नवरात्री व्रत पारण :-पंडित कौशल पाण्डेय :-पंडित कौशल पाण्डेय
महाअष्टमी पर संधि पूजा होती है. ये पूजा अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी प्रारंभ होने के शुरुआती 24 मिनट पर होती है. संधि काल का समय दुर्गा पूजा और हवन के लिए सबसे शुभ माना जाता है.
नवरात्रि व्रत की पारण विधि
पारण को लेकर अलग-अलग तिथियों के प्रयोग की परंपरा है. कुछ भक्त नवरात्रि के व्रत का पारण अष्टमी की तिथि में करते हैं. इस तिथि को महाअष्टमी भी कहा जाता है. वहीं कुछ लोग नवमी की तिथि में मां सिद्धिदात्री की पूजा करने के बाद कन्या पूजन और हवन कर व्रत का पारण करते हैं.
लेकिन पारण के लिए नवमी तिथि के अस्त होने से पहले का समय ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इसके साथ ही दशमी की तिथि को भी उपयुक्त माना गया है.
नवरात्री में क्यों करते है कन्या पूजन
नवरात्र पर्व के आठवें और नौवें दिन कन्या पूजन और उन्हें घर बुलाकर भोजन कराने का विधान होता है. दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन आखरी नवरात्रों में इन कन्याओ को नौ देवी स्वरुप मानकर इनका स्वागत किया जाता है | माना जाता है की इन कन्याओ को देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज से माँ दुर्गा प्रसन्न हो जाती है और अपने भक्तो को सुख समृधि का वरदान दे जाती है |
नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिविंब के रूप में पूजने के बाद ही नवरात्र व्रत पूरा होता है. अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को उनका मनचाहा वरदान देती हैं. नवरात्रे के किस दिन करें कन्या पूजन : कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन और भोज रखते हैं और कुछ लोग अष्टमी के दिन | हम्हरा मानना है की अष्टमी के दिन कन्या पूजन श्रेष्ठ रहता है |
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
प्रायः नवरात्रों में भारत वर्ष में कन्याओ को देवी तुल्य मानकर पूजा जाता है इसके बाद यह सब भूल जाते है आज जगह जगह कन्याओ का शोषण और उनके ऊपर अत्याचार हो रहा है , उनका अपनाम किया जाता है |
आज भी कई ऐसे राज्य है जहाँ कन्या के जन्म लेने पर परिवार वालो में दुःख मनाया जाता है ऐसा नहीं होना चाहिए , जब बच्चा जन्म लेता है तो वह अपना भाग्य स्वम खुद लेकर आती है , लड़कियों के प्रति सोच बदलनी पड़ेगी , सभी समाज में कन्याओं के प्रति सोच बदलनी चाहिए वह देवी तुल्य है इनका सम्मान करना इन्हे आदर देना ही ईश्वर की पूजा के तुल्य है , आज समाज में महिलाये पुरुषों से प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ रही है , परिवार का कर्तब्य है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और उन्हें संस्कारवान बनाओ , उन्हें परिवार पर बोझ न समझा जाये , दहेज़ रुपी दानव का अंत करो , जिन कन्याओं को हम आज पूजते है उनकी रक्षा का संकल्प करे और ऐसा दूसरों को भी करने के लिए प्रेरित करे।
2 वर्ष की कन्या को ' कुमारिका ' कहते हैं और इनके पूजन से धन , आयु , बल की वृद्धि होती है l
3 वर्ष की कन्या को ' त्रिमूर्ति ' कहते हैं और इनके पूजन से घर में सुख समृद्धि आती है l
4 वर्ष की कन्या को ' कल्याणी ' कहते हैं और इनके पूजन से सुख तथा लाभ मिलते हैं l
5 वर्ष की कन्या को ' रोहिणी ' कहते हैं इनके पूजन से स्वास्थ्य लाभ मिलता है l
6 वर्ष की कन्या को ' कालिका ' कहते हैं इनके पूजन से शत्रुओं का नाश होता है l
7 वर्ष की कन्या को ' चण्डिका ' कहते हैं इनके पूजन से संपन्नता ऐश्वर्य मिलता है l
8 वर्ष की कन्या को ' साम्भवी ' कहते हैं इनके पूजन से दुःख-दरिद्रता का नाश होता है l
9 वर्ष की कन्या को ' दुर्गा ' कहते हैं इनके पूजन से कठिन कार्यों की सिद्धि होती है
10 वर्ष की कन्या को ' सुभद्रा ' कहते हैं इनके पूजन से मोक्ष की प्राप्ति होती है l
यह सिर्फ नवरात्री में ही नहीं प्रत्येक दिन हर पल बेटियों का साथ और उनका विकास करना ही कन्याओं के प्रति सच्ची पूजा है , आइये नवरात्री पर्व में हम सब सभी बेटियों की रक्षा का संकल्प ले यही उनके प्रति प्रेम और पूजा है।
पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ
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