
(ii) यदि यात्रा के प्रारम्भ में गाय सामने पड़ जाये अथवा बछड़े को दूध पिलाती हुई सामने दीख जाये तो यात्रा सफल हो जाती है। 
(iii) जन्मपत्री में यदि शुक्र अपनी नीच राषि कन्या पर हो, शुक्र की दषा चल रही हो या शुक्र अषुभ भाव ( 6, 8, 12 ) मं स्थित हो तो अपने प्रातःकाल के भोजन में से एक रोटी सफेद रंग की देषी गाय को 43 दिन तक लगातार खिलाने से शुक्र का नीचत्व एवं शुक्र संबंघित कुदोष स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं। शुक्र की महादषा 20 वर्ष की होती है अतः हमेषा भी रोटी दें तो शुभ फल प्राप्त होता है । 
(iv) गौ को रोटी देने से जन्मपत्री में पितृदोष हो तो हमेषा के लिये समाप्त हो जाता है। प्रतिदिन अथवा पितृ अमावस्या को गाय को गुड़, चारा, रोटी आदि देने से इस दोष से मुक्ति मिल जाती है ।

 2. गोप अष्टमी से अभीष्ट सिद्धि और सौभाग्य वृद्धि - 
इस अष्टमी का उल्लेख ’’ निर्णयामृत ’’ एवं ’’ कूर्मपुराण ’’ मं है। कार्तिक शुक्ल अष्टमी को प्रातः काल के समय गौआं को स्नान करायें। गंध पुष्पादि से पूजन करें तथा अनेक प्रकार के वस्त्रालंकार से अंलकृत करके उनके गोपालां (ग्वालों) का पूजन करें । गायों को गौ ग्रास देकर उनकी परिक्रमा करं और थोड़ी दूर तक उनके साथ जायं तो सब प्रकार की अभीष्ट सिद्धि होती है। इसी गोपाष्टमी को सायं काल के समय जब गायें चरकर वापस आयें उस समय भी उनका आतिथ्य अभिवादन करें, कुछ भोजन करायें और उनकी चरणरज को मस्तक पर धारण कर ललाट पर लगायें तो सौभाग्य की वृद्धि होती है। 

3. गाय के सींग में ब्रह्मा विष्णु महेष:- ’’भविष्य पुराण’’ में कहा गया है कि शृंगमूले गवां नित्यं ब्रह्मा विष्णुष्च संस्थितौ । श्रंरग्राग्रे सर्व तीर्थानि स्थावराणि चराणि च।। षिवो मघ्ये महादेवः सर्वकारण कारणम। ललाटे संस्थिता गौरी नाषावंषे च शणमुखः।। गौआं के सींग की जड़ में सदा ब्रह्मा और विष्णु प्रतिष्ठित हं । सींग के अग्र भाग मे चराचर समस्त तीर्थ प्रतिष्ठित हं। सभी कारणांे के कारण स्वरुप महादेव षिव सींगों के मघ्य मे प्रतिष्ठित हैं। गौ के ललाट में गौरी तथा नासिका के अस्ति भाग मे भगवान कार्तिकेय प्रतिष्ठित हैं। 

4. तीर्थों का निवास:- 68 करोड़ तीर्थ एवं 33 कोटि  देवी-देवताआं का चलता -फिरता विग्रह गाय ही है । 
5. गौ सेवा से गोदान का फल ’’बृहत्पराषर स्मृति ’’ घोषणा करती है कि ’’ गाय की पीठ पर हाथ फेर दिया, बढ़िया से उसको खुजोरा कर दिया, उसको मक्खी -मच्छर से बचाने के लिये आपने गोषाला मे धुआं कर दिया, तो नित्य ऐसा करने वाले को कपिला गाय के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। गोदान करने वाला तो जीवन में गोदान ही करेगा लेकिन निष्काम भाव से गो सेवा करने वाला नित्य गोदान का पुण्य पाता है ।

6. गायों के जल पीने में विघ्न डालना महापाप:- गोकुलस्य तृषार्तसय जलार्थे वसुधाधिप उत्पादयति योविघ्नं तं विद्याद ब्रह्मधातिनम ।। राजन ! जो प्यास से व्याकुल गायों को जल पीने में विघ्न डालता है, उसे ब्रह्महत्यारा समझना चाहिये। महाभारत में वर्णित 

7. मोक्ष प्राप्ति का साधन गाय -मृत्यु कटु सत्य है ’गरुड़ पुराण’ घोषणा करता है कि वैतरणी नदी पार करने का एक मात्र साधन गाय ही है । 

8. संतान (पुत्र) प्राप्ति:- गाय के दूध से बनाये जाने वाले पदार्थों जैसे मावा, दही, छाछ मं वीर्यवर्धक एवं पुष्टिवर्धक पदार्थ होते हैं जो शीघ्र सन्तान की ईच्छा रखने वालां के लिये अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होते हैं। ’’व्रत परिचय ’’ने गाय के पूजन से इसका सटीक उपाय बताया है। किसी सौभाग्यवती स्त्री को पुत्र न होता हो तो वह कार्तिक, मार्गषीर्ष या बैषाख शुक्ल पक्ष मं पहले गुरुवार को गौ पूजन प्रारम्भ करें। प्रातः काल नित्य कृत्य से निवृत्त होकर अपनी या पराई किसी भी गौ को मकान के प्रांगण में पूर्वाभिमुख खड़ी करके स्वयं उत्तराभिमुख होकर शुद्ध जल से उसकी चरण वंदना करें। फिर उसके ललाट को धोकर मध्य मं रोली का टीका लगायें और अक्षत चढायें फिर करबद्ध नतमस्तक होकर प्रार्थना करं कि ’’हे माता! म्झे पुत्र प्रदान कर।’’ इस प्रकार वर्ष भर करना चाहिये । 

9. गायों के कीर्तन एवं श्रवण से पापों का नाष:- कीर्तनं श्रवणं दानं दर्षनं चापि पार्थिव। गवां प्रषस्यते वीर सर्वपापहरं षिवम ।। महाभारत में वर्णित वीर नरेष ! गायां के नाम और गुणों का कीर्तन तथा श्रवण करना, गायां का दान देना और उनका दर्षन करना बहुत प्रषंसनीय समझा जाता है और इनसे सम्पूर्ण पापों का नाष तथा परम कल्याण की प्राप्ति होती है। 

10. गौ दूध पर वैज्ञानिक शोध (i) मां के दूध के समकक्ष: गाय के दूध पर वैज्ञानिकों ने अनेक शोध किये हैं। प्रो एन. एन. गोडकेले के अनुसार गाय के दूध में सभी महत्वपूर्ण तत्व जैसे अल्बुमिनाइड , वसा , लवण, तथा कार्बोहाइडेªट तो है ही साथ ही समस्त विटामिन भी उपलब्घ हैं।

 ऋग्वेद (8/ 101/ 15 ) में उल्लिखित है ’’ गाय रुद्रां की माता, वसुओं की पुत्री ,अदिति पुत्रों की बहन और घृतरुप अमृत का खजाना है। अतः प्रत्येक विचारषील पुरुष इस निरपराध जीव का वध न करे।’
आइये हम सब संकल्प करे की गऊ माता का पालन पोषण और उनकी रक्षा करने में हम सभी अपना सहयोग प्रदान करेंगे ,
पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ

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