जानिए लग्न के अनुसार शुभ और अशुभ ग्रह

लग्न के अनुसार ग्रहों की शुभता और अशुभता जाने ..
जैसे- मेष: लग्न के लिए सूर्य, मंगल, गुरु और चंद्र शुभ और शुक्र, बुध व शनि अशुभ होते हैं।
वृष: लग्न में सूर्य, शुक्र, बुध व शनि शुभ और चंद्र, गुरु, मंगल अशुभ होते हैं।
मिथुन: लग्न में बुध, शुक्र व शनि शुभ होते हैं और मंगल, गुरु, सूर्य तथा चंद्र अशुभ।
कर्क: लग्न में चंद्र, मंगल व गुरु शुभ होते हैं और बुध, शुक्र, सूर्य तथा शनि अशुभ।
सिंह: लग्न में सूर्य, मंगल व गुरु शुभ और बुध, शुक्र, चंद्र तथा शनि अशुभ होते हैं।
कन्या: लग्न में बुध, शनि व शुक्र शुभ होते हैं और मंगल, चंद्र, सूर्य व गुरु अशुभ।
तुला: लग्न में शुक्र, शनि तथा बुध शुभ होते हैं और सूर्य, चंद्र, गुरु व मंगल अशुभ।
वृश्चिक: लग्न में मंगल, सूर्य, चंद्र व गुरु शुभ होते हैं और शुक्र, बुध तथा शनि अशुभ।
धनु: लग्न में गुरु, सूर्य व मंगल शुभ और बुध, शुक्र तथा शनि तथा चंद्र अशुभ होते हैं।
मकर: लग्न में शनि, बुध तथा शुक्र शुभ और चंद्र, गुरु, सूर्य व मंगल अशुभ होते हैं।
कुंभ: लग्न में शनि, शुक्र व बुध शुभ और सूर्य, चंद्र, गुरु और मंगल अशुभ होते हैं।
मीन: लग्न में गुरु, मंगल व चंद्र शुभ और सूर्य, बुध, शुक्र तथा शनि अशुभ फल देने वाले होते हैं।
ग्रहों के उपाय – शुभ ग्रह को बली बनाने के लिए रत्न धारण करे .
अशुभ ग्रह को निष्फल करने के लिए और अशुभ ग्रह को शुभ में बदलने के लिए उपाय करे जैसे वस्तु विसर्जन, वस्तु को जमीन में गाड़ना मंत्र जाप , यंत्र स्थापना एवं दान लाभदायक होते हैं।

सभी ग्रहों के अपने-अपने रत्न और उप रत्न होते हैं—->
सूर्य का रत्न माणिक्य है जिसे अंग्रेजी में इसे रूबी कहते हैं।
चंद्र का रत्न मोती अर्थात पर्ल,
मंगल का मूंगा अर्थात कोरल,
बुध का पन्ना अर्थात ऐमरल्ड,
बृहस्पति का पुखराज अर्थात येलो सैफायर,
शुक्र का हीरा अर्थात डायमंड,
शनि का नीलम अर्थात ब्लू सैफायर,
राहु का गोमेद,
केतु का लहसुनिया अर्थात कैट्सआई।

ग्रहों से होने वाली परेशानियां इस प्रकार हैं।
सूर्य: सरकारी नौकरी या सरकारी कार्यों में परेशानी, सिर दर्द, नेत्र रोग, हृदय रोग, अस्थि रोग, चर्म रोग, पिता से अनबन आदि। चंद्र: मानसिक परेशानियां, अनिद्रा, दमा, कफ, सर्दी, जुकाम, मूत्र रोग, स्त्रियों को मासिक धर्म, निमोनिया।
मंगल: अधिक क्रोध आना, दुर्घटना, रक्त विकार, कुष्ठ रोग, बवासीर, भाइयों से अनबन आदि।
बुध: गले, नाक और कान के रोग, स्मृति रोग, व्यवसाय में हानि, मामा से अनबन आदि।
गुरु: धन व्यय, आय में कमी, विवाह में देरी, संतान में देरी, उदर विकार, गठिया, कब्ज, गुरु व देवता में अविश्वास आदि।
शुक्र: जीवन साथी के सुख में बाधा, प्रेम में असफलता, भौतिक सुखों में कमी व अरुचि, नपुंसकता, मधुमेह, धातु व मूत्र रोग आदि।
शनि: वायु विकार, लकवा, कैंसर, कुष्ठ रोग, मिर्गी, पैरों में दर्द, नौकरी में परेशानी आदि।
राहु: त्वचा रोग, कुष्ठ, मस्तिष्क रोग, भूत प्रेत वाधा, दादा से परेशानी आदि।
केतु: नाना से परेशानी, भूत-प्रेत, जादू टोने से परेशानी, रक्त विकार, चेचक आदि।
इस प्रकार ग्रहों के कारकत्व को ध्यान में रखते हुए उपाय करना चाहिए।

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