जानिए क्या होता है मलमास,अधिकमास, खरमास और चतुर्मास :-पंडित कौशल पाण्डेय
अधिकमास हर तीन साल में एक बार आता है. इसे मलमासऔर पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. अधिकमास के अधिपति स्वामी भगवान विष्णु माने जाते हैं.
अधिकांश लोग खरमास और मलमास को एक ही समझ लेते हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार सूर्य जब बृहस्पति की राशि धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तब खरमास, मलमास और अधिकमास शुरू हो जाता है.
अधिकमास में सभी तरह के शुभ कार्य करना वर्जित होता है , इस मास में पूजा-पाठ, मंत्र जाप,व्रत-उपवास आदि धार्मिक कार्य किये जाते है।
इस महीने हिंदू श्रद्धालु व्रत- उपवास, पूजा- पाठ, ध्यान, भजन, कीर्तन, मनन को अपनी जीवनचर्या बनाते हैं।
अधिक मास के दौरान यज्ञ- हवन के अलावा श्रीमद् देवीभागवत, श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, भविष्योत्तर पुराण आदि का श्रवण, पठन, मनन विशेष रूप से फलदायी होता है। ऐसा माना जाता है कि अधिक मास में भगवान विष्णु का मंत्र जाप करने वाले साधकों को भगवान विष्णु स्वयं आशीर्वाद देते हैं, अधिकमास में किए गए धार्मिक कार्यों का अन्य माह में किए गए धर्म कर्म से 10 गुना अधिक फल मिलता है।
प्रत्येक तीन वर्ष में आता है अधिकमास
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य जब सभी 12 राशियों में भ्रमण करते है उस लगने वाले समय को सौर वर्ष कहते हैं. यह 365 दिन और 6 घंटे की अवधि का होता है. सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करने को ‘संक्रांति’ कहा जाता है। सूर्य किसी भी राशि में लगभग 1 माह तक रहते हैं। सूर्य के धनु राशि व मीन राशि में स्थित होने की अवधि को ही ‘मलमास’ या ‘खरमास’ कहा जाता है।
जबकि चंद्रमा साल भर में 12 बार हर राशि में भ्रमण करते हैं, जिसे चंद्रवर्ष बोलते हैं. चंद्रवर्ष 354 दिन और 9 घंटे का होता है.
सूर्य और चंद्रमा के वर्ष का समीकरण ठीक करने के लिए अधिक मास की उत्पत्ति हुई. जब दो पक्षों में संक्रांति नहीं होती, तब मलमास लगता है। ज्योतिष गणना के अनुसार मलमास 32 माह 16 दिन के बाद आता है यानि हर तीसरे वर्ष में मलमास लगता है।
यानि जिस महीने सूर्य संक्रांति नहीं होती, उसे अधिक मास कहते हैं. जो हर तीन वर्ष में लगभग 1 मास के बराबर हो जाता है। अतः हर तीन साल में एक चंद्र मास आता है, जिसे अतिरिक्त होने के कारण अधिकमास का नाम दिया गया है।
मलमास क्यों कहा जाता है -?
अधिकमास को ही मलमास भी कहते हैं. इस महीने सभी शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं. इसी कारण इसे मलमास कहते हैं.
अधिकमास में सभी शुभ कार्य जैसे -वैवाहिक संस्कार,गृहप्रवेश, नया व्यायपार आदि आमतौर पर नहीं किए जाते हैं। इस महीने को मलिन मानने के कारण ही इस महीने का नाम मलमास पड़ गया है।
जानिए क्या होता है खरमास : प्रायः लोग खरमास और मलमास को एक ही मान लेते हैं, जो सही नहीं है, जब सूर्य धनु या मीन राशि में गोचर करते हैं तो इस अवधि को खरमास कहते हैं.
क्या करें मलमास में ?
मलमास के महीने में भगवान नारायण की पूजा, व्रत, यज्ञ आदि करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते है और पुण्य की प्राप्ति होती है। मलमास के महीने में दान-पुण्य अधिक रूप से करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से देवों और पूर्वजों की कृपा बनी रहती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
जानिए पुरुषोत्तम महीना कौन सा है ?
अधिकमास के स्वामी भगवान विष्णु हैं। पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है। इसीलिए अधिकमास को पुरूषोत्तम मास के नाम से भी पुकारा जाता है।
जानिए चतुर्मास किसे कहते है ?
हिन्दू धर्म में ध्यान-भक्ति,जप-तप जैसे शुभ कर्म करने के लिए चार महीने 'चातुर्मास' कहलाते हैं.
देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं. ऐसे में इन चार महीनों को चतुर्मास कहा जाता है. ध्यान और साधना करने वाले साधको के लिए ये चार महीने बहुत ही शुभदायक माने जाते हैं. चातुर्मास 4 महीनों की अवधि होती है,
चातुर्मास का प्रारम्भ आषाढ़ शुक्ल एकादशी से होता है और समापन कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन दान पुण्य कर के समापन किया जाता है।
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राष्ट्रीय महासचिव -श्री राम हर्षण शांति कुंज,दिल्ली,भारत
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