जानिए श्री गणेश स्थापना एवं विसर्जन का दिन

जानिए श्री गणेश स्थापना एवं विसर्जन का दिन 
हर साल की तरह इस वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी कि 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी. देशभर में गणेश उत्सव पूरे 10 दिनों तक मनाया जाता है. खासकर महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का पर्व बहुत ही भव्य रूप से मनाया जाता है. बप्पा का विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है. मान्यता है कि गणपति बप्पा को इस दिन अपने घर में लाकर विराजमान करने से वे अपने भक्तों के समस्तम विध्न, बाधाएं दूर करते हैं. विघ्नहर्ता गणेश की स्थापना शुभ मुहूर्त के हिसाब से की जाती है. आइए जानते हैं इस साल क्या है गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और कैसे करें इस दिन बप्पा की अराधना.

10 दिवसीय गणेश उत्सव

गणेश महोत्सव आरंभ- 

गणेश स्‍थापना का शुभारंभ करने के लिए शुभ मुहूर्त 

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि शुरू - 18 सितंबर 2023, दोपहर 12.39

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि समाप्त - 19 सितंबर 2023, दोपहर 01.43

गणेश स्थापना समय - सुबह 11.07 - दोपहर 01.34 (19 सितंबर 2023)


गणेश महोत्सव समापन (अनंत चतुदर्शी) 
गणेश विसर्जन- 28  सितंबर 2023,

गणेश चतुर्थी पर विघ्नहर्ता की पूजा विधि
गणेशजी को अपने घर लाना के पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि नित्य कर्म कर लें.
घर लाए गणेश जी की प्रतिमा को चौकी पर लाल आसन बिछाकर स्थापना करें. समक्ष बैठें और पूजा प्रारंभ करें.
गंगा जल से पार्वती नंदन का अभिषेक कर, उन्हें अक्षत, फूल, दूर्वा आदि अर्पित करें.
पूजा में गणेश जी को उनका प्रिय भोग मोदक जरूर चढ़ाएं.
उसके बाद धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर उनकी आरती करें. इस दिन चंद्रमा के दर्शन करना निषेध है. 




गणेश उत्‍सव का एक अभिन्‍न अंग है, जिसके बिना गणेश उत्‍सव पूर्ण नही होता। इसके अर्न्‍तगत गणेश जी की प्रतिमा को गणेश चतुर्थी के दिन स्‍थापित किया जाता है और 10 दिन बाद अनन्‍त चतुर्दशी को उसी गणेश प्रतिमा के विसर्जन के साथ इस गणेश उत्‍सव का समापन होता है।

जो भी व्‍यक्ति गणेश चतुर्थी के बारे में जानता है, लगभग हर वह व्‍यक्ति ये भी जानता है कि गणेश चतुर्थी को स्‍थापित की जाने वाली गणपति प्रतिमा को ग्‍यारहवें दिन यानी अनन्‍त चतुर्दशी के दिन किसी बहती नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित भी किया जाता है

ऐसी मान्‍यता है कि इस गणपति उत्‍सव के दौरान लोग अपनी जिस किसी भी इच्‍छा की पूर्ति करवाना चाहते हैं, वे अपनी इच्‍छाऐं, भगवान गणपति के कानों में कह देते हैं। फिर अन्‍त में भगवान गणपति की इसी मूर्ति को अनन्‍त चतुर्दशी के दिन बहते जल, नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है ताकि भगवान गणपति इस भूलोक की सगुण साकार मूर्ति से मुक्‍त होकर निर्गुण निराकार रूप में देवलोक जा सकें और देवलोक के विभिन्‍न देवताओं को भूलोक के लोगों द्वारा की गई प्रार्थनाऐं बता सकें, ताकि देवगण, भूलोकवासियों की उन इच्‍छाओं को पूरा कर सकें, जिन्‍हें भूलोकवासियों ने भगवान गणेश की मूर्ति के कानों में कहा था।

इसके अलावा धार्मिक ग्रन्‍थों के अनुसार एक और मान्‍यता है कि श्री वेद व्‍यास जी ने महाभारत की कथा भगवान गणेश जी को गणेश चतुर्थी से लेकर अनन्‍त चतुर्थी तक लगातार 10 दिन तक सुनाई थी। यह कथा जब वेद व्‍यास जी सुना रहे थे तब उन्‍होंने अपनी आखें बन्‍द कर रखी थी, इसलिए उन्‍हें पता ही नहीं चला कि कथा सुनने का ग‍णेशजी पर क्‍या प्रभाव पड रहा है।

जब वेद व्‍यास जी ने कथा पूरी कर अपनी आंखें खोली तो उन्‍होंने देखा कि लगातार 10 दिन से कथा यानी ज्ञान की बातें सुनते-सुनते गणेश जी का तापमान बहुत ही अधिक बढा गया है, अन्‍य शब्‍दों में कहें, तो उन्‍हें ज्‍वर हो गया है। सो तुरंत वेद व्‍यास जी ने गणेश जी को निकट के कुंड में ले जाकर डुबकी लगवाई, जिससे उनके शरीर का तापमान कम हुअा।

इसलिए मान्‍यता ये है कि गणेश स्‍थापना के बाद से अगले 10 दिनों तक भगवान गणपति लोगों की इच्‍छाऐं सुन-सुनकर इतना गर्म हो जाते हैं, कि चतुर्दशी को बहते जल, तालाब या समुद्र में विसर्जित करके उन्‍हें फिर से शीतल यानी ठण्‍डा किया जाता है।

इसके अलावा एक और मान्‍यता ये है कि कि वास्तव में सारी सृष्टि की उत्पत्ति जल से ही हुई है और जल, बुद्धि का प्रतीक है  तथा भगवान गणपति, बुद्धि के अधिपति हैं। जबकि भगवान गणपति की प्रतिमाएं नदियों की मिट्टी से बनती है। अत: अनन्‍त च‍तुर्दशी के दिन भगवान गणपति की प्रतिमाओं को जल में इसीलिए विसर्जित कर देते हैं क्योंकि वे जल के किनारे की मिट्टी से बने हैं और जल ही भगवान गणपति का निवास स्‍थान है।

*गणेश जी को कभी भी विदा नहीं करना चाहिए क्योंकि विघ्न हरता ही अगर विदा हो गए तुम्हारे विघ्न कौन हरेगा।। 
 क्या कभी सोचा है गणेश प्रतिमा का विसर्जन क्यों?  

अधिकतर लोग एक दूसरे की देखा देखी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं। और 3 या 5 या 7 या 11 दिन की पूजा के उपरांत उनका विसर्जन भी करेंगे। 
आप सब से निवेदन है कि आप गणपति की स्थापना करें पर विसर्जन नही विसर्जन केवल महाराष्ट्र में ही होता हैं। क्योंकि गणपति वहाँ एक मेहमान बनकर गये थे। वहाँ लाल बाग के राजा कार्तिकेय ने अपने भाई गणेश जी को अपने यहाँ बुलाया और कुछ दिन वहाँ रहने का आग्रह किया था जितने दिन गणेश जी वहां रहे उतने दिन माता लक्ष्मी और उनकी पत्नी रिद्धि व सिद्धि वहीँ रही इनके रहने से लालबाग धन धान्य से परिपूर्ण हो गया।  तो कार्तिकेय जी ने उतने दिन का गणेश जी को लालबाग का राजा मानकर सम्मान दिया यही पूजन गणपति उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा। 
अब रही बात देश की अन्य स्थानों की तो गणेश जी हमारे घर के मालिक हैं। और घर के  मालिक को कभी विदा नही करते वहीँ अगर हम गणपति जी का विसर्जन करते हैं तो उनके साथ लक्ष्मी जी व रिद्धि सिद्धि भी चली जायेगी तो जीवन मे बचा ही क्या। हम बड़े शौक से कहते हैं गणपति बाप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ इसका मतलब हमने एक वर्ष के लिए गणेश जी लक्ष्मी जी आदि को जबरदस्ती पानी मे बहा दिया। तो आप खुद सोचो कि आप किस प्रकार से नवरात्रि पूजा करोगे, किस प्रकार दीपावली पूजन करोगे और क्या किसी भी शुभ कार्य को करने का अधिकार रखते हो जब आपने उन्हें एक वर्ष के लिए भेज दिया। 
इसलिए  गणेश जी की स्थापना करें पर विसर्जन कभी न करे।
जय गणेश भगवान की🙏🌹*

*गणेश विसर्जन

गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त
28 सितंबर 2023


गणेश प्रतिमा की विदाई

गणेश जी को जिस दिन विदा करना है, उस दिन उनकी अच्छी तरह पूजन और आरती करें। खास प्रसाद बनाएं, जैसे कि मोदक और लड्डू आदि बांटें।

गणेश जी का स्वस्तिवाचन करें।

एक साफ सुथरा पाटा लें। ध्यान रखें वह जूठा नहीं होना चाहिए। उस पाटा को गंगाजल या गौमूत्र से शुद्ध करें।
उस पाटा का शुद्धिकरण करने के बाद उस पर स्वास्तिक बनाएं। ध्यान रहे कि यह स्वास्तिक घर की महिला ही बनाए।

अब उस पर अक्षत रखें. एक पीला, गुलाबी या लाल कपड़ा पिछाएं।
कपड़े पर गुलाब और अन्य फूल बिछाएं। पाटे के चारों कोनों पर चार सुपारी रखें।

अब भगवान गणपति को इस पाटे पर स्थापित करें। इसके बाद फल, फूल, वस्त्र, दक्षिणा, 5 मोदक आदि रखें और गणपति का जयकारा लगाएं।

गणेश जी की विदाई करते हुए वह सारे सामान रखें जाते हैं, जिसकी जरूरत यात्रा के दौरान हो सकती है।
एक छोटी लकड़ी पर चावल, गेहूं, दक्षिणा और पंच मेवा की पोटली बनाकर रख लें।

भगवान गणपति को विसर्जित करने से पहले एक बार फिर आरती करें। उनसे अपनी मन्नत मांगे और अपनी गलतियों की माफी मांगे।

ध्यान रहे कि गणेश जी को प्रतिमा को पानी में फेंका नहीं जाता, उन्हें आदर के साथ समस्त सामग्री के साथ धीरे-धीरे बहाया जाता है।

गणेश विसर्जन मंत्र
ऊँ गणाधिपतयै नम:
ऊँ उमापुत्राय नम:
ऊँ विघ्ननाशनाय नम:
ऊँ विनायकाय नम:
ऊँ ईशपुत्राय नम:
ऊँ सर्वसिद्धप्रदाय नम:
ऊँ एकदन्ताय नम:
ऊँ इभवक्त्राय नम:
ऊँ मूषकवाहनाय नम:
ऊँ कुमारगुरवे नम:


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