नाग पंचमी कब और कैसे मनाये :-पंडित कौशल पाण्डेय
नाग पंचमी 9 अगस्त 2024
NAAG PANCHMI 2024
श्रावण शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी भी कहते हैं। इस दिन नागों की पूजा की जाती है। नागपंचमी की तिथि नागों को अत्यंत प्रिय है। श्रावण शुक्ल पंचमी को उपवास कर नागों की पूजा करनी चाहिए। शुक्रवार 9 अगस्त 2024, के दिन मनाया जायेगा
नाग पंचमी के दिन करे राहु केतु का उपाय काल सर्प योग :-
राहु और केतु के माध्यम से बनता है। राहु को सर्प का मुख एवं केतु सर्प की पूंछ माना गया है। आयुर्वेद के जन्मदाता धनवन्तरि ऋषि जी का मानना है कि वासुकी और तक्षक सांप असंख्य हैं। ये सर्प आकाश एवं पाताल में भी गमन कर सकते हैं। गलती से या सोच समझकर किसी व्यक्ति के द्वारा वर्तमान एवं अतीत में सर्प हत्या कर दी जाती है तो उसे नाग वध का शाप लग जाता है।
इस प्रकार के ग्रह योग की शांति अपनी गृह-पद्धति के अनुसार विधानपूर्वक सोने /तांबे यथा श्रद्धा नागराज की मूर्ति बनाकर विधिपूर्वक उसकी पूजा करें। तत्पश्चात् भूमिदान, गोदान, तिलदान या सोना दान अपने सामथ्र्य से करें तो नाग देवता की प्रसन्नता से उस मनुष्य को पुत्र सुख की प्राप्ति होती है एवं कुल की वृद्धि होती है।
इस योग की शांति विधि विधान के साथ योग्य, विद्वान एवं अनुभवी ज्योतिषी, कुल गुरु या पुरोहित के परामर्श के अनुसार किसी कर्मकांडी ब्राह्मण से यथा योग्य समयानुसार करा लेने से दोष का निवारण हो जाता है।
रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का नित्य 108 बार जप करना चाहिए। साथ ही दशांश हवन भी करना चाहिए।
महाशिवरात्रि, सोमवती अमावश , नाग पंचमी, ग्रहण आदि के दिन शिवालय में नाग नागिन का चांदी या तांबे का जोड़ा अर्पित करें।
नव नाग स्तोत्र का जप करें।
स्तोत्र:
अनंत वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कंबल। शंखपालं धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा। एतानि नवनामानि नागानां च महात्मानां सायंकालेपठेन्नित्यं प्रातः काले विशेषतः।।
राहु-केतु के बीज मंत्र का 21-21 हजार की संख्या में जप कराएं, हवन कराएं, कंबल दान कराएं व विप्र पूजा करें।
भगवान गणेश केतु की पीड़ा शांत करते हैं और देवी सरस्वती पूजन अर्चन करने से राहु से रक्षा करती हैं।
नाग मंत्र गायत्री का जप करना चाहिए। ‘ॐ नवकुल नागय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्पः प्रचोदयात्’’
काल सर्प योग की शांति का मुख्य संबंध भगवान शिव से है। क्योंकि काल सर्प भगवान शिव के गले का हार है, इसलिए किसी भी शिव मंदिर में काल सर्प योग की शांति का विधान करना चाहिए। साथ ही पंचाक्षरीय मंत्र ‘‘ॐ नमः शिवाय’’ का जप करना चाहिए।
ॐ रां राहवे नमः, इस मंत्र जाप करे
नाग पाश यंत्र अथवा काल सर्प यंत्र, पारद शिव लिंग, चांदी के अष्ट नागों, अष्टधातु के नाग, तांबे के नाग, रुद्राक्ष, एकाक्षी नारियल और नवग्रहों का पूजन करना चाहिए या नवग्रहों का दान देना चाहिए।
नारियल का फल बहते पानी में बहाना चाहिए। बहते पानी में मसूर की दाल डालनी चाहिए। पक्षियों को जौ के दाने खिलाने चाहिए।
नाग पंचमी के दिन श्री हनुमान जी की नित्य पूजा से भी इस योग की शांति होती है, क्योंकि हनुमान जी ने ही लक्ष्मण जी को नाग पाश से मुक्त कराया था। शिव उपासना एवं रुद्र सूक्त से अभिमंत्रित जल से स्नान करने से यह योग शिथिल हो जाता है।
पलाश का फूल गौ मूत्र में कूट कर छांव में सुखाएं। इसका चूर्ण बना कर नित्य स्नान के जल में मिला कर स्नान करें। 72 बुधवार तक ऐसा करने से काल सर्प योग नष्ट होता है।
72000 राहु मंत्र ॐ रां राहवे नमः’ का जप करने से काल सर्प योग शांत होता है।
प्रत्येक बुधवार को काले वस्त्र में एक मुट्ठी उड़द या मूंग डाल कर, राहु मंत्र का जप कर, भिखमंगे को देने या बहते पानी में डालने से अवश्य लाभ होता है।
ऐसा 72 बुधवार को करना चाहिए।
12 भाव के अनुसार उपाय
1. राहु लग्न में और केतु सप्तम में: ऐसी स्थिति में शारीरिक कष्ट, अपयश, स्त्री से अनबन, सिर में चोट, विषपान, चलते-चलते झगड़े आदि होने की संभावना रहती है। गोमेद पहनने से कुछ शांति मिलती है। चांदी की ठोस गोली पास रखें।
2 . राहु धन स्थान में और केतु अष्टम में: इसमें चोरी, धन गमन, मुकदमे, धन का व्यय, भूत-प्रेतों से परेशानी, अकारण मृत्यु, गले, आंख, नाक, कान की बीमारियांे आदि का भय रहता है।
यहां केतु का उपाय होगा। केतु दोरंगी या बहुरंगी वस्तुओं का कारक है, अतः ऐसा कंबल जो दोरंगा या बहुरंगी हो, मंदिर में दें।
3 राहु तृतीय में और केतु नवम् में: भाई-बहन से झगड़ा, आलस्य, शरीर की शिथिलता, पिता से दूरी, हाथों में कष्ट आदि हो सकते हैं।
यहां केतु का उपाय होगा। यहां केतु बृहस्पति के पक्के भाव में है, इसलिए सोना, जो बृहस्पति का कारक है, धारण करने से केतु का प्रभाव शुभ हो जाएगा।
4 राहु चतुर्थ में और केतु दशम में: जमीन जायदाद के झगड़े, माता को कष्ट, पिता के घर छोड़ने, फेफड़ों के रोग आदि की संभावना रहती है।
इस स्थिति में राहु का उपाय नहीं, बल्कि दशम भाव के केतु का उपाय करें। चांदी की डिब्बी में शहद भर कर उसमें लाल कपडे से बांधकर घर से बाहर जमीन में दबाएं।
5 राहु पंचम में और केतु एकादश में: संतान कष्ट, संतान से झगड़ा, परीक्षाओं में असफलता, सट्टे में हानि, आमदनी में कमी, उदर रोग आदि का भय रहता है।
पंचम भाव में राहु और एकादश भाव में केतु: यहां राहु का उपाय होगा। घर में चांदी का ठोस हाथी रखना चाहिए।
6 राहु षष्ठ में और केतु द्वादश में: लंबी बीमारी, शत्रु से परेशानी, मुकदमा, धंधे की कमी, विदेश गमन से कष्ट, जेल यात्रा और गुर्दे, हर्निया, अपेंडिसाइटिस के रोग की संभावना रहती है , बेशक छठे भाव में राहु हर मुसीबत को काटने वाला चूहा है, किंतु फिर भी उसमें कुछ बुरे प्रभाव देने की प्रवृत्ति होती है। राहु के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए बुध को शक्तिशाली करना चाहिए। इसके लिए बहन की सेवा करें या कोई फूल अपने पास रखें। बुध को इसलिए शक्तिशाली किया जाता है कि यहां पर काल पुरुष कुंडली के हिसाब से बुध की कन्या राशि आती है और बुध राहु से मित्रता रखता है।
7 राहु सप्तम में और केतु लग्न में: स्त्री से झगड़ा, तलाक, गर्भपात, परस्त्री भोग एवं बदनामी, योनि तथा जननेंद्रिय संबंधी रोग, व्यापार में तनाव आदि का भय रहता है। इस स्थिति के काल सर्प योग में दोनों ग्रहों के उपाय करने होंगे।
प्रथम भाव, काल पुरुष कुंडली के हिसाब से, मंगल का घर है। इसलिए केतु को शांत करने के लिए लोहे की गोली पर लाल रंग कर के अपने पास रखना चाहिए क्योंकि लाल रंग मंगल का कारक है, जिसके द्वारा केतु को दबाया जा सकता है।
सप्तम भाव में राहु होने पर बृहस्पति और चंद्र के असर को मिला कर राहु के अशुभ प्रभाव को कम करना होगा। इसके लिए चांदी की एक डिब्बी में गंगा जल या बहती नदी या नहर का पानी डाल कर, जो गुरु का कारक है, उसमें चांदी का एक चैकोर टुकड़ा डाल कर, ढक्कन लगा कर घर में रखना चाहिए।
ध्यान रहे कि डिब्बी का पानी सूखे नहीं; अर्थात डिब्बी में पानी डालते रहें।
8 राहु अष्टम में और केतु द्वितीय में भूत-प्रेतों से परेशानी, दुर्घटनाएं, विदेश गमन, स्त्री सुख का अभाव, धन हानि, पेशाब के रोग आदि हो सकते हैं।
अष्टम भाव में राहु और द्वितीय भाव में केतु: यहां राहु का उपाय करना होगा। राहु के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए 800 ग्राम सिक्के के आठ टुकड़े कर के एक साथ बहते पानी में डालने चाहिए।
9 राहु नवम में और केतु तृतीय में: पिता को कष्ट, पिता से झगड़े, उनकी मृत्यु, तरक्की में बाधा, पद में गिरावट, समाज में निंदा, जंघा, पैर, घुटने आदि के कष्ट की संभावना रहती है।
नवम भाव में राहु और तृतीय भाव में केतु: यहां केतु का उपाय होगा। केतु के मित्र गुरु की सहायता से केतु को शांत करने के लिए तीन दिन, लगातार, चने की दाल बहते पानी में डालनी चाहिए।
10 राहु द्वादश में और केतु षष्ठ में मुकदमेबाजी, जेल यात्रा, विदेश गमन, विशेष खर्च, मृत्यु, सुदामा जैसी निर्धनता, आंखों के कष्ट आदि की संभावना रहती है। राहु यदि मिथुन, कन्या, वृष या तुला राशि में हो, तो क्रूरता में कमी आती है। राहु दशम में और केतु चतुर्थ में: पिता से झगड़ा, उनका घर छोड़ना, कार्य हेतु विदेश गमन, राजनीति में विशेष झगड़े, निलंबित होना, हृदय, फेफड़े आदि के रोग, काम धंधे की कमी आदि हो सकते हैं। यहां केतु के अशुभ असर को दूर करने के लिए चतुर्थ भाव की बुनियाद को मजबूत करना होगा। इसके लिए पीतल के बरतन में बहती नदी या नहर का पानी भर कर घर में रखना चाहिए। ऊपर पीतल का ढक्कन होना चाहिए क्योंकि काल पुरुष कुंडली के हिसाब से यहां पर गुरु की उच्च की राशि कर्क आती है। पीतल का बरतन तथा बहता पानी दोनों ही गुरु के कारक हैं। केतु गुरु का मित्र है, अतः इस उपाय से शुभता आ जाएगी।
11 राहु एकादश में और केतु पंचम मेंः बड़े भाई से झगड़ा, आय में कमी, नौकरी में परेशानी, सभी तरह के नुकसान, संतान कष्ट, बाहु-भुजा कष्ट, बदनामी आदि का भय रहता है। एकादश भाव में राहु और पंचम भाव में केतु: यहां राहु के अशुभ प्रभाव को दूर करना होगा, जिसके लिए 400 ग्राम सिक्के के दस टुकड़े करा कर एक साथ बहते पानी में डालने चाहिए।
12 द्वादश भाव में राहु और छठे भाव में केतु: यहां दोनों की स्थिति अशुभ होने के कारण दोनों ग्रहों का उपाय करना चाहिए। राहु के दोष को दूर करने के लिए बोरी के आकार की लाल रंग की एक थैली बना कर उसमें सौंफ या खांड भर कर जातक को अपने सोने वाले कमरे में रखनी चाहिए।
ध्यान रहे कि कपड़ा चमकीला न हो क्योंकि लाल रंग मंगल का कारक है और सौंफ तथा खांड की मदद से राहु के अशुभ प्रभाव को दबाया जाता है।
केतु को शुभ करने के लिए गुरु को शक्तिशाली करना चाहिए। गुरु की कारक धातु सोना पहनने से केतु के फल में शुभता आ जाएगी।
बहते पानी में कोयला बहाना चाहिए।
नारियल के फल बहते पानी में बहाएं। रसोई घर में बैठ कर ही भोजन करें।
मुख्य द्वार पर चांदी का स्वास्तिक लगाना चाहिए।
श्राद्ध पक्ष में पितरों का श्राद्ध श्रद्धापूर्वक करना चाहिए। श्रावण मास में 30 दिन तक महादेव का अभिषेक करें।
नाग पंचमी को चांदी के नाग की पूजा करनी चाहिए, पितरों को याद करना चाहिए तथा बहते पानी या समुद्र में नाग देवता का श्रद्धापूर्वक विसर्जन करना चाहिए। गुरु सेवा एवं कुल देवता की पूजा-अर्चना नित्य करनी चाहिए।
शयन कक्ष में लाल रंग के पर्दे, चादर तथा तकियों का उपयोग करें।
बहते पानी में मसूर की दाल डालनी चाहिए।
पक्षियों को जौ के दाने खिलाएं।
इन उपायों को करते रहने से राहु केतु का प्रभाव काम होता है , विशेष प्रभाव ग्रहों के गोचर और उनकी दशा अन्तर्दशा में ही होता है अतः दशा के अनुसार उपाय करते रहने से ये ग्रह अशुभ फलो में कमी करते है।
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