श्री महावीर जयंती
अहिंसा के सिद्धांत पर जोर देने वाले भगवान महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष पूर्व आज ही के दिन चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को हुआ था। भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान व जन्म वैशाली के कुंडलग्राम में राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के यहां हुआ था। 30 वर्ष की आयु में अपने राजसी जीवन को त्यागकर वे सत्य की खोज में महात्मा बनकर दुनिया को अहिंसा परमो धर्म: का पाठ पढ़ाया।
भगवान महावीर जी के समृद्ध जीवन और आंतरिक शांति के लिए 5 सिद्धांत...
अहिंसा.. इस सिद्धांत में उन्होंने जैनों लोगों को हर परिस्थिति में हिंसा से दूर रहने का संदेश दिया है. उन्होंने बताया कि भूल कर भी किसी को कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए.
सत्य.. भगवान महावीर कहते हैं, हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ. जो बुद्धिमान सत्य के सानिध्य में रहता है, वह मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है. यही वजह है कि उन्होंने लोगों को हमेशा सत्य बोलने के लिए प्रेरित किया.
अस्तेय.. अस्तेय का पालन करने वाले किसी भी रूप में अपने मन के मुताबिक वस्तु ग्रहण नहीं करते हैं. ऐसे लोग जीवन में हमेशा संयम से रहते हैं और सिर्फ वही वस्तु लेते हैं जो उन्हें दी जाती है.
ब्रह्मचर्य.. इस सिद्धांत को ग्रहण करने के लिए जैन व्यक्तियों को पवित्रता के गुणों का प्रदर्शन करने की आवश्यकता होती है. जिसके अंतर्गत वो कामुक गतिविधियों में भाग नहीं लेते हैं.
अपरिग्रह.. अपरिग्रह का पालन करने से जैनों की चेतना जागती है और वे सांसारिक एवं भोग की वस्तुओं का त्याग कर देते हैं.
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