गर्भ में ही मिल जाता है बच्चो को उचित संस्कार :-Astrologer Kaushal 09968550003

गर्भ में ही मिल जाता है बच्चो को उचित संस्कार :-
‘पुत्रो कुपुत्रो जायते, माता कुमाता न भवती’.



माता अखिल ब्रह्माण्ड की अदम्य शक्तिस्वरूपा होती है। समग्र सृष्टि का स्वरूप माता की गोद में ही अंकुरित, पल्लवित, पुष्पित एवं विकसित होता है। विश्व का उज्ज्वल भविष्य माता के स्नेहांचल में ही फूलता-फलता है। यदि कहा जाए कि निखिल संसार की सर्जना-शक्ति माता है, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। 
बालक जन्म से पूर्व गर्भ में ही माता से संस्कार ग्रहण करने लग जाता है और जन्म के बाद वह माता के संस्कार का अनुगामी हो जाता है। 
बालक के बचपन का अधिकांश समय माता की वात्सल्यमयी छाया में ही व्यतीत होता है। 
करणीय-अनुकरणीय, उचित-अनुचित, हित-अहित सभी संस्कारों का प्रथमाक्षर वह माता से ही सीखता है।
सन्तान के चरित्र-निर्माण में माता की भूमिका आधारशिलास्वरूप है। माता के स्नेहिल अपनत्व से भीगे आँचल में ही बच्चा दिव्य आनन्द एवं तृप्ति की अनुभूति करता है। 
इसीलिए माता को प्रथम गुरु का सम्मान दिया गया है।

माँ बेटे का है इस जग में बड़ा ही सुन्दर नाता पूत कपूत सुने है पर न माता सुनी कुमाता 
संस्कृत में कहा गया है-
‘पुत्रो कुपुत्रो जायते, माता कुमाता न भवती’.
अर्थात पुत्र कुपुत्र हो सकता है पर माता कुमाता नही हो सकती.जिस समय इस श्लोक की रचना की गयी होगी, उस समय हालात जो भी हों, 
वर्त्तमान में आज सबकुछ बदल गया है.कुमाताओं की संख्यां में निरंतर बढोतरी देखी जा सकती है.नाजायज सम्बन्ध माँ की ममता पर भारी पड़ रहे हैं.नाजायज संबंधों में जन्मे बच्चों को नाली या कुत्तों के हवाले करना सामान्य सी बात होती जा रही है.भला हो कि इंसानियत आज भी जिन्दा है, कुछ लोग ऐसे फेके बच्चे को अपना रहे हैं और यहाँ यह बात चरितार्थ हो रही है कि पालने वाला जन्म देने वाले से बड़ा होता है.
आज कल समाचारों में देखा जा सकता है कि ज्ञान देने वाले गुरु ने अपनी शिष्या के साथ गलत संबंध कायम किए, महिला टीचर ने अपने ही शिष्य के साथ नाजायज संबंध रखे या पैसे कि और काम कि भूख ने माँ बेटे का रिस्ता ही कलंकित कर दिया है ,
इसका भी उदाहरण देखने को कई बार मिल जाता है जैसे कई माँ तो ऐसी है कि जन्म देखर अपना नवजात बालक कूड़े कि ढेर में फेक देती है या हॉस्पिटल में छोड़ कर भाग जाती है कई बार देखने को मिला है कि जब कोई मां अपनी ही कोख से जन्मी बेटी को बहशियों के हवाले कर दे और उसी के सामने उसकी बेटी की आबरू लूटी जाए तो फिर इससे बड़ा कुक्रत्य क्या होगा। 
ऐसे लोग माता से कुमाता बन जाती है 
साथ ही आज कल भ्रूण अपराध बहुत तेजी से फ़ैल रहा है आज माता कुमाता का रूप ले रही है इसका परिणाम उन्हें अवश्य भोगना पड़ता है , आज जिस प्रकार से शादी से पहले ही नाजायज सम्बन्ध बन रहे है और उनकी गलती आनेवाली औलाद उठा रही है इसका मुख्या कारन है आज का बदलता हुआ संस्कार और पश्चिमी सभ्यता का 
जिस कारन बड़े होकर संतान भी अपने माता पिता का साथ इसलिए छोड़ देती है कि माता भी कुमाता रही है

पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 
 ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ 
 राष्ट्रीय महासचिव -श्री राम हर्षण शांति कुंज,दिल्ली,भारत

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