हर हर महादेव
शिवपूजा कहीं भी की जाए, किसी समय की जाए फलदायी होती है। लेकिन श्रावण मास की चतुर्दशी अर्थात मासिक शिव रात्रि के दिन गंगाजल से शिव अभिषेक का माहात्म्य दोगुना बताया जाता है।
श्रवण नक्षत्र की श्रावण में प्रधानता होती है। श्रवण के अधिपति भगवान विष्णु हैं और विष्णु हमेशा शिव का ध्यान करते हैं। इसलिए यह मास शिव को समर्पित मास कहा जाता है।
व्यक्ति को अपनी जन्मकुंडली में ग्रहों की शुभ-अशुभ स्थिति के अनुसार शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पूजन करना चाहिए।
सूर्य से संबंधित कष्ट सिरदर्द, नेत्र रोग, अस्थि रोग आदि हों तो शिवलिंग पूजन आक के पुष्पों, पत्तों एवं बिल्व पत्रों से करने से इनसे मुक्ति मिलती है। चंद्रमा से संबंधित बीमारी या कष्ट जैसे खांसी, जुकाम, नजला, मन की परेशानी, ब्लड प्रेशर आदि हों तो शिवलिंग का रुद्री पाठ करते हुए काले तिल मिश्रित दूध धार से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
मंगल से संबंधित बीमारी जैसे रक्त दोष हो तो गिलोय, जड़ी बूटी के रस आदि से अभिषेक करें।
बुध से संबंधित बीमारी जैसे चर्म रोग, गुर्दे का रोग आदि हों तो विदारा या जड़ी-बूटी के रस से अभिषेक करें।
बृहस्पति से संबंधित बीमारी जैसे चर्बी, आंतों, लीवर की बीमारी आदि हों तो शिवलिंग पर हल्दी मिश्रित दूध चढ़ाएं।
शुक्र से संबंधित बीमारी, वीर्य की कमी, मलमूत्र की बीमारी शारीरिक या शक्ति में कमी हो तो पंचामृत, शहद और घृत से शिवलिंग का अभिषेक करें।
शनि से संबंधित रोग जैसे मांसपेशियों का दर्द, जोड़ों का दर्द, वात रोग आदि हों तो गन्ने के रस और छाछ से शिवलिंग का अभिषेक करें।
राहु-केतु से संबंधित बीमारी जैसे सिर चकराना, मानसिक परेशानी, अधरंग आदि के लिए उपर्युक्त सभी वस्तुआंे के अतिरिक्त मृत संजीवनी का सवालाख जप कराकर भांग-धतूरे से शिवलिंग का अभिषेक करें।
पति-पत्नी में प्रेम न हो, गृह क्लेश हो, ब्याह शादी में रुकावट आ रही हो तो मक्खन-मिसरी का मिश्रण 108 बिल्वपत्रों पर रखकर चढ़ाएं- मनोकामना निश्चित रूप से पूर्ण होगी।
धन की ईच्छा हो तो खीर से अभिषेक करें। यदि सुख समृद्धि की ईच्छा हो तो भांग को घोटकर अभिषेक करें - लाभ होगा।
मारकेश या मारक दशा चल रही हो तो मृत संजीवनी या महामृत्युंजय मंत्र के सवा लाख जप कराकर अभिषेक करें।
कालसर्प के लिए भी शिवपूजा विशेष फलदायी है।
पारे से बने शिवलिंग का पूजन सर्व कामप्रद, मोक्षप्रद, शिवस्वरूप बनाने वाला होता है। यह समस्त पापों का नाश कर संसार के संपूर्ण सुख एवं मोक्ष देता है।
भगवान शिव , शिवलिंग पर सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं। ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक समीपत्र का महत्व होता है अतः शिव पूजा में शमी का पत्ता अवश्य चढ़ाये।
महादेव शिव से इस प्रकार प्रार्थना करे
कर चरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व जय जय करणाब्धे श्री महादेव शम्भो॥5॥
अर्थात हाथों से, पैरों से, वाणी से, शरीर से, कर्म से, कर्णों से, नेत्रों से अथवा मन से भी हमने जो अपराध किए हों, वे विहित हों अथवा अविहित, उन सबको हे करुणासागर महादेव शम्भो! क्षमा कीजिए, एवं आपकी जय हो, जय हो, जय हो ।
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