जानिए चोरी हुई वस्तु मिलेगी या नहीं :-पंडित कौशल पाण्डेय

जानिए चोरी हुई वस्तु मिलेगी या नहीं :-पंडित कौशल पाण्डेय 

आज ज्योतिष विज्ञान के द्वारा असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है यहाँ पर कुछ सरल प्रयोग बता रहा हूँ  जिसके द्वारा पता किया जा सकता है की चोरी हुआ सामान मिलेगा या नहीं ,



जिस दिन चोरी या सामान गुम हुआ हो उस दिन के नक्षत्र के आधार पर खोई वस्तु के विषय में जानकारी प्राप्त की जा सकती है .
खोये सामान की जानकारी मिलेगी अथवा नहीं मिलेगी? 
इस बात का पता भी नक्षत्रों के अनुसार चल जाता है. 

सभी 28 नक्षत्रों को चार बराबर भागों में बाँट दिया गया है. एक भाग में सात नक्षत्र आते हैं. उन्हें अंध, मंद, मध्य तथा सुलोचन नाम दिया गया है. इन नक्षत्रों के अनुसार चोरी की वस्तु का दिशा ज्ञान तथा फल ज्ञान के विषय में जो जानकारी प्राप्त होती है वह एकदम सटीक होती है. 

नक्षत्रों का लोचन ज्ञान :-
अंध लोचन में आने वाले नक्षत्र:- रेवती, रोहिणी, पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, विशाखा, पूर्वाषाढा़, धनिष्ठा. 
मंद लोचन में आने वाले नक्षत्र :-अश्विनी, मृगशिरा, आश्लेषा, हस्त, अनुराधा, उत्तराषाढा़, शतभिषा. 
मध्य लोचन में आने वाले नक्षत्र :-भरणी, आर्द्रा, मघा, चित्रा, ज्येष्ठा, अभिजित, पूर्वाभाद्रपद. 
सुलोचन नक्षत्र में आने वाले नक्षत्र :-कृतिका, पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, स्वाति, मूल, श्रवण, उत्तराभाद्रपद. 

आइये जानते हैं किस नक्षत्र का क्या परिणाम होता है:
1. रोहिणी, पुष्य, उत्तरा फाल्गुनी, विशाखा, पूर्वाषाढ़ा, धनिष्ठा और रेवती को ज्योतिष में अंध नक्षत्र माना गया है। इन नक्षत्रों में चोरी होने वाली वस्तु पूर्व दिशा में जाती है और जल्दी मिल जाती है। इन नक्षत्रों में यदि कोई वस्तु चोरी हुई है तो वह अधिक दूर नहीं जाती है उसे आसपास ही तलाशना चाहिए।

2. मृगशिरा, अश्लेषा, हस्त, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, शतभिषा, अश्विनी ये मंद नक्षत्र कहे गए हैं। इन नक्षत्रों में यदि कोई वस्तु चोरी होती है तो वह तीन दिन में मिलने की संभावना रहती है। इन नक्षत्रों में गई वस्तु दक्षिण दिशा में प्राप्त होती है। साथ ही वह वस्तु रसोई, अग्नि या जल के स्थान पर छुपाई होती है।

3. आर्द्रा, मघा, चित्रा, ज्येष्ठा, अभिजीत, पूर्वाभाद्रपद, भरणी ये मध्य लोचन नक्षत्र होते हैं। इन नक्षत्रों में चोरी गई वस्तुएं पश्चिम दिशा में मिल जाती हैं। वस्तु के संबंध में जानकारी 64 दिनों के भीतर मिलने की संभावना रहती है। यदि 64 दिनों में न मिले तो फिर कभी नहीं मिलती। इस स्थिति में वस्तु के अत्यधिक दूर होने की जानकारी भी मिल जाती है, लेकिन मिलने में संशय रहता है।

4. पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, स्वाति, मूल, श्रवण, उत्तराभाद्रपद, कृतिका को सुलोचन नक्षत्र कहा गया है। 
इनमें गई वस्तु कभी दोबारा नहीं मिलती। वस्तु उत्तर दिशा में जाती है, लेकिन पता नहीं लगा पाता कि कहां रखी गई है या आप कहां रखकर भूल गए हैं।

नक्षत्रों के द्वारा जानिए :-
यदि वस्तु अंध लोचन में खोई है तो वह पूर्व दिशा में शीघ्र मिल जाती है. 
यदि वस्तु मंद लोचन में गुम हुई है तो वह दक्षिण दिशा में होती है और गुम होने के 3-4 दिन बाद कष्ट से मिलती है. 

यदि वस्तु मध्य लोचन में खोई है तो वह पश्चिम दिशा की ओर होती है और एक गुम होने के एक माह बाद उस वस्तु की जानकारी मिलती है. ढा़ई माह बाद उस वस्तु के मिलने की संभावना बनती है. 
यदि वस्तु सुलोचन नक्षत्र में गुम हुई है तो वह उत्तर दिशा की ओर होती है. वस्तु की ना तो खबर ही मिलती है और ना ही वस्तु ही मिलती है. 

प्रश्न कुंडली के द्वारा जाने :-
यदि लग्न को लग्नेश और चंद्र दोनों ही देखते हों तो कार्य पूर्ण रूप से सिद्ध होता है। 
यदि उदित प्रश्न लग्न के भाव 1, 4, 5, 7, 9 या 10 में शुभ ग्रह स्थित हो और कोई अशुभ ग्रह नहीं हो तो सफलता निश्चित रूप से मिलती है। 
प्रश्न कुंडली से कार्य के पूर्ण होने में लगने वाले समय का विचार 
प्रश्न लग्न और चंद्र के बीच में जितने राशि के अंक आते हैं, उतने दिन कार्य को पूरा करने में लगते हैं। 


पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 
ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ 
राष्ट्रीय महासचिव -श्री राम हर्षण शांति कुंज,दिल्ली,भारत

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