माघ मास 26 जनवरी से 24 फरवारी 2024 तक

माघ मास का पवित्र महीना :- पंडित कौशल पाण्डेय 
वर्ष 2024 में माघ मास 26 जनवरी से 24 फरवारी 2024 तक 



सनातन धर्म में गंगा स्नान, दान पुण्य का पवित्र माघ महीने का बहुत ही शुभ महत्व है  ,मकर संक्रांति 14-15 जनवरी से  प्रयागराज की पावन भूमि में माघ मेला का आयोजन किया जाता है। धार्मिक लोग इस कड़ाके की सर्दी में संगम (गंगा-यमुना सरस्वती) आदि नदियों में पूरे महीने प्रातः स्नान कर के ही देवार्चना करते हैं। मकर संक्रांति से धार्मिक कार्यक्रमों की धूम शुरू हो गई है। 

भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चन्द्रमास और दसवां सौरमास माघ कहलाता है। इस महीने में मघा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने से इसका नाम माघ पड़ा। 
धार्मिक दृष्टिकोण से इस मास का बहुत अधिक महत्व है। इस मास में शीतल जल के भीतर डुबकी लगानेवाले मनुष्य पापमुक्त हो स्वर्ग लोक में जाते हैं 

'माघे निमग्नाः सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।' 
पद्मपुराण में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि पूजा करने से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है। इसलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए। 

'प्रीतये वासुदेवस्य सर्वपापानुत्तये। माघ स्नानं प्रकुर्वीत स्वर्गलाभाय मानवः॥' 
यदि असक्त स्थिति के कारण पूरे महीने का नियम न निभा सके तो शास्त्रों ने यह भी व्यवस्था दी है कि तीन दिन अथवा एक दिन माघ स्नान का व्रत का पालन करें। 'मासपर्यन्तं स्नानासम्भवे तु त्र्यहमेकाहं वा स्नायात्‌।' 

माघ के पवित्र महीने में पुरे भारतवर्ष  के सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों  और मंदिरों में कथा पूजा और गंगा स्नान का आयोजन किया जाता है 

बारह महीनों में जिस प्रकार बसंत को ऋतुराज एवं श्रावण को ऋतुओं की रानी कहा जाता है उसी प्रकार माघ को महीनों का महात्मा कहा गया है। प्रत्येक वर्ग जाति के सनातन वैदिक धर्मावलम्बी इस महीने अपने आहार को अत्यंत सात्विक कर देते हैं। माघ में स्नान के साथ-साथ मंगलवार के व्रत किए जाते हैं। जिसमें उपासना करने वालों को एक समय बिना नमक का आहार लेना चाहिए।
 
माघ के महीने में  खिचड़ी, घृत, नमक, हल्दी, गुड़, तिल का दान करने की महिमा है , निर्णय सिंधु में कहा गया है कि माघ मास के दौरान मनुष्य को कम से कम एक बार पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। भले पूरे माह स्नान के योग न बन सकें लेकिन एक दिन के स्नान से श्रद्धालु स्वर्ग लोक का उत्तराधिकारी बन सकता है।
मत्स्य पुराण के एक कथन के अनुसार माघ मास की पूर्णिमा में जो व्यक्ति ब्राह्मण को ब्रह्मावैवर्तपुराण का दान करता है, उसे ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। 
 
सदियों से माघ माह की विशेषता को लेकर भारत वर्ष में नर्मदा, गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी सहित कई पवित्र नदियों के तट पर माघ मेला भी लगता हैं। माना जाता है कि माघ मास में पवित्र नदियों में स्नान करने से एक विशेष ऊर्जा की प्राप्ति होती है। 
 
* जिस प्रकार माघ मास में तीर्थ स्नान का बहुत महत्व है, उसी प्रकार दान का भी विशेष महत्व है। इन माह में दान में तिल, गुड़ और कंबल या ऊनी वस्त्र दान देने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। 
 
* वहीं पुराणों में वर्णित है कि इस माह में पूजन-अर्चन व स्नान करने से नारायण को प्राप्त किया जा सकता है तथा स्वर्ग की प्राप्ति का मार्ग भी खुलता है। 
 
* पुराणों के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा से माघ मास की पूर्णिमा तक माघ मास में पवित्र नदी नर्मदा, गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी सहित अन्य जीवनदायिनी नदियों में स्नान करने से मनुष्य को समस्त पापों से छुटकारा मिलता है और मोक्ष का मार्ग खुल जाता है।
 
* महाभारत के एक दृष्टांत में उल्लेख है कि माघ माह के दिनों में अनेक तीर्थों का समागम होता है। वहीं पद्मपुराण में बताया गया है कि अन्य मास में जप, तप और दान से भगवान विष्णु उतने प्रसन्न नहीं होते जितने कि माघ मास में नदी तथा तीर्थस्थलों पर स्नान करने से होते हैं। मान्यता यह भी है कि माघ मास की पूर्णिमा को नदी स्नान और दान देने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है।

माघ के महीने में खान पान और जीवनचर्या में क्या बदलाव करने चाहिए?
गर्म पानी को धीरे धीरे छोड़कर सामान्य जल से स्नान करना शुरू कर देना चाहिए.
सुबह देर तक सोना तथा स्नान न करना अब स्वास्थ्य के लिए उत्तम नहीं होगा.
इस महीने से भारी भोजन छोड़कर हलके भोजन की और आना चाहिए.
इस महीने में तिल और गुड़ का प्रयोग विशेष लाभकारी होता है.
इस माह में अगर केवल एक वेला भोजन किया जाय तो आरोग्य और एकाग्रता की प्राप्ति होती है.

माघ के महीने के पर्व और त्योहार क्या हैं और उनका महत्व?

- संकष्ठी चतुर्थी - इसको करने से संतान प्राप्ति होती है तथा संतान की चिंताएं दूर होती हैं
- षठतिला एकादशी - इसमें तिल का विशेष प्रयोग करके स्वास्थ्य और समृद्धि पाते हैं
- मौनी अमावस्या - इसमें मौन रहकर पाप नाश और आत्मा की शुद्धि की साधना करते हैं
- वसंत पंचमी - इसमें ज्ञान और विद्या बुद्धि के लिए माँ सरस्वती की उपासना करते हैं
- जया एकादशी - इस दिन विशेष प्रयोग करने से ऋणों तथा दोषों से मुक्ति मिलती है
- माघी पूर्णिमा - इस दिन शिव और विष्णु , दोनों की संयुक्त कृपा मिलती है

माघ के महीने में सुख शांति और समृद्धि के लिए कैसे पूजा उपासना करें?

- नित्य प्रातः भगवान् कृष्ण को पीले फूल और पंचामृत अर्पित करें
- इसके बाद " मधुराष्टक " का पाठ करें-
या निम्न मंत्र का जाप करें -
"श्री माधव दया सिंधो भक्तकामप्रवर्षण। माघ स्नानव्रतं मेऽद्य सफलं कुरु ते नमः॥"
- नित्य किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन कराएं
- सम्भव हो तो एक ही वेला भोजन करें

पूरा लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद् 
कृपया लाइक व् शेयर करे 
पंडित कौशल पाण्डेय 

वैदिक विधियों द्वारा समस्याओं का समाधान : पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 
 ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ 
 राष्ट्रीय महासचिव -श्री राम हर्षण शांति कुंज,दिल्ली,भारत

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ