तिलक के प्रकार व प्रभाव

वैष्णव तिलक का प्रभाव 
सनातन धर्म के अनुयायी माथे पर कुछ चिन्ह लगाते हैं, जिसे तिलक कहा जाता है। हिंदू धर्म में माथे पर तिलक लगाना बड़ा शुभ माना जाता है। पूजा हो या  त्यौहार सभी लोग उस दिन माथे पर  तिलक लगाते है ।
पर क्या आपको पता है कि हम माथे पर तिलक क्यों लगाते हैं। हमारे माथे के बीचों-बीच आज्ञाचक्र होता है। जो इड़ा, पिंगला तथा सुभुम्ना नाड़ी का संगम है। तिलक हमेशा आज्ञाचक्र पर किया जाता है, जोकि हमारा चेतना केंद्र्र भी कहलाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चंदन का तिलक लगाने से मस्तिष्क में शांति, तरावट तथा शीतलता बनी रहती है। इससे दिमाग में सेटाटोनिन व बीटाएंडारफिन नामक रसासनों का संतुलन होता है तथा मेघाशक्ति बढ़ती है।

तिलक लगाते समय सिर पर हाथ रखना
तिलक लगवाते समय सिर पर हाथ इसलिए रखते हैं ताकि सकारात्मक उर्जा हमारे शीर्ष चक्र पर एकत्र हो तथा हमारे विचार सकारात्मक हों।
तिलक अनेक प्रकार के होते हैं, कई लोग रोली, हल्दी , केशर , चन्दन ,मिटटी  राख द्वारा बनाये हुए तिलक लगाते है अघोर साधक शमशान की राख से तिलक करते है। 
तिलक लगाने के अनेक कारण एवं अर्थ हैं परन्तु यहाँ हम मुख्यतः वैष्णवों द्वारा लगाये जाने वाले  तिलक के बारे में बता रहे है  । 
तिलक हमारे शरीर को एक मंदिर की भाँति अंकित करता है, शुद्ध करता है और बुरे प्रभावों से हमारी रक्षा भी करता है। 
इस तिलक को हम स्वयं देखें या कोई और देखे तो उसे स्वतः ही श्री भगवान  का स्मरण हो आता है।

पद्म पुराण के उत्तर खंड में भगवान शिव, पार्वती जी से कहते हैं कि वैष्णवों के “V” तिलक के बीच में जो स्थान है उसमे लक्ष्मी एवं नारायण का वास है। इसलिए जो भी शरीर इन तिलकों से सजा होगा उसे श्री विष्णु  के मंदिर के समान समझना चाहिए ।
पद्म पुराण में तिलक के बारे में लिखा है 
वाम्-पार्श्वे स्थितो ब्रह्मा,दक्षिणे च सदाशिवः
मध्ये विष्णुम् विजनियात,तस्मान् मध्यम न लेपयेत्
तिलक के बायीं ओर ब्रह्मा जी विराजमान हैं, दाहिनी ओर सदाशिव परन्तु सबको यह ज्ञात होना चाहिए कि मध्य में श्री विष्णु का स्थान है। इसलिए मध्य भाग में कुछ लेपना नहीं चाहिए।

बायीं हथेली पर थोड़ा सा जल लेकर उस पर गोपी-चन्दन को रगड़ें। तिलक बनाते समय पद्म पुराण में वर्णित निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें:

ललाटे केशवं ध्यायेन,नारायणम् अथोदरे
वक्ष-स्थले माधवम् तु ,गोविन्दम कंठ-कुपके 
विष्णुम् च दक्षिणे कुक्षौ,बहौ च मधुसूदनम् 
त्रिविक्रमम् कन्धरे तु ,वामनम् वाम्-पार्श्वके 
श्रीधरम वाम्-बहौ तु ,ऋषिकेशम् च कंधरे 
पृष्ठे-तु पद्मनाभम च ,कत्यम् दमोदरम् न्यसेत् 
तत प्रक्षालन-तोयं तु ,वसुदेवेति मूर्धनि
माथे पर – ॐ केशवाय नमः
नाभि के ऊपर – ॐ नारायणाय नमः
वक्ष-स्थल – ॐ माधवाय नमः
कंठ – ॐ गोविन्दाय नमः
उदर के दाहिनी ओर – ॐ विष्णवे नमः
दाहिनी भुजा – ॐ मधुसूदनाय नमः
दाहिना कन्धा – ॐ त्रिविक्रमाय नमः
उदर के बायीं ओर – ॐ वामनाय नमः
बायीं भुजा – ॐ श्रीधराय नमः
बायां कन्धा – ॐ ऋषिकेशाय नमः
पीठ का ऊपरी भाग – ॐ पद्मनाभाय नमः
पीठ का निचला भाग – ॐ दामोदराय नमः
अंत में जो भी गोपी-चन्दन बचे उसे ॐ वासुदेवाय नमः का उच्चारण करते हुए शिखा में पोंछ लेना चाहिए।

शास्त्रों में भी इसके माहात्म्य का उल्लेख मिलता है, जो इस प्रकार हैं:

अगर कोई वैष्णव जो उर्धव-पुन्ड्र लगा कर किसी के घर भोजन करता है, तो उस घर के २० पीढ़ियों को मैं (परम पुरुषोत्तम भगवान) घोर नरकों से निकाल लेता हूँ। – (हरी-भक्तिविलास ४.२०३, ब्रह्माण्ड पुराण से उद्धृत)

हे पक्षीराज! (गरुड़) जिसके माथे पर गोपी-चन्दन का तिलक अंकित होता है, उसे कोई गृह-नक्षत्र, यक्ष, भूत-पिशाच, सर्प आदि हानि नहीं पहुंचा सकते।       – (हरी-भक्ति विलास ४.२३८, गरुड़ पुराण से उद्धृत)

जिन भक्तों के गले में तुलसी या कमल की कंठी-माला हो, कन्धों पर शंख-चक्र अंकित हों, और तिलक शरीर के बारह स्थानों पर चिन्हित हो, वे समस्त ब्रह्माण्ड को पवित्र करते हैं । – पद्म पुराण

तिलक कृष्ण के प्रति हमारे समर्पण का एक बाह्य प्रतीक है। इसका आकार और उपयोग की हुयी सामग्री,हर सम्प्रदाय या आत्म-समर्पण की प्रक्रिया पर निर्भर करती है।

मस्तक पर  तिलक धारण करने से क्या लाभ होता है :-

1. तिलक करने से व्यक्त‍ित्व प्रभावशाली हो जाता है. दरअसल, तिलक लगाने का मनोवैज्ञानिक असर होता है, क्योंकि इससे व्यक्त‍ि के आत्मविश्वास और आत्मबल में भरपूर इजाफा होता है.

2. ललाट पर नियमित रूप से तिलक लगाने से मस्तक में तरावट आती है. लोग शांति व सुकून अनुभव करते हैं. यह कई तरह की मानसिक बीमारियों से बचाता है.

3. दिमाग में सेराटोनिन और बीटा एंडोर्फिन का स्राव संतुलित तरीके से होता है, जिससे उदासी दूर होती है और मन में उत्साह जागता है. यह उत्साह लोगों को अच्छे कामों में लगाता है.

4. इससे सिरदर्द की समस्या में कमी आती है.

5. हल्दी से युक्त तिलक लगाने से त्वचा शुद्ध होती है. हल्दी में एंटी बैक्ट्र‍ियल तत्व होते हैं, जो रोगों से मुक्त करता है.

6. धार्मिक मान्यता के अनुसार, चंदन का तिलक लगाने से मनुष्य के पापों का नाश होता है. लोग कई तरह के संकट से बच जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, तिलक लगाने से ग्रहों की शांति होती है.

7. माना जाता है कि चंदन का तिलक लगाने वाले का घर अन्न-धन से भरा रहता है और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है.

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