नव ग्रहों के औषधि स्नान:-पंडित कौशल पाण्डेय
सभी के जीवन में नव ग्रहों का बहुत बड़ा प्रभाव होता है । ग्रहों के दुष्प्रभाव से आपके बनते काम बिगड़ सकते हैं और ग्रह योग शुभ होने पर राजा से रंक और फकीर से राजा भी बन सकते हैं।
ग्रहों के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए औषधि स्नान के उपाय बड़े कारगर साबित होते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही 9 उपाय जो सभी 9 ग्रहों से जुड़े हैं…
नोट :- कृपया कुंडली के अनुसार ही यह प्रयोग करे
नव ग्रहों के औषधि स्नान
चंद्र : मोती ,पंचगव्य,चांदी मोती, सीप,शंख और कुमुदिनी के फूल,सफेद चंदन मिश्रित पानी से स्न्नान करने से चन्द्रमा के शुभ प्रभाव मिलते है।
सूर्य :-लाल कनेर फूल,देवदार, केसर, इलायची, महुआ के फूल का चूर्ण पानी में डालकर स्नान करें।
मंगल :-लाल चंदन, लाल फूल, बेल वृक्ष की छाल, जटामांसी, हींग मिश्रित जल द्वारा स्नान करने से मंगल जनित पीड़ा का शमन होता है।
बुध : बहेड़ा,चावल, आंवला, गोरोचन, जायफल, पीपरमूल और गाय की छाछ से स्नान करने से बुध जनित पीड़ा का शमन होता है।
गुरु : गुरुवार को सफेद सरसु, गुलांगी, शहद, चमेली के फूल तथा पत्तों का पानी में डालकर स्नान करने से पीड़ा दूर होती है।
शुक्र: जायफल, मनोसिल, पीपरमूल, केसर और इलायची मिश्रित जल से स्नान करने से शुक्र जनित पीड़ा दूर होती है।
शनि : सरसों, काले तिल, सौंफ, लोबान, सुरमा, काले उड़द आदि मिश्रित जल से स्नान करने से शनि जनित पीड़ा दूर होती है।
राहु : गजदंत नागबेल, लोबान, तिल के पत्र को पानी में डालकर स्नान करने से राहु ग्रह दोष से मुक्ति मिल जाती है।
केतु : लाल चन्दन,लोबान, बला, मोथा, प्रियंगु को पानी में डालकर स्नान करने से केतु के शुभ प्रभाव मिलते है।
इन उपायों के अतिरिक्त नौ ग्रह शांति यंत्र का भोजपत्र पर केसर की स्याही एवं अनार की कलम से पुष्य नक्षत्र में शुभ मुहूर्त में निर्माण और विधिवत प्राण प्रतिष्ठा कर के धारण कराना चाहिए।
ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ
राष्ट्रीय महासचिव -श्री राम हर्षण शांति कुंज,दिल्ली,भारत
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