बलिदान दिवस 4 जुलाई

#इस_वीर_ने_जलाई_थी_अकबर_की_अस्थियां_
#हिन्दू_वीर_शिरोमणि_राजाराम_सिंह
(बलिदान दिवस- 4 जुलाई)
हिन्दू वीर शिरोमणि गौकुला के शहीद होने के ठीक 15 साल बाद #राजाराम सिनसिनवार ने धर्म क्रांति का झंडा अपने हाथों में लिया था।
इनका जन्म सिनसिनी राजस्थान के एक जाट (क्षत्रिय) वीर #भज्जाराम के घर में हुआ था।उस समय देश मे औरंगजेब का आतंक था।
इन्होंने क्रांति का झंडा उठाते ही धर्म की रक्षा के लिए ब्रज के क्रांतिकारियों को एक करना शुरू किया।इन्होंने धर्म वीर सरदार #रामकी चाहर को भी अपने साथ लिया और औरंगजेब की धर्म विरोधी नीति के खिलाफ बिगुल बजा दिया।

लालबेग खान के आतंक का खात्मा

उनके गांव के पास ही अउ गढी थी जिसका सरदार लालबेग खान था जो स्त्रियों पर बुरी नजर रखता था।एक बार उसने कुए से एक अहीर हिन्दू स्त्री को उठा लिया व कुछ गौवंश को बन्दी बना लिया तो यह खबर राजाराम के पास पहुंची तो उन्होंने #हिन्दू सतीत्व की रक्षा के लिए अउ गढी पर आक्रमण कर दिया।
इस तरह उस स्त्री और अउ गढ़ी को उन्होंने मुगलो से स्वतंत्र करवाया ।

उसके बाद वो ब्रज क्षेत्र की ओर बढ़े।
और वहां उन्होंने कूटनीति से जाटौली थून की 575 गांवो की जमीदारी सम्भाली और धर्मसेना को मजबूत किया।
इस तरह कुन्तल,आगरा,फतेहपुर सीकरी और धौलपुर के जाट सरदारों को भी धर्म रक्षा ले लिए उन्होंने एकता के सूत्र में पिरोया।सैनिको को गुरिल्ला युद्ध और शाही सेना से लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया।

मुअल्लत खां के आतंक का अंत

एक बार आगरा के समीप के गांवों में फसल खराब होने के कारण किसानों ने औरंगजेब को लगान देने से मना कर दिया तो उसने मीर #अब्दुल्लाह दी असालत खां को भेजा।तो राजाराम के द्वारा जागृत ग्रामीणों ने उसको धूल चटा दी और मुअल्लत खां को पकड़कर राजाराम के पास ले गए।तो राजाराम ने उसकी छित्तरपरेड की और उसे सैनिक न समझकर हिजड़ा कहकर छोड़ दिया।जब यह समाचार औरंगजेब के पास पहुंचा तो उसने मुअल्लत खां को जहर की पुड़िया भेजी।उसने दरबार में औरंगजेब के हाथों मरने की अपेक्षा #जहर खा लिया।

कुछ कट्टर जिहादियों का सफाया

मुगल फ़ौजदारो ने हर तरफ आतंक मचा रखा था। कहते है कि उन्होंने एक पुजारी की बेटी के साथ दुष्कर्म करके उसकी हत्या कर दी। 
यह खबर वीरवर राजाराम जी तक पहुंचाई गई।
मुगलो के अत्याचारों से तंग होकर वीर राजाराम ने मुगलों को दण्ड देने के लिए #आगरे पर हमला कर दिया। आस-पास का सारा प्रदेश उनके अधिकार में हो गया। आगरे जिले से मुगल-शासन का अन्त कर दिया। सड़कें बन्द हो गई। मुगल-हाकिम क्रूर शफीखां को किले में घेर लिया और सिकन्दरे पर आक्रमण कर दिया। इसके थोड़े ही दिन पश्चात् धौलपुर के करीब अगरखां #तूरानी को जा घेरा।
अगरखां और उसका दामाद इस लड़ाई में मारे गए

इसी तरह कट्टर इस्लामिक #महावत खां मीर इब्राहिम #हैदराबादी पर भी उन्होंने आक्रमण किया और वीरो ने तलवारो से तोपो का मुकाबला किया इसमे 400 हिन्दू वीर जाट शहीद हुए और 500 मुगल मारे गए।

सिकंदरा पर आक्रमण

मई सन् 1686 ई. में #सफदरजंग ने राजाराम का मुकाबला किया, किन्तु बेचारे को भागना पड़ा और अपने पुत्र आजमखां को मुकाबले के लिए भेजा। आजमखां के आने से पहले ही राजाराम ने सिकन्दरे पर आक्रमण कर दिया। मुगलों के 400 आदमियों को जहन्नुमरशीद कर दिया और 

शाइस्ताखां जो कि आगरे का सूबेदार था उसे भेजा गया तो उसके आने से पहले ही राजाराम ने मार्च 1688 में सिकन्दरा के #मकबरे पर आक्रमण कर दिया और 400 मुगल सैनिको को गाजर मूली की तरह काट दिया।सिकन्दरा का रक्षक मीर अहमद पहले से ही राजाराम से अपनी जान बचाकर भाग रहा था।उसने कुछ नही किया वो देखता रहा और राजराम ने मकबरे में तोड़ फोड़ की।वो अकबर से हिन्दू बेटियों के डोलो से नाराज थे।ये बाते उन्होंने अपने बुजर्गो से सुनी थी।इसलिए उसने अकबर और जहांगीर की कब्र को उखाड़ा व उनकी अस्थियां निकालकर अग्नि में स्वाहा कर दी।

ढाई मसती बसती करी,खोद कब्र करी खड्ड।
  अकबर अरु जहांगीर के गाढ़े कढ़ी हड्ड।।

इससे औरंगजेब बहुत गुस्सा हुआ उस समय वो दक्षिण में मराठों से लड़ने में व्यस्त था।इसलिए उसने तेजी से ब्रज क्षेत्र के सूबेदारों को बदलना चालू किया और मुगलों के  #वफादार आमेर(जयपुर) के राजाओं,कुछ हाड़ा राजपूत व कुछ शेखावतों को (जो उसके फौजदार थे) राजाराम के विद्रोह को कुचलने का आदेश दिया।इन्होंने सिनसिनी गढ़ी पर भी हमला किया पर राजाराम की धार युद्धनीति कामयाब रही। इसके बाद राजाराम एक महीने तक इनसे ही लड़ता रहा।

इसी बीच चौहानो और मुगल परस्त शेखावतों के बीच #बीजल गांव में जमीनी परगने को लेकर युद्ध शुरू हो गया।शेखावतों की तरफ आमेर के राजा,हाड़ा राजपूत और मेव मुगल थे।चौहानो ने राजाराम से सहायता मांगी तो वो अपनी सेना लेकर पहुंच गए।
चौहान और राजाराम वीरता से लड़ रहे थे।राजाराम ने मुगलो की टुकड़ी पर घेरा डाला और उस पर टूट पड़े।
तो धोखे से उन पर कीसी #मुगल सैनिक ने पीछे से वार किया और वो शहीद हो गए और वो दिन था 4 जुलाई 1688 का।इस युद्ध मे शेखावतों की विजय हूई।उसके बाद शेखावतों व मुगलई सेना ने वीर राजाराम के मृत शव से सिर काटकर दरबार मे #पेश किया गया और रामकी चाहर को जिंदा पकड़कर दरबार मे ले जाया गया जहां उन पर इस्लाम स्वीकारने के लिए यातनाएं दी गयी लेकिन लाख कोशिश के बाद भी नहीं माने तो 7 जुलाई को आगरा में उनका भी सिर कलम कर दिया गया। (सन्दर्भ-इतिहासकार #उपेन्द्रनाथ शर्मा)

जय हिन्दू वीर शिरोमणि राजाराम सिंह जी की।
जय सनातन वैदिक हिन्दू धर्म की।

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