नवग्रह मंत्र

नवग्रह मंत्र :- पंडित कौशल पाण्डेय 09968550003
प्रत्येक ग्रह के अपने अलग-अलग मंत्र और बीज मंत्र  होते हैं। इन विभिन्न मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र का जाप प्रत्येग ग्रह की निश्चित जपसंख्या के आधार पर करना चाहिए। जप पूर्ण होने पर ग्रहो की समिधा से  जप का दशांश  हवन, हवन का दशांश तर्पण, तर्पण का दशांश मार्जन एंव मार्जन का दशांश ब्राम्हण भोजन का विधान है।
सभी नवग्रहों के विभिन्न मंत्र इस प्रकार से है जिस जातक की जन्म कुंडली में जिस ग्रह की दशा चल रही है उस ग्रह या उस ग्रह के देव का नितमित जाप करने से शुभ परिणाम प्राप्त होते है सभी ग्रहो के तुरंत लाभ के लिए उनके तांत्रिक बीज मंत्रो का जाप अधिक कारगर सिद्ध होता है। 

सूर्य देव का बीज मंत्र - ऊॅं हृीं घृणिः सूर्याय नमः।जप मंत्र -    ऊॅं सूॅं सूर्याय नमः, तांत्रिक मंत्र - ऊॅं हृाॅं हृीं हृौं सः सूर्याय नमः, 
सूर्य गायत्री - ॐ आदित्याय विùहे भास्कराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्।
जप संख्या 7000

चन्द्रमाँ का बीज मंत्र -  ऊॅं श्रीं कीं चं चन्द्राय नमः, जप मंत्र - ऊॅं सों सोमाय नमः, तांत्रिक मंत्र -ऊॅं श्रां श्रीं श्रौं चन्द्रमसे नमः।
चन्द्र गायत्री - ॐ अमृताऽड्गांय विùहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमः प्रचोदयात्।
जप संख्या 11000

 

मंगल का बीज मंत्र -   ऊॅं हृं श्रीं भौमाय नमः।जप मंत्र -  ऊॅं भौं भौमाय नमः।
तांत्रिक मंत्र - ऊॅं क्रां क्रीं क्रौं संः भौमाय नमः।
मंगल गायत्री -    ॐ अंगारकाय विùहे शक्तिहस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात्।
जप संख्या 10000

बुध का बीज मंत्र -   ऊॅं ऐं स्त्रीं श्रीं बुधाय नमः, जप मंत्र - ऊॅं बुं बुधाय नमः।
तांत्रिक मंत्र - ऊॅं ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।
बुध गायत्री - ॐ सौम्यरूपाय विùहे वाणेशाय धीमहि तन्नो बुधः प्रचोदयात्।
जप संख्या 4000

गुरू का बीज मंत्र - ऊॅं हृीं क्लीं हृूं बृहस्पतये नमः,जप मंत्र -    ऊॅं बृं बृहस्पतये नमः।
तांत्रिक मंत्र - ऊॅं ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरूवे नमः।
गुरू गायत्री -  ॐ गुरूरूपाय विùहे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो गुरू प्रचोदयात्।
जप संख्या 19000

शुक्र का बीज मंत्र -     ऊॅं हृीं श्रीं शुक्राये नमः, जप मंत्र -   ऊॅं शुं शुक्राये नमः।
तांत्रिक मंत्र - ऊॅं द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राये नमः।
शुक्र गायत्री -    ॐ भार्गवाय विùहे शुक्लांबराय धीमहि तन्नो शुक्रः प्रचोदयात्।
जप संख्या 10000

शनि का बीज मंत्र - ऊॅं ऐं हृीं श्रीं शनैश्चराय नमः, जप मंत्र -  ऊॅं शं शनैश्चराय नमः।
तांत्रिक मंत्र -  ऊॅं प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।
शनि गायत्री - ॐ सूर्यपुत्राय विùहे नीलांजनाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोदयात्।

जप संख्या 23000

 राहू का बीज मंत्र -    ऊॅं ऐं हृीं राहवे नमः, जप मंत्र - ऊॅं रां राहवे नमः।
तांत्रिक मंत्र -  ऊॅं भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।
राहू गायत्री - ॐ  शिरोरूपाय विùहे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहू प्रचोदयात्।
जप संख्या 18000

 केतु का बीज मंत्र - ऊॅं हृीं केतवे नमः, जप मंत्र -   ऊॅं कें केतवे नमः।
तांत्रिक मंत्र -ऊॅं स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।
केतु गायत्री -ॐ पùपुत्राय विùहे धुम्रवर्णाय धीमहि तन्नो केतु प्रचोदयात्।
जप संख्या 17000

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