दीपावली पूजा विधि, पूजा मुहूर्त :-पंडित कौशल पाण्डेय

दीपावली कार्तिक अमावस्या  2024  :-पंडित कौशल पाण्डेय 

दीपावली पूजा विधि, पूजा मुहूर्त :-पंडित कौशल पाण्डेय

दीपावली का त्यौहार कब मनाये 
यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। हालांकि, इस वर्ष तिथि यानी सही डेट को लेकर दुविधा है। कड़ी मंथन के बाद ज्योतिषचार्यों ने अपना निर्णय दिया है की इस बार दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी तो वहीं कुछ लोग 1 नवंबर को सही तारीख बता रहे हैं. 

आइए, दिवाली की सही डेट, शुभ मुहूर्त का पूजा गणित जानते हैं-
अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से लेकर 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगी।
अमावस्या तिथि रात्रिकालीन है और प्रदोष काल में एवं सिंह लग्न में विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन फलदायी माना जाता है अतः स्थिर लक्ष्मी पूजा के लिए दीपावली महा महोत्सव को 31 अक्टूबर को मनाया जायेगा। 
दीपावली पंच पर्वों का त्यौहार है जो इस प्रकार से है 
#29-10-2024 को धनत्रियोदशी श्री धन्वंतरि जयंती 
#30-10-2024 को नरक चतुर्दशी, श्री हनुमान पूजन 
#31-10-2024 को नर्क चतुर्दशी, दीपावली, प्रदोष , श्री गणेश-लक्ष्मी-कुबेर  पूजन
#01-11-2024 अमावश्या , दान पुण्य के लिए  
#02-11-2024 को अन्नकूट गोवर्धन पूजन है 
#03-11-2024 को यम द्रितीय, यमुना स्नान, भईया दूज 

दीपावली पञ्च पर्व त्यौहार शुभ मुहूर्त :- पंडित कौशल पण्डेय 

अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से लेकर 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगी।
अमावस्या तिथि रात्रिकालीन है और प्रदोष काल में एवं सिंह लग्न में विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन फलदायी माना जाता है अतः स्थिर लक्ष्मी पूजा के लिए दीपावली महा महोत्सव को 31 अक्टूबर को मनाया जायेगा। 

दीपावली पंच पर्वों का त्यौहार है जो इस प्रकार से है 
#29-10-2024 को धनत्रियोदशी श्री धन्वंतरि जयंती 
#30-10-2024 को नरक चतुर्दशी, श्री हनुमान पूजन 
#31-10-2024 को नर्क चतुर्दशी, दीपावली, प्रदोष , श्री गणेश-लक्ष्मी-कुबेर  पूजन
#01-11-2024 अमावश्या , स्नान-दान पुण्य के लिए  
#02-11-2024 को अन्नकूट गोवर्धन पूजन है 
#03-11-2024 को यम द्रितीय, यमुना स्नान, भईया दूज 

धनतेरस पूजा, यम दीपम मंगलवार, अक्टूबर 29, 2024 को
प्रदोष काल - 05:38 पी एम से 08:13 पी एम
वृषभ काल - 06:31 पी एम से 08:27 पी एम
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 29, 2024 को 10:31 ए एम बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त - अक्टूबर 30, 2024 को 01:15 पी एम बजे

काली चौदस बुधवार, अक्टूबर 30, 2024 को
काली चौदस मुहूर्त - 11:39 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 31
अवधि - 00 घण्टे 52 मिनट्स
हनुमान पूजा बुधवार, अक्टूबर 30, 2024 को
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 30, 2024 को 01:15 पी एम बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त - अक्टूबर 31, 2024 को 03:52 पी एम बजे

दीपावली 
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 31, 2024 को 03:52 PM बजे
अमावस्या तिथि समाप्त - नवम्बर 01, 2024 को 06:16 PM बजे

शुभ मुहूर्त - 08:19 पी एम से 10:34 पी एम
निशिता मुहूर्त-11:39 पी एम से 12:31 ए एम, नवम्बर 01
वृषभ - 06:23 पी एम से 08:19 पी एम
सिंह - 12:54 ए एम, नवम्बर 01 से 03:11 ए एम, नवम्बर 01


- #गोवर्धन पूजा  -2 नवम्बर 2024 शनिवार 
कार्तिक मास के शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा, गो, पूजा किया जाता है। इस वर्ष गोवर्धन पूजा  2 नवम्बर 2024 शनिवार  को मनाया जाएगा।

गोवर्धन पूजा शनिवार, नवम्बर 2, 2024 को
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त - 06:34 ए एम से 08:46 ए एम
अवधि - 02 घण्टे 12 मिनट्स
गोवर्धन पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त - 03:23 पी एम से 05:35 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 12 मिनट्स
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 01, 2024 को 06:16 पी एम बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त - नवम्बर 02, 2024 को 08:21 पी एम बजे

भाई दूज रविवार, नवम्बर 3, 2024 को
भाई दूज अपराह्न समय - 01:10 पी एम से 03:22 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 12 मिनट्स
यम द्वितीया रविवार, नवम्बर 3, 2024 को
द्वितीया तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 02, 2024 को 08:21 पी एम बजे
द्वितीया तिथि समाप्त - नवम्बर 03, 2024 को 10:05 पी एम बजे

अधिक जानकारी के लिए मिले अथवा संपर्क करे पंडित कौशल पाण्डेय 


दीपावली का महापर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह पर्व असत्य पर सत्य की और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। आज के  दिन भगवान राम चैदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे उनके स्वागत में अयोध्या को दियो की रौशनी से जगमग कर दिया गया तभी से आज तक दीपोत्सव का पर्व मनाया जाया है। 

आज के दिन भगवान गणेश व लक्ष्मी के पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन गणेश जी की पूजा से ऋद्धि-सिद्धि की व लक्ष्मी जी के पूजन से धन, वैभव, सुख, संपत्ति की प्राप्ति होती है। दीपावली को कालरात्रि भी कहा जाता है क्योंकि तंत्र-मंत्र व यंत्रों की सिद्धि के लिए यह रात्रि अत्यधिक उपयोगी मानी जाती है। 

दीपावली संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है ‘‘दीपकों की पंक्ति’’। प्रत्येक व्यापारी दुकान या घर पर लक्ष्मी का पूजन करता है, वहीं दूसरी ओर गृहस्थ सायं प्रदोष काल में महालक्ष्मी का आवाहन करते हैं। इसका अभिप्राय यह है कि जहां गृहस्थ और व्यापारीगण धन की देवी लक्ष्मी से सुख-समृद्धि की कामना करते हैं, वहीं तांत्रिक कुछ विशेष सिद्धियां अर्जित करते हैं। 

दीपावली पूजन सामग्री: 
  लकड़ी की चौकी, लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति, पीला या लाल कपड़ा,  
गंगा जल , पंचामृत, अक्षत (चावल), चंदन, सिंदूर, कलावा, हल्दी, अष्टगंध चन्दन, दूर्वा, कपूर, नारियल, खील-बताशे,  साबुत धनिया, लौंग, इलायची, धान का लावा,पंचमेवा,  मिट्टी का दिया, रुई की बत्ती, घी, तिल का तेल, पान का पत्ता 3, चांदी का सिक्का, इत्र, धूप, मिठाई, 5 फल शरीफा व अनार सहित , 
कमल के फूल, माला 4 , आरती के लिए दीपक, 
हवन के लिए - 21 कमलगट्टा, अगर, तगर , जटामासी , हवन सामग्री , 2 किलो आम की लकड़ी 

पूजन विधि: भूमि को शुद्ध करके नवग्रह यंत्र बनाएं। इसके साथ ही कलश में गंगाजल, दूध, दही, शहद, सुपारी, सिक्के और लौंग आदि डालकर उसे लाल कपड़े से ढककर एक कच्चा नारियल कलावे से बांधकर रख दें। जहां नवग्रह यंत्र बनाया है वहां चांदी का सिक्का और मिट्टी के बने लक्ष्मी गणेश को स्थापित कर दूध, दही, और गंगाजल से स्नान कराकर अक्षत चंदन का शृंगार करके फल-फूल आदि अर्पित करें और दाहिनी ओर घी का एक दीपक जलाएं। तत्पश्चात् पवित्र आसन पर बैठकर स्वस्ति वाचन करें। 

श्री गणेश जी का स्मरण कर अपने दाहिने हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प, दूर्वा, द्रव्य और जल आदि लेकर गणेश, महालक्ष्मी, कुबेर आदि देवी-देवताओं के पूजन का संकल्प करें। 

सर्वप्रथम गणेश और लक्ष्मी का पूजन करें और फिर षोडशमातृका पूजन व नवग्रह पूजन करके महालक्ष्मी आदि देवी-देवताओं का पूजन करें। 

दीपक पूजन: दीपक ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है। इसे भगवान का तेजस्वी रूप मान कर इसकी पूजा करनी चाहिए। पूजा करते समय अंतःकरण में सद्ज्ञान का प्रकाश उत्पन्न हो रहा है ऐसी भावना रखनी चाहिए। 

दीपावली के दिन पारिवारिक परंपरा के अनुसार ग्यारह, इक्कीस अथवा इनसे अधिक तिल के तेल के दीपक प्रज्वलित करके एक थाली में रखकर कर पूजन करें। इसके बाद महिलाएं अपने हाथ से संपूर्ण सुहाग सामग्री लक्ष्मी को अर्पित करें। अगले दिन स्नान के बाद पूजा करके उस सामग्री को मां लक्ष्मी का प्रसाद मानकर स्वयं प्रयोग करें, इससे मां लक्ष्मी की कृ पा सदा बनी रहती है। 

कार्यक्षेत्र में सफलता व आर्थिक स्थिति में उन्नति के लिए सिंह लग्न अथवा स्थिर लग्न में श्रीसूक्त का पाठ करें। उस समय आसन पर बैठकर लक्ष्मी जी की तस्वीर के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं व श्रीसूक्त का पाठ करें। इसके बाद हवन कुंड में श्रीसूक्त की प्रत्येक ऋचा के साथ आहुति दें। दीपावली पूजन के समय गणेश-लक्ष्मी के साथ विष्णु जी की स्थापना अनिवार्य है। 

लक्ष्मी जी के दाहिनी ओर विष्णु जी और बाईं ओर गणेश जी को रखना चाहिए। समुद्र से उत्पन्न दक्षिणावर्ती शंख, मोती, शंख, गोमती चक्र आदि लक्ष्मी के सहोदर भाई हैं। इनकी स्थापना करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर घर आती हैं। इस प्रकार दीपावली के अवसर पर श्रद्धा, निष्ठा और विधि विधानपूर्वक पूजन करने पर लक्ष्मी जी की कृपा सदैव बनी रहती है।


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