नाग पंचमी विशेष :-ज्योतिषाचार्य आलोक गुप्ता
पंचमी तिथि के स्वामी स्वयं नाग देवता ही है। पूरे देश में नाग पूजा मनाई जाती है। श्रावण भगवान शिव को समर्पित हिंदू महीना है। श्रावण मास में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण पर्व नाग पंचमी है। नाग पंचमी एक उत्सव है जो भगवान शिव के साथ-साथ नाग देवता का भी स्मरण करता है। कहा जाता है कि नाग पंचमी को मनाने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और शिव की कृपा मिलती है।
नाग पंचमी हर साल हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण के पवित्र महीने में शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाई जाती है।
कई पौराणिक लेखों में भी नाग पंचमी का उल्लेख मिलता है। किंवदंती के अनुसार, जो कोई भी इस दिन नाग देव की पूजा करता है, वह राहु और केतु के पाप ग्रहों द्वारा लाए गए सभी प्रकार के दुर्भाग्य से बच जाता है।नाग पंचमी पर क्या करें
नाग पंचमी के दिन उपवास रखें क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह आपको सर्प के काटने से बचाता है।
नाग देवताओं की पूजा की जाती है और उन्हें दूध, मिठाई और फूल चढ़ाए जाते हैं।
नाग पंचमी मंत्र का जाप करना चाहिए।
नाग पंचमी पूजा इस ग्रह पर सभी प्रकार के जीवन को प्यार करने, सम्मान करने और गले लगाने के महत्व का भी प्रतिनिधित्व करती है।
नाग पंचमी के दिन न करें ये काम
नाग पंचमी के दिन जमीन की जुताई न करें क्योंकि इससे वहां रहने वाले सांपों को चोट लग सकती है या उनकी मौत हो सकती है।
इस दिन पेड़ों को काटने से बचें क्योंकि इससे छिपे हुए या उनमें रहने वाले सांपों को चोट लग सकती है या उनकी मृत्यु हो सकती है।
नाग पंचमी के दिन सूई के धागों से सिलाई करना अशुभ माना जाता है।
नाग पंचमी के दिन न तो लोहे की कड़ाही जलाएं और न ही लोहे के बर्तन में भोजन बनाएं।
नाग पंचमी पूजा मंत्र जप करने के लिए
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः।ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥
नाग पंचमी पूजा विधि
प्रातः उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
नाग पंचमी के दिन व्रत करना चाहिए।
अपने भक्ति स्थान पर नाग देवता की मूर्ति या चित्र लगाएं।
नाग देवता की मूर्ति का निर्माण चांदी, पत्थर या लकड़ी से किया जा सकता है।
सबसे पहले नाग देवता को दूध और पानी से स्नान कराएं।
उसके बाद, नाग पंचमी पूजा मंत्रों को कहकर नाग देवता की पूजा कर सकते हैं।
आपने जो भोजन तैयार किया है, उसे सर्प देवता को चढ़ाएं।
हाथ जोड़कर सर्प देवताओं से प्रार्थना करें।
नाग पंचमी विशेष : आप भी जानिए कालसर्प दोष के 13 लक्षण और 13 उपाय
जिन व्यक्तियों की जन्म पत्रिका में कालसर्प दोष हो या जिनके हाथ से जाने-अनजाने सर्प की हत्या हुई हो, उनके जीवन में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव आते हैं। यदि जन्म पत्रिका नहीं हो तथा जीवन में निम्नलिखित समस्याओं में से कोई एक भी हो तो वे अपने आपको कालसर्प दोष से पीड़ित समझें तथा उपाय करें।
कालसर्प दोष के 13 लक्षण
1. व्यवसाय में हानि बार-बार होना।
2. मेहनत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता।
3. अपनों से ठगा जाना।
4. अकारण कलंकित होना।
5. संतान नहीं होना या संतान की उन्नति नहीं होना।
6. विवाह नहीं होना या वैवाहिक जीवन अस्त-व्यस्त होना।
7. स्वास्थ्य खराब होना।
8. बार-बार चोट-दुर्घटनाएं होना।
9. अच्छे किए गए कार्य का यश दूसरों को मिलना।
10. भयावह स्वप्न बार-बार आना, नाग-नागिन बार-बार दिखना।
11. काली स्त्री, जो भयावह हो या विधवा हो, रोते हुए दिखना।
12. मृत व्यक्ति स्वप्न में कुछ मांगे, बारात दिखना, जल में डूबना, मुंडन दिखना, अंगहीन दिखना।
13. गर्भपात होना या संतान होकर नहीं रहना आदि लक्षणों में से कोई एक भी हो तो कालसर्प दोष की शांति करवाएं।
नाग पंचमी के दिन किए जाने वाले कुछ प्रयोग निम्नलिखित हैं जिनके करने से कालसर्प दोष शिथिल होता है-
1. नाग-नागिन का जोड़ा चांदी का बनवाकर पूजन कर जल में बहाएं।
2. सरल मंत्र- ॐ कुलदेवतायै नम: या ॐ पितृदेवतायै नम: का अधिक से अधिक जाप करें।
3. सपेरे से नाग या जोड़ा पैसे देकर जंगल में स्वतंत्र करें।
4. किसी ऐसे शिव मंदिर में, जहां शिवजी पर नाग नहीं हों, वहां प्रतिष्ठा करवाकर नाग चढ़ाएं।
5. चंदन की लकड़ी के बने 7 मौली प्रत्येक बुधवार या शनिवार शिव मंदिर में चढ़ाएं।
6. शिवजी को चंदन तथा चंदन का इत्र चढ़ाएं तथा नित्य स्वयं लगाएं।
7. नाग पंचमी को शिव मंदिर की सफाई, मरम्मत तथा पुताई करवाएं।
8. निम्न मंत्रों के जप-हवन करें या करवाएं।
(अ) 'नागेन्द्र हाराय ॐ नम: शिवाय'
(ब) 'ॐ नागदेवतायै नम:' या नाग पंचमी मंत्र 'ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नौ सर्प प्रचोद्यात्।'
(9) शिवजी को विजया, अर्क पुष्प, धतूरा पुष्प, फल चढ़ाएं तथा दूध से रुद्राभिषेक करवाएं।
(10) अपने वजन के बराबर कोयले पानी में बहाएं।
(11) नित्य गौमूत्र से दांत साफ करें।
(12) नाग गायत्री यंत्र का पुरश्चरण कराएं।
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