जानिए मंगल शनि का योग और उपाय :-पंडित कौशल पाण्डेय

जानिए मंगल शनि का योग और उपाय :-पंडित कौशल पाण्डेय 
जन्मकुंडली में शनि और मंगल की युति अंकारकारक योग का निर्माण करता है । शनि देव न्याय कारक है और मंगल को ग्रहों का सेनापति माना गया है।लेकिन यह तभी अपना प्रभाव दिखाते है जब यह शत्रु राशि में हो जैसे-
शनि मंगल का योग यदि कुंडली के त्रिक भाव अर्थात  छठे या आठवे या बारहवें भाव में हो तो स्वास्थ ,रोग और हानि देता है। 


शनि मंगल का योग विशेष रूप से पाचनतंत्र की समस्या, जॉइंट्स पेन और एक्सीडेंट जैसी समस्याएं देता है।
कुंडली में बलवान शनि सुखकारी तथा निर्बल या पीड़ित शनि कष्टकारक और दुखदायी होता है। वही अशुभ मंगल भी कई प्रकार के दंगल कराने निपुण है और इन दोनों का योग तो जीवन में उथल पुथल करता है। साथ ही मंगल दोष का फल भी ज्योतिष शास्त्रों में अशुभ माना गया है ,

यदि मंगल ग्रह  जन्मकुंडली के लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में होने से मंगलीक दोष का निर्माण करता है जिससे जीवन अधिक अमंगलकारी हो जाता  है जिसके फलस्वरूप जातक के जीवन में विवाह संबंधी कठिनाइयां आती हैं। विवाह के रिश्ते टूटते हैं, विवाह देर से होता है, विवाहोत्तर जीवन अशांत रहता है, तथा विवाह विच्छेद तक की स्थिति पैदा हो जाती है। 

जानिए मंगल के कार्य :
मंगल  के कारकत्व हिम्मत, शक्ति, पराक्रम, उत्साह, बल भूमि, भाई, खत, मज्जा, अग्नि, विद्युत, हथियार, वाद-विवाद क्रोध, अहम, तांबा, तरूण अवस्था आदि मंगल के कारकत्व में आते हैं और अपने इन्हीं कारकत्वों के कारण मंगल हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करता है जैसे- हमारा स्वभाव, स्वास्थ्य, करियर, विवाह आदि। मंगल और स्वभाव मंगल को पराक्रम और साहस का कारक माना गया है।
यदि कुंडली में मंगल स्वराशि मेष (1) और वृश्चिक (8) या उच्च राशि मकर (10) में हो तो ऐसा व्यक्ति बहुत साहसी और किसी से दबने वाला नहीं होता है और सदैव मेहनत करने में विश्वास रखता है।
मंगल के नीच राशि कर्क में होने या अन्य प्रकार कमजोर होने से व्यक्ति कुछ डरपोक स्वभाव का होता है। वह लड़ाई-झगड़ों से हमेशा दूर रहता है। यदि मंगल लग्न को प्रभावित करे तो ऐसा व्यक्ति जिद्दी स्वभाव का होता है। मंगल और स्वास्थ्य मंगल हमारे शरीर में रक्त, पित्त की थैली, मांसपेशी आदि को नियंत्रित करता है। यदि कुंडली में मंगल पीड़ित हो तो व्यक्ति को रक्त की कमी या रक्त संबंधी समस्याएं रहती हैं, एसिडिटी, हाई बी. पी. और मांसपेशियों से जुड़ी समस्याएं रहती है । मंगल के कुपित होने से ही फोड़े-फंुसी जैसी समस्याएं आती हैं। स्त्रियों की कुंडली में मंगल पीड़ित होना मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं भी देता है।

जानिए शनि ग्रह के कार्य :-

वैदूर्य कांति रमल:, प्रजानां वाणातसी कुसुम वर्ण विभश्च शरत:।

अन्यापि वर्ण भुव गच्छति तत्सवर्णाभि सूर्यात्मज: अव्यतीति मुनि प्रवाद:॥

शनि के प्रकोप से हर व्यक्ति डरता है। लेकिन  शनि प्रत्येक के लिए सर्वदा अहितकर ही है? ऐसा नहीं है। अपितु यह एक ऐसा ग्रह है, जिसके फल पहले से ही मालूम पड़ जाते हैं एवं यदि प्रयास कर इसे शांत किया जाए, तो बहुत हद तक अशुभता दूर हो जाती है। 

यह अवश्य है कि शनि की मार बहुत तेज है। लेकिन साथ ही यदि यह शुभ फल देता है, तो रंक से राजा भी बना देता है। क्योंकि शनि की अशुभता को कम किया जा सकता है, यही कारण है कि शनि की सबसे अधिक पूजा-आराधना की जाती है।

लग्न में शनि-मंगल के होने से जातक अहंकारी व शनकी हो जाता है। जिस कारण वह अपने जीवन में हमेशा ऊट-पटांग निर्णय लेकर अपने जीवन को बर्बाद कर लेता है।
शनि-मंगल दोषमुक्ति के लिए उपाय यदि कुंडली के किसी भी भाव में शनि मंगल एक साथ हों तो सबसे पहले ये देखना चाहिए कि दोनों में से शुभ कौन है तथा अशुभ कौन। 
इसे सरल बनाने के लिए ऐसे पता करें। 
यदि शनि अपनी मित्र राशियों- वृषभ, मिथुन, कन्या में हो या अपनी स्वः राशी मकरध्कुम्भ में हो या अपनी उच्च राशि तुला में हो तब शनि शुभ होगा तथा मंगल अशुभ। इस स्थिति में मंगल के उपाय करने चाहियें। 

इसी प्रकार यदि मंगल अपनी मित्र राशियों- सिंह, धनु, मीन में हो या अपनी स्वः राशियों मेष  वृक्षिक में हो या अपनी उच्च राशी मकर में हो तब यहां शनि के उपाय करने चाहिए। यहां भी 2 प्रकार का भेद होता है। मकर शनि की स्वः राशि है तथा मंगल की उच्च राशी। यदि यह योग मकर राशि में कुंडली के छठे आठवें या बाहरनवे भाव में बन रहा हो तब शनि मंगल दोनों की वस्तुओं का दान करना चाहिए अन्यथा नहीं। क्योंकि कुंडली के अन्य भावों में यह योग शुभफल दाई होता है। और जो योग या ग्रह शुभ फल दाई हों उनका दान करने से उनकी शुभता में कमी आती है

मंगल के उपाय :-
मंगल का वैदिक मंत्र -
ॐ अग्निमूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्।अपां रेतां सि जिन्वति।।
मंगल का तांत्रिक मंत्र - ॐ अं अंङ्गारकाय नम:
मंगल का बीज मंत्र - ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः नित्य 108 बार जाप करें।
- प्रत्येक मंगलवार गाय को गुड़ खिलायें।
-श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- गुड़ व तिल से बनी मिठाइयां गरीबों में बांटें।
- महीने में एक बार मजदूरों को भोजन अवश्य करायें।
- प्रातःकाल उठकर सर्वप्रथम धरती माता को स्पर्श करके मस्तक पर लगायें।
- घर के दक्षिण दिशा में दिया जलायें।

शनि के उपाय :-
-शनि के मंत्र का जप करें। - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः, या ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
-हर शनिवार छाया दान करें। एक स्टील की कटोरी में सरसों का तेल ले कर, उसमें एक सिक्का डाल कर, अपनी शक्ल देख कर, शनि पर चढ़ाएं, या डकौत को दान दें।
-काले चने, उड़द, काले तिल, काला कपड़ा एवं लोहा शनिवार को गरीबों को दान दें।
-काले कुत्ते को तेल से चुपड़ी रोटी, मिष्टान्न सहित, खिलाएं।
-घोड़े की नाल का छल्ला दाहिने हाथ की मध्यमा में, शनिवार की शाम को, धारण करें।
-पीपल के पेड़ के नीचे, शाम को, तेल का दीपक जलाएं।
-श्री हनुमान जी को शनिवार को चमेली का तेल तथा चोला चढ़ाएं।
- शनि के दिन इन 10 नामों को पढ़ने और पढ़ाने से शनिदेव प्रसन्न होते है :- कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद व पिप्पलाद.

अधिक जानकारी के लिए मिले अथवा संपर्क करे :-
हनुमानाष्टक, अथवा बजरंग बाण का शुद्धता से पाठ करें।
अधिक कष्ट होने पर 1, 5, या 8 बार निम्न टोटका करें ।
पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ 
 राष्ट्रीय महासचिव -श्री राम हर्षण शांति कुंज,दिल्ली,भारत

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