शरद पूर्णिमा:-पंडित कौशल पाण्डेय

शरद पूर्णिमा:-पंडित कौशल पाण्डेय 

यह पर्व 28 अक्टूबर 2023 के दिन मनाया जायेगा , 

शरद पूर्णिमा :- रविवार 9अक्टूबर 2022


अश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। आइये जानते हैं शरद पूर्णिमा का महत्व व व्रत पूजा विधि के बारे में।
श्री राम हर्षण शांति कुञ्ज संस्था के माध्यम से शिव शक्ति मंदिर सी-8 यमुना विहार में आज सत्संग के माध्यम से शरद पूर्णिमा महोत्सव के बारे में पंडित कौशल पाण्डेय ने भक्तो को बताया की आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं ।भारतीय  धर्मशास्त्रों में इस दिन को   'कोजागर व्रत' व 'कौमुदी व्रत' भी कहते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केवल  आज के दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होता है , आज के दिन ही भगवान श्री  कृष्ण ने रासोत्सव किया था , ऐसी मान्यता है की इस रात्रि को चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है । इसलिए आज के दिन खीर बनाकर रात्रि में चन्द्रमा की छाया में रखा जाता है जिससे अमृत की बुँदे इस खीर में प्रवाहित होकर इस महाप्रसाद को पानेवालो को आरोग्य प्रदान करती है .

 पंडित कौशल पाण्डेय जी ने शरद पूर्णिमा को कैसे मनाएँ इसके बारे में बताया  प्रात: काल स्नान करके मंदिर जाये वहां विधिवत देवाधिदेव शिव जी और भगवान श्री कृष्ण  का पूजन करना चाहिए और  रात्रि के समय खीर बनाने के लिए जहाँ तक संभव हो गाय का  दूध ,घी ,चीनी , पंचमेवा, गिलोय की टहनी  के साथ एक जड़ी जिसे चिरमिटा कहते है इसके पंचांग को लेकर खीर बनाना चाहिए और  अर्द्धरात्रि के समय चन्द्रमा  को भोग लगाकर  रात में  खीर से भरा बर्तन खुली चांदनी में रखकर दूसरे दिन इस महाप्रसाद का सेवन करना चाहिए

ज्योतिषाचार्य पंडित कौशल  पाण्डेय ने शरद पूर्णिमा को वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार बताया की गौमाता के दूध  में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है। यह तत्व किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है। चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और आसान हो जाती है साथ गिलोय और चिरमिटा युक्त खीर का सेवन से यह हमारे शरीर के किटाणु को नस्ट करता है . इसी कारण से प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान बताया है जिससे  यह परंपरा विज्ञान पर भी आधारित है।

 शरद पूर्णिमा की रात दमा, सर्दी , जुकाम , नजला आदि रोगों से पीड़ित रोगियों के लिए एक वरदान बनकर आती है इन रोगों से पीड़ित व्यक्ति  अगर रात्रि १० से १२ तक खुले स्थान में चंद्रमा की शीतल छाया ग्रहण करता है और प्रातः खाली पेट इन दिव्य औषधि  से बनी खीर सेवन करता  है तो इन सभी रोगों से बचा जा सकता है 
पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ

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