बगलामुखी प्रयोग और साधना

शत्रु विनाश के लिए माँ बगला मुखी प्रयोग :- पण्डित कौशल पाण्डेय  
प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि महर्षियों ने शत्रुओं के विनाश के लिए अनेक प्रयोग बतलाये है , कोर्ट ,कचहरी ,चुनाव के समय कई  लोग इस शक्ति का  प्रयोग भी करते है लेकिन आज भारत में हिन्दुओं की जिस तरह से दुर्गती हो रही है इसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार है इसका मुख्य कारण आपस में एक न होना , जो लोग हिन्दू जाती के खिलाफ है उनके सम्प्पूर्ण विनाश के लिए सभी तंत्र शक्ति के जानकार  और गुरु जन सबसे पहले इस विद्या का प्रयोग भारत के अंदर बैठे देश द्रोहियों के लिए करे , आज कैसे ऐसे राजनेता और बाहुबली है जिन्हें अपने बल पर बहुत घमंड है और ये सूअर के पिल्लै हिंदुओं के प्रति जहर घोल रहे है ऐसे लोगों पर बगला मुखी  प्रयोग करना शास्त्र हित में है , 
आइये जानते है कैसे करते है यह प्रयोग 

सनातन धर्म में दस महाविद्या के नाम से ऐसी शक्ति है जिसमे दश देवियों की अगल अलग उपासना और सिद्धि के बारे में बताया गया है जिन्हें  प्राचीन समय में ब्रह्मास्त्र विद्या के नाम  से जाना जाता है। 
जो व्यक्ति मां बगलामुखी की पूजा-उपासना करता है, उसका अहित या अनीष्ट चाहने वालों का शमन स्वतः ही हो जाता है। मां भगवती बगलामुखी की साधना से व्यक्ति स्तंभन, आकर्षण, वशीकरण, विद्वेषण, मारण, उच्चाटन आदि के साथ अपनी मनचाही कामनाओं की पूर्ति करने में समर्थ होता है।
मां बगलामुखी मंत्र का जप-अनुष्ठान नियम-संयम तथा विधि विधानपूर्वक करने से अभीष्ट की प्राप्ति होती है।  जप सवा लाख करना चाहिए और तदनुसार हवन, तर्पण, मार्जन कराना चाहिए, तभी अनुष्ठान पूर्ण होता है।
 जपादि कार्य यदि साधक स्वयं न कर सके तो किसी कर्मकांडी ब्राह्मण से करवाना चाहिए। साधक को प्रतिदिन स्नानादि से निवृत्त होकर मां की पंचोपचार पूजा करके पीला वस्त्र धारण कर पीले आसन पर बैठ कर मां का ध्यान करना चाहिए। 
मां के मंत्र का हल्दी की माला पर एक माला जप करना चाहिए। 
पूजा स्थल पर गाय के घी का दीपक जलाना, पीली मिठाई का भोग लगाना तथा जप के बाद स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। 
मां बगलामुखी सभी शत्रुओं का नाश करके सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। पूजा करते समय बगलामुखी यंत्र एवं मां का चित्र अपने सामने रखना चाहिए । फिर ध्यान विनियोग आदि करके शतनाम स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

साधक को पीले वस्त्र (बिना सिले) पहनकर पीले आसन पर बैठकर सरसों के तेल का दीपक जलाकर पीली सरसों से यज्ञ करना चाहिए। इससे उसके सारे मनोरथ पूर्ण होंगे और शत्रु परास्त होंगे। 
महाविद्या बगलामुखी का 36 अक्षरों का मंत्र इस प्रकार है।
पीताम्बर धरी भूत्वा पूर्वाशामि मुखः स्थितिः। लक्ष्मेकं जयेन्मंत्रं हरिद्रा ग्रन्थि मालया।।
 ब्रह्मचर्यŸाो नित्यं प्रचरो ध्यान तत्परः।प्रियंगु कुसुमेनादि पीत पुस्पै होमयेत।। 

बगलामुखी देवी के जप में पीले रंग का विशेष महत्व है। अनुष्ठानकर्ता को पीले वस्त्र पहनने चाहिए। पीले कनेर के फूलों का विशेष विधान है। देवी की पूजा तथा होम में पीले पुष्पों का प्रयोग करना चाहिए और हल्दी की गांठ की माला से पूजा करनी चाहिए। उसे ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा सदैव स्वच्छ तन और मन से भगवती का ध्यान करना चाहिए। 

जप आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर करना चाहिए। जप से पूर्व आसन शुद्धि, भूशुद्धि, भूतशुद्धि, अंग न्यास, करन्यास आदि करने चाहिए तथा प्रतिदिन जप के अंत मे दशांश होम पीले पुष्पों से अवश्य करना चाहिए। 

संकल्प:- आचमन एवं प्राणायाम करने के बाद देशकाल संकीर्तन करके बगलामुखी मंत्र की सिद्धि के लिए जप संख्या के निर्देश और तत् दशांश क्रमशः हवन, तर्पण, मार्जन और ब्राह्मण भोजन रूप पुरश्चरण करने का संकल्प करें। 

माँ बगलामुखी यंत्र - मंत्र साधना
श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।

ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।

इसके पश्चात आवाहन करना चाहिए

ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।

ध्यान
सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।

विनियोग
ॐ अस्य श्रीबगलामुखी ब्रह्मास्त्र-मन्त्र-कवचस्य भैरव ऋषिः
विराट् छन्दः, श्रीबगलामुखी देवता, क्लीं बीजम्, ऐं शक्तिः
श्रीं कीलकं, मम (परस्य) च मनोभिलषितेष्टकार्य सिद्धये विनियोगः ।

न्यास
भैरव ऋषये नमः शिरसि, विराट् छन्दसे नमः मुखे
श्रीबगलामुखी देवतायै नमः हृदि, क्लीं बीजाय नमः गुह्ये, ऐं शक्तये नमः पादयोः
श्रीं कीलकाय नमः नाभौ मम (परस्य) च मनोभिलषितेष्टकार्य सिद्धये विनियोगाय नमः सर्वांगे ।

मन्त्रोद्धार r
ॐ ह्रीं ऐं श्रीं क्लीं श्रीबगलानने मम रिपून् नाशय नाशय, ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवाञ्छितं कार्यं साधय साधय ह्रीं स्वाहा ।

मंत्र 
ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय
बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।

मधु, घी और शर्करा मिश्रित तिल से किया जाने वाला हवन (होम) मनुष्यों को वश में करने वाला माना गया है। यह हवन आकर्षण बढ़ाता है।
तेल से सिक्त नीम के पत्तों से किया जाने वाला हवन विद्वेष दूर करता है। 
रात्रि में श्मशान की अग्नि में कोयले, घर के धूम, राई और माहिष गुग्गल के होम से शत्रु का शमन होता है। 
गिद्ध तथा कौए के पंख, कड़वे तेल, बहेड़े, घर के धूम और चिता की अग्नि से होम करने से साधक के शत्रुओं को उच्चाटन लग जाता है। 
दूब, गुरुच और लावा को मधु, घी और शक्कर के साथ मिलाकर होम करने पर साधक सभी रोगों को मात्र देखकर दूर कर देता है। 
कामनाओं की सिद्धि के लिए पर्वत पर, महावन में, नदी के तट पर या शिवालय में एक लाख जप करें। 
ध्यान रहे, उपासना किसी योग्य और कुशल गुरु के मार्गदर्शन में ही करें।

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