👊*उद्धव को मिला श्राप..*
अगले जन्म में बने सूरदास...🤦🏻♂️....!!*
सूरदासजी जन्मांध थे उनके कोई गुरु भी नहीं थे, फिर भी कृष्ण भक्ति रस की ऐसी वर्षा, जो 'मैं' को भिगो दे.. उन्हें कैसे मिली, जब भी कभी वो किसी गड्ढे में गिरते या नदी खाई में या झरने में गिराने वाले रहते तो, उन्हें भगवन स्वयं आके बचाते थे..!!
🍃 जब कोई कुत्ता भी अंधे सूरा की रोटी लेके भागता तो उन्हें ये एहसास होता कि श्रीकृष्ण स्वय भोग लगाने आये है तो वो रोटी को बिना घी की जान, कुत्ते के पीछे दौड़ते और कहते अरे विट्ठल वो चुपड़ी नहीं है, ला में घी लगा
दूँ.. उनकी ज्ञान और भक्ति से पूरी दुनिया चकित थी की सूरदासजी कृष्ण की ऐसी छवि कैसे देख पाते और उन्हें ऐसा ज्ञान कैसे मिल गया..!!
🕉️ इसका जवाब भी भागवत में है, द्वापर युग में जब कृष्ण वृन्दावन छोड़ मथुरा चले गए थे, तब उन के विरह में गोपिया बेसुध रहती और सब कुछ भूल कर विलाप करती थी.. जब कृष्ण मथुरा के राजा बने तो कर्मयोग के कारण वापस वृन्दावन कभी नहीं लौट पाये.. जब उन्हें ये समाचार मिला तो उन्होंने अपने परम ज्ञानी दोस्त उद्धव को गोपियों को समझने भेजा की वो विलाप छोड़ दे और दुखी न हो मूर्त रूप को छोड़ कर परम स्वरुप में ध्यान लगाये.. उद्धव को भी घमंड था, अपने ज्ञान का और वो वृन्दावन पहुँच गए और गोपियों को उपदेश देने लगे और उन्हें कृष्ण के शरीर रूपी स्वरुप से मोह का त्याग करने कहने लगे. उद्धव ने गोपियों का उपहास भी उड़ाया.. तब गोपियों ने भी उद्धव को ऐसे ऐसे तर्क दिए, जिन्हे सुन कर उसका भी माथा ठमका और उसे अपना ज्ञान भी कम लगने लगा.. ये तो प्रेम की बात है उद्धव आशिकी इतनी सस्ती नहीं है..!!
❣️ उसके उद्धव के उपहास से क्रोधित हो, राधा की सखी ललिता ने श्राप दिया की उद्धवजी आप कृष्ण के शरीर रूप से मोह भंग करने को कह रहे हो पर ये संभव नहीं है, अत्यंत दुष्कर है आप को इस का ज्ञान नहीं है.. ललिता ने श्राप दिया कि जिस तरह हम कृष्ण के दर्शन को तरस रहे है, उसी तरह तुम भी तरसोगे, पर तुम्हे आँखों से दर्शन नहीं होंगे.. तब तुम्हे मन की आँखों से ही देखना होगा, जैसा तुम हमें करने को कह रहे हो.. तब तुम्हे हमारी पीड़ा का एहसास होगा.. उद्धव पर गोपियों का ऐसा रंग चढ़ा कि वो खुद बावले प्रतीत हो रहे थे और उन्होंने कृष्ण के पास जा कर गोपियों का दर्द कहा और खुद भी विलाप करने लगे..!!
🪔 तब कृष्ण ने उद्दव को श्राप में सहायता का आश्वासन दिया.. सूरदास के रूप में उसी उद्धव ने जन्म लिया और ललिता का श्राप भोगा.. मन में तो कृष्ण थे, पर अपनी आँखों से वो देख नहीं पाये और तब उन्हें गोपियों के दर्द का
एहसास हुआ.. जिसका उन्होंने उद्धव रूप में उपहास उड़ाया था..!!
❣️☕*जय जय 🌷श्री कृष्ण* 🦚🙏🏻
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