सवा लाख वृक्षारोपण अभियान की शुरूआत:

सवा लाख वृक्षारोपण अभियान की शुरूआत: पंडित कौशल पाण्डेय


श्री राम हर्षण शांति कुञ्ज सामाजिक संस्था के सौजन्य से भारत के विभिन्न क्षेत्रों में  सवा लाख पौधे लगाने का लक्ष्य खासकर  पञ्च पल्लव (पीपल, बरगद, पाकड़, आम और नीम ) लगाए जायेगे। संस्था के महासचिव पंडित कौशल पाण्डेय ने बताया की पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बरसात के मौसम में वृक्षारोपण बहुत ही लाभदायक सिद्ध होता है। 
श्री राम हर्षण शांति कुञ्ज सामाजिक संस्था के प्रत्येक सदस्य वृक्षारोपण अभियान को सफल बनायेगे, पर्यावरण की सुरक्षा और  कोरोना को हराने के लिए “एक वृक्ष अवश्य लगाएं” । 

पंडित कौशल पाण्डेय ने बताया की इस समय नीम,गिलोय,तुलसी  और एलोवेरा  के पौधे तो सभी पार्को में अवश्य लगने चाहिए क्योंकि यह दिव्य औषधी का कार्य करती है,

वास्तु के अनुसार पौधे कैसे लगाए 
पकृति द्वारा प्रदत्त पंचमहाभूत जिस प्रकार हमारे लिए उपयोगी हैं उसी प्रकार पर्यावरण के लिए भी उपयोगी हैं। पृथ्वी के आवरण वायु, जल आदि में गतिशील परिवर्तन पयार्वरण हैं जिस प्रकार  हमारा शरीर अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल और आकाश से मिलकर बना है, उसी प्रकार  वनस्पति, पौधों के सर्वांगीण विकास के लिए इन पंचमहाभूतों की आवश्यकता है। मनुष्य शरीर को विशुद्ध वायु और जल की आवश्यकता होती है। वृक्षों और पौधों को वास्तु में उचित महत्व देने से हमें प्रकृति के साथ रहने का आनंद प्राप्त होता है। हमारे प्राचीन ग्रंथो  में प्रत्येक वृक्ष का दिशानुसार शुभाशुभ फल दिया हुआ है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी राशि व नक्षत्र के अनुरूप वृक्षारोपण करना चाहिए।

वृक्ष और पौधे मानव के कल्याण के लिए हैं। पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए पौधों का विशिष्ट महत्व है। विभिन्न रोगों के उपचार के लिए आयुर्वेद में जड़ी-बूटियां, वृक्षों की छाल, फल, फूल व पत्तों से निर्मित औषधियों का बहुत महत्व है। कुछ पौधों की जड़ों का तंत्र में भी प्रयोग होता है। 

भविष्य पुराण, अग्नि पुराण, पद्म पुराण, नारद पुराण, भगवत् गीता, रामायण, शतपथ ब्राह्मण, तंत्रसार, योगनिघंटु आदि महाग्रंथों में मंत्रमहोदधि वृक्षों एवं लताओं के अनेक स्थानों पर वर्णन आते हैं। पद्म पुराण में उल्लेख है कि कुंआ या जलाशयों के पास पीपल का वृक्ष लगाने मात्र से व्यक्ति को सैकड़ों यज्ञों का पुण्य प्राप्त होता है। इसके स्पर्श से चंचला लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इसकी प्रदक्षिणा दीर्घायु बनाती है, इसके दर्शन मात्र से व्यक्ति का चित प्रसन्न होता है और उसके पापों का अंत हो जाता है। 
अशोक का वृक्ष लगाने से शोक से मुक्ति मिलती है जबकि पाकर का वृक्ष यज्ञतुल्य फल प्रदान करता है। 
जामुन का वृक्ष कन्या रत्न की प्राप्ति और मौलसिरी का वृक्ष कुल की वृद्धि कराता है। 
चंपा का पौधा सौभाग्यदायी और कटहल का वृक्ष लक्ष्मीप्रदाता माना जाता है। 
नीम के पेड़ से सूर्यदेव की कृ पा के साथ-साथ दीर्घायु की प्राप्ति होती है। 

वास्तुशास्त्र के अनुसार पीपल, बड़, नीम, नारियल, चंदन, सुपारी, बेल, आम, अशोक, हल्दी, तुलसी, चंपा, बेला, जूही, आंवला, अंगूर, अनार, नागकेसर, मौलसिरी, हरसिंगार, गेंदा, गुलाब आदि पेड़ पौधे अत्यंत शुभ माने जाते हैं। 

शास्त्रों में पूर्व दिशा में बरगद, पश्चिम में पीपल, उत्तर में कैथ अथवा बेर और दक्षिण दिशा में गूलर लगाना शुभ माना गया है। 
ईशान में कटहल, आम, तथा आंवला र्नैत्य में जामुन तथा इमली, अग्नि दिशा में अनार तथा वायव्य में बेल का वृक्ष शुभ शुभ होते हैं। 
अग्नि पुराण के अनुसार घर से पश्चिम में पीपल का वृक्ष होना अत्यंत शुभ माना गया है। पूर्व दिशा में होने पर भय और निर्धनता देने वाला व आग्नेय में होने पर पीड़ा व मृत्यु देने वाला है।

कैक्टस व दूध वाले वृक्ष गृह या व्यावसायिक वास्तु में नहीं लगाने चाहिए। बड़े-बड़े वृक्षों व पौधों का यहां उल्लेख कर रहे हैं- बरगद : घर से पर्वू दिशा में वट वृक्ष होना शुभ माना गया है।

घर में कांटेदार पौधे नहीं लगाने चाहिए, क्योंकि कांटेदार फल-फूल तथा वृक्ष शत्रुता के कारक होते हैं। घर में काटें वाले पौधे लगाने से शत्रु भय होता है, इसलिए इसे घर से बाहर बगीचे में ही लगाना चाहिए।

नारद पुराण, नारद संहिता, राज निघंटु, नारयणी संहिता, वृहद ध्रुश्रुत, शारदा तिलक, मंत्र महार्णव, श्रीविद्या पर्व आदि विभिन्न ग्रंथों में व्यक्ति विशेष की राशि तथा नक्षत्र के अनुसार वृक्षारोपण के एक निश्चित क्रम का उल्लेख है। 

यदि कोई अपनी सामर्थ स्थान की सुविधा आदि के अनुरूप पूर्वाभिमुख होकर तथा पंचोपचार पूजन विधि द्वारा वृक्षारोपण करे, तो उसे दैहिक, दैविक तथा भौतिक सभी व्याधियों से मुक्ति मिलेगी। यदि किन्हीं अभावों में व्यक्ति वृक्षारोपण का संपूर्ण क्रम संपन्न नहीं कर पाता, तो उसे अपनी राशि अथवा नक्षत्र के अनुसार कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए। 

इससे न केवल पर्यावरण में सुधार आएगा, अपितु वास्तु दोषों का भी निवारण होगा। ध्यान रहे, पीपल का वृक्ष उत्तर दिशा में हो। जन्म नक्षत्र के अनुरूप वृक्षारोपण जिन्हें अपना जन्म नक्षत्र ज्ञात हो, वे वास्तु के नियमों के अनुरूप उस नक्षत्र से संबंधित वृक्ष कहीं भी लगा सकते हैं।

ग्रह पीड़ा निवारक मूल-तंत्र:
सूर्य: यदि कुंडली में सूर्य नीच का हो या खराब प्रभाव दे रहा हो तो बेल की जड़ रविवार की प्रातः लाकर उसे गंगाजल से धोकर लाल कपड़े या ताबीज में धारण करने से सूर्य की पीड़ा समाप्त हो जाती है। ध्यान रहे, बेल के पेड़ का शनिवार को विधिवत पूजन अवश्य करें।

चंद्र: यदि चंद्र अनिष्ट फल दे रहा हो तो सोमवार को खिरनी की जड़ सफेद डोरे में बांध कर धारण करें। रविवार को इस वृक्ष का विधिवत पूजन करें।
मंगल: यदि मंगल अनिष्ट फल दे रहा हो तो अनंत मूल या नागफनी की जड़ लाकर मंगलवार को धारण करें।
बुध: यदि बुध अनिष्ट फल दे रहा हो तो विधारा की जड़ बुधवार को हरे डोरे में धारण करें।
गुरु: यदि गुरु अनिष्ट फल दे रहा हो तो हल्दी या मारग्रीव केले (बीजों वाला केला) की जड़ बृहस्पतिवार को धारण करें।
शुक्र: यदि शुक्र अनिष्ट फल दे रहा हो तो अरंड की जड़ या सरफोके की जड़ शुक्रवार को सफेद डोरे में धारण करें।
शनि: यदि शनि अनिष्ट फल दे रहा हो तो बिच्छू (यह पौधा पहाड़ों पर बहुतायत में पाया जाता है) की जड़ काले डोरे में शनिवार को धारण करें।
राहु: यदि राहु अनिष्ट फल दे रहा हो तो सफेद चंदन की जड़ बुधवार को धारण करें।
केतु: यदि केतु अनिष्ट फल दे रहा हो तो असगंध की जड़ सोमवार को धारण करें।

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