दीपावली पूजा विधि, पूजा मुहूर्त :-पंडित कौशल पाण्डेय

दीपावली पूजा विधि, पूजा मुहूर्त  :-पंडित कौशल पाण्डेय 

दीपावली पूजा विधि, पूजा मुहूर्त :-पंडित कौशल पाण्डेय


दीपावली का महापर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह पर्व असत्य पर सत्य की और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। आज के  दिन भगवान राम चैदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे उनके स्वागत में अयोध्या को दियो की रौशनी से जगमग कर दिया गया तभी से आज तक दीपोत्सव का पर्व मनाया जाया है। 

आज के दिन भगवान गणेश व लक्ष्मी के पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन गणेश जी की पूजा से ऋद्धि-सिद्धि की व लक्ष्मी जी के पूजन से धन, वैभव, सुख, संपत्ति की प्राप्ति होती है। दीपावली को कालरात्रि भी कहा जाता है क्योंकि तंत्र-मंत्र व यंत्रों की सिद्धि के लिए यह रात्रि अत्यधिक उपयोगी मानी जाती है। 

दीपावली संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है ‘‘दीपकों की पंक्ति’’। प्रत्येक व्यापारी दुकान या घर पर लक्ष्मी का पूजन करता है, वहीं दूसरी ओर गृहस्थ सायं प्रदोष काल में महालक्ष्मी का आवाहन करते हैं। इसका अभिप्राय यह है कि जहां गृहस्थ और व्यापारीगण धन की देवी लक्ष्मी से सुख-समृद्धि की कामना करते हैं, वहीं तांत्रिक कुछ विशेष सिद्धियां अर्जित करते हैं। 

दीपावली पूजा मुहूर्त 
कार्तिक अमावस्या तिथि की शुरुआत - 12 नवंबर 2023, दोपहर 02 बजकर 44
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्ति - 13 नवंबर 2023, दोपहर 02 बजकर 56

दीपावली पर लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 
(रविवार 12 नवंबर 2023)
लक्ष्मी पूजा (प्रदोष काल समय) - शाम 05.39 - रात 07.35 
वृषभ काल - शाम 05:39 - रात 07:35
लक्ष्मी पूजा (निशिता काल समय) - 12 नवंबर 2023, 
भिजित मुहूर्त 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा, 
रात 11:39- 13 नवंबर 2023, प्रात: 12:32
सिंह लग्न - रात्रि 12:04  से प्रात: 02:27 (13 नवंबर 2023) तक सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 

दीपावली महानिशीथ काल मुहूर्त
सिंह काल लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त 24:04  से 26:27:00 तक
 

पूजन सामग्री: महालक्ष्मी पूजन में केसर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, लाल फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, मेवे, शहद, मिठाइयां, दही, गंगाजल, धूप, दीपक, रुई, कलावा, नारियल और तांबे का कलश। 

पूजन विधि: भूमि को शुद्ध करके नवग्रह यंत्र बनाएं। इसके साथ ही कलश में गंगाजल, दूध, दही, शहद, सुपारी, सिक्के और लौंग आदि डालकर उसे लाल कपड़े से ढककर एक कच्चा नारियल कलावे से बांधकर रख दें। जहां नवग्रह यंत्र बनाया है वहां चांदी का सिक्का और मिट्टी के बने लक्ष्मी गणेश को स्थापित कर दूध, दही, और गंगाजल से स्नान कराकर अक्षत चंदन का शृंगार करके फल-फूल आदि अर्पित करें और दाहिनी ओर घी का एक दीपक जलाएं। तत्पश्चात् पवित्र आसन पर बैठकर स्वस्ति वाचन करें। 
श्री गणेश जी का स्मरण कर अपने दाहिने हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प, दूर्वा, द्रव्य और जल आदि लेकर गणेश, महालक्ष्मी, कुबेर आदि देवी-देवताओं के पूजन का संकल्प करें। 
सर्वप्रथम गणेश और लक्ष्मी का पूजन करें और फिर षोडशमातृका पूजन व नवग्रह पूजन करके महालक्ष्मी आदि देवी-देवताओं का पूजन करें। 

दीपक पूजन: दीपक ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है। इसे भगवान का तेजस्वी रूप मान कर इसकी पूजा करनी चाहिए। पूजा करते समय अंतःकरण में सद्ज्ञान का प्रकाश उत्पन्न हो रहा है ऐसी भावना रखनी चाहिए। 

दीपावली के दिन पारिवारिक परंपरा के अनुसार ग्यारह, इक्कीस अथवा इनसे अधिक तिल के तेल के दीपक प्रज्वलित करके एक थाली में रखकर कर पूजन करें। इसके बाद महिलाएं अपने हाथ से संपूर्ण सुहाग सामग्री लक्ष्मी को अर्पित करें। अगले दिन स्नान के बाद पूजा करके उस सामग्री को मां लक्ष्मी का प्रसाद मानकर स्वयं प्रयोग करें, इससे मां लक्ष्मी की कृ पा सदा बनी रहती है। 

कार्यक्षेत्र में सफलता व आर्थिक स्थिति में उन्नति के लिए सिंह लग्न अथवा स्थिर लग्न में श्रीसूक्त का पाठ करें। उस समय आसन पर बैठकर लक्ष्मी जी की तस्वीर के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं व श्रीसूक्त का पाठ करें। इसके बाद हवन कुंड में श्रीसूक्त की प्रत्येक ऋचा के साथ आहुति दें। दीपावली पूजन के समय गणेश-लक्ष्मी के साथ विष्णु जी की स्थापना अनिवार्य है। 

लक्ष्मी जी के दाहिनी ओर विष्णु जी और बाईं ओर गणेश जी को रखना चाहिए। समुद्र से उत्पन्न दक्षिणावर्ती शंख, मोती, शंख, गोमती चक्र आदि लक्ष्मी के सहोदर भाई हैं। इनकी स्थापना करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर घर आती हैं। इस प्रकार दीपावली के अवसर पर श्रद्धा, निष्ठा और विधि विधानपूर्वक पूजन करने पर लक्ष्मी जी की कृपा सदैव बनी रहती है।


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