कार्तिक माहात्म्य :- पंडित कौशल पाण्डेय
कार्तिक महीना शुक्रवार 18 Oct, 2024 से शुक्रवार 15 Nov, 2024 को इसका समापन होगा । कार्तिक का महीना, बारह महीनों में से श्रेष्ठ है।प्रत्येक मास की अपनी-अपनी विशिष्टता है। प्रत्येक मास में अलग अलग देवों की आराधना भी निर्धारित है। जैसे सावन मास शिव की आराधना के लिए है वैसे ही आश्विन मास मां दुर्गा की आराधना हेतु। इसी तरह कार्तिक मास की विशिष्टताएं पुराणों में वर्णित की गई हैं। शास्त्रों में कार्तिक मास को श्रेष्ठ मास माना गया है। स्कंद पुराण में इसकी महिमा का गायन करते हुए कहा गया है
तीर्थ नारायणा ख्यंहि त्रितयं दुर्लभंकलौ।
अर्थात् मासोंमें कार्तिक मास, देवताओं में भगवान विष्णु और तीर्थो में नारायण तीर्थ बदरिकाश्रम है। ये तीनों कलियुग में अत्यन्त दुर्लभ हैं। अर्थात् कार्तिक मास के समान कोई भी मास नहीं है। स्कंद पुराण और पद्मपुराणमें वर्णित है कि यह मास धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष को देने वाला है। विशेष रूप से स्नान दान, एवं तुलसी की पूजा इस मास में विशेष फलदायीहै।
शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास को गंगा स्नान, व्रत व तप की दृष्टि से मोक्ष प्रदान करने वाला कहा गया है। यह महीना भगवान श्रीकृष्ण को अति प्रिय है।
इस महीने में किया गया व्रत पूजा संकीर्तन भजन बहुत ज्यादा फल देता है।
शास्त्रों में भगवान विष्णु के निमित्त सूर्योदय पूर्व स्नान, व्रत व तुलसी पत्र से उनकी पूजा, जागरण व गायन के साथ उनके प्रिय मास कार्तिक में दीपदान करने के विधान का उल्लेख है क्योंकि इस मास के समान कोई अन्य मास पुण्यदायी नहीं है। सरोवरों, नदियों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान का विशेष महत्व है।
पवित्रता की पर्याय मां गंगे तो तीन कायिक, तीन मानसिक व चार वाचिक अर्थात दस पापों को हरने वाली मानी जाती है। और कार्तिक मास को पूर्व अर्जित पाप के फल को नष्ट करने वाला मास कहा गया है।
शास्त्रों में वर्णित कार्तिक माहात्म्य न कार्तिक समो मासो न कृतेन समं युगम।न वेदे सदृशं शास्त्रं न तीर्थ यद् गया समम्।।
स्कंद पुराण के अनुसार कार्तिक स्नान व भगवद् भक्ति का अपना विशेष महत्व कार्तिक पूर्णिमा का स्नान महास्नान है। यों तो संपूर्ण कार्तिक मास में ही स्नान करने का विधान है, परंतु कार्तिक पूर्णिमा स्नान की अपनी विशिष्ट महिमा है।
पूर्णिमा के दिन नदियों या सरिताओं में कमर तक खड़े होकर निम्नलिखित मंत्र से भगवान की प्रार्थना की जाती है।
कार्तिक्यां तु प्रातः करिष्यामि स्नानं जनार्दनः। प्रीत्यर्थ तव देवेश दामोदर मया सह।। अनन्ताय गोविन्दाय अच्चुताय आदि कहकर भी विष्णु की उपासना की जाती है।
गीता पाठ, श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण, मां गंगे की स्तुति व तुलसी पत्र से विष्णु पूजा आदि के साथ नव अन्न, ईख तथा सिंघाड़े नैवेद्य ग्रहण किया जाता है।
इसी दिन श्री हरि विष्णु का पहला विभव अर्थात मत्स्यावतार हुआ था।
कार्तिक मास श्री हरि विष्णुलक्ष्मी की उपासना के लिए सर्वश्रेष्ठ है। यह मास विशेषकर स्त्रियों का सौभाग्यवर्धन करना है।
तीर्थों में प्रयागराज श्री विष्णु सर्वाधिक प्रिय है। कार्तिक मास भर प्रयागराज में रहकर स्नान एवं विष्णु पूजन करने से मोक्ष प्राप्त होता है। कार्तिक मास में पूर्णिमा के दिन बहुत बड़ी संख्या में लोग स्नान करते हैं। इस दिन मां गंगे की भावस्तुति भी अवश्य करें।
जो इस प्रकार है गंगा गंगेति यो बूर्यात् योजनानां शतेरपि। मुच्चते सर्व पापेभ्यो विष्णु लोकं स गच्छति।। गंगा जल व तुलसी पत्र कभी बासी नहीं होते इन्हें कभी भी विष्णु को अर्पित किया जा सकता है।
वज्र्य पर्युषितं पुष्पं वज्र्य पर्युषितं जलम् न वज्र्य तुलसी पत्रं न वज्र्य जाह्नवी जलम्।। (स्कंद पुराण)
कार्तिक मास क सम्बन्ध में ब्रह्माजी ने बताया है कि कार्तिक मास के समान कोई मास नही , सतयुग के समान कोई युग नही , वेदों के समान कोई शास्त्र नही और गंगाजी के समान दूसरा कोई तीर्थ नही तथा इसी प्रकार अन्न दान के समान कोई दूसरा दान नही है |
कार्तिक मास में दीपदान करने से पाप नष्ट होते हैं। स्कंद पुराण में वर्णित है कि इस मास में जो व्यक्ति देवालय, नदी के किनारे, तुलसी के समक्ष एवं शयन कक्ष में दीपक जलाता है उसे सर्व सुख प्राप्त होते हैं। इस मास में भगवान विष्णु एवं लक्ष्मी के निकट दीपक जलाने से अमिट फल प्राप्त होते हैं। इस मास में की गई भगवान विष्णु एवं माँ लक्ष्मी की उपासना असीमित फलदायीहोती है
इस महीने में करने योग्य नियम :-
1- प्रतिदिन मन्दिर में जाने का नियम बनाये।
2- शालिग्राम व तुलसी जी को नियम के साथ शुद्ध घी का दीपक करे ।
3 - इस महीने में हमें बैंगन, लौकी, राजमा, सोया, उड़द दाल, परमल, सरसों के दाने व उसके तेल इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिये।
4 - इस व्रत में ज्यादा से ज्यादा शुद्ध भक्तों का संग व निष्ठा से हरे कृष्ण महामन्त्र का जप व कीर्तन करना चाहिये।
5 - गंगा, यमुना ,सरस्वती ,गोदावरी व नर्मदा आदि नदियों में स्नान करे,
कार्तिक मास में नित्य स्नान करें और हविष्य ( जौ, गेहूँ, मूँग, तथा दूध-दही और घी आदि) का एकबार भोजन करें, तो सब पाप दूर हो जाते हैं।
कार्तिके मासि विपेन्द्र यस्तु गीतां पठेन्नर: | तस्य पुण्यफलं वक्तुं मम शक्तिं विदधते ||
गीतामास्तु समं शास्त्रं न भूतं न भविष्यति | सर्वपापहरा नित्यं गीतेका मोक्षदायनी ||
जों मनुष्य कार्तिक मास में नित्य गीता का पाठ करता है उसके पुण्य फल का वर्णन करने की शक्ति मेरे में नही हैं | गीता का एक पाठ करने से मनुष्य घोर नरक से मुक्त हो जाता हैं | एक मात्र गीता ही सदा सब पापो को हरने वाली तथा मोक्ष देने वाली हैं|
आइए मासों में श्रेष्ठ कार्तिक मास में श्रेष्ठ कर्म करें। स्नान, ध्यान, दान करते हुए, तुलसी आराधना करते हुए अनन्य पुण्य के भागी बनें। यही है इस मास की श्रेष्ठता का रहस्य।
ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ
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